थरूर बोले, जनता में पार्टी के प्रति 'डांवाडोल' होने की बन रही धारणा, पूर्णकालिक अध्यक्ष खोजने की जरूरत

शशि थरूर ने कहा है कि लोगों में पार्टी के प्रति डांवाडोल होने की धारणा बन रही है जिसे खत्‍म करने के लिए पूर्णकालिक अध्यक्ष खोजने की प्रक्रिया को तेज करने की जरूरत है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sun, 09 Aug 2020 04:07 PM (IST) Updated:Mon, 10 Aug 2020 03:29 AM (IST)
थरूर बोले, जनता में पार्टी के प्रति 'डांवाडोल' होने की बन रही धारणा, पूर्णकालिक अध्यक्ष खोजने की जरूरत
थरूर बोले, जनता में पार्टी के प्रति 'डांवाडोल' होने की बन रही धारणा, पूर्णकालिक अध्यक्ष खोजने की जरूरत

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित (Sandeep Dixit) के बाद अब शशि थरूर ने भी पार्टी में पूर्णकालिक अध्यक्ष खोजने की प्रक्रिया तेज करने की जरूरत बताई है। कांग्रेस नेता (Shashi Tharoor) ने कहा है कि सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से अनिश्चितकाल के लिए अंतरिम प्रमुख के तौर पर पार्टी का बोझ उठाने की उम्मीद करना बेमानी है। कांग्रेस को उसके दिशाहीन होने की अवधारणा को तोड़ने के लिए मौजूदा वक्‍त में ही पूर्णकालिक अध्यक्ष (full-term president) खोजने की प्रक्रिया तेज करने की जरूरत है।

जनता में पार्टी के प्रति बन रही गलत धारणा

शशि थरूर ने रविवार को कहा कि जनता में पार्टी के प्रति 'डांवाडोल' होने धारणा बन रही है जिसे खत्‍म करने के लिए कांग्रेस को एक पूर्णकालीन अध्यक्ष खोजने की प्रक्रिया में तेजी लानी चाहिए। थरूर (Shashi Tharoor) ने कहा कि मैं निश्चित रूप से सोचता हूं कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के पास पार्टी का नेतृत्व करने की क्षमता और योग्यता है लेकिन यदि वह ऐसा नहीं करना चाहते हैं तो पार्टी को नए प्रमुख का चुनाव करने के लिए कदम उठाना होगा। थरूर का यह बयान ऐसे समय सामने आया है जब सोनिया गांधी का अंतरिम प्रमुख का कार्यकाल 10 अगस्‍त को खत्‍म होने वाला है।

सोनिया जी और अपेक्षा नहीं की जा सकती 

शशि थरूर ने कहा कि मैं मानता हूं कि हमें अपने नेतृत्व को आगे बढ़ाने के बारे में स्पष्ट होना चाहिए। मैंने पिछले साल अंतरिम प्रमुख के रूप में सोनिया जी की नियुक्ति का स्वागत किया था लेकिन मेरा मानना है कि उनसे अनिश्चितकाल के लिए इस जिम्‍मेदारी को संभाले रखने की अपेक्षा करना बेमानी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमें लोगों में बढ़ती और मीडिया की ओर से तूल दी जा रही यह धारणा भी खत्म करनी होगी कि कांग्रेस विश्वसनीय राष्ट्रीय विपक्ष की भूमिका निभा पाने में अक्षम है। कांग्रेस को एक पूर्णतया अध्यक्ष खोजने के लिए एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया की तत्काल जरूरत है।

अध्यक्ष पद के लिए कराया जाए चुनाव 

थरूर ने कहा कि यदि राहुल गांधी फिर से नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं तो उन्हें अपना इस्तीफा वापस लेना होगा। वह दिसंबर 2022 तक सेवा देने के लिए चुने गए थे और उन्हें फिर से बागडोर थामनी होगी लेकिन यदि वह ऐसा नहीं करते हैं तो मेरा यह निजी विचार है कि कांग्रेस कार्यकारी समिति और अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराए जाने से निश्चित रूप से पार्टी के हित में कई परिणाम आएंगे।

राहुल ने दिखाई लॉकडाउन में बेहतरीन दूरदृष्टि 

थरूर ने कहा, 'लॉकडाउन के दौरान अपनी गतिविधियों के जरिये, चाहे यह कोविड-19 का मुद्दा हो या चीन की घुसपैठ का, राहुल गांधी ने अकेले ही मौजूदा सरकार को उसके कार्यो एवं नाकामियों के लिए जवाबदेह ठहराने का उल्लेखनीय काम किया है।' 

धर्मनिरपेक्षता से समझौता नहीं किया

राम मंदिर के मुद्दे पर थरूर ने कहा कि वह नहीं मानते हैं कि पार्टी ने धर्मनिरपेक्षता से कोई समझौता किया है। राहुल खुद ही स्पष्ट कर चुके हैं कि उनका अपना धर्म हिंदू है लेकिन वह हिंदुत्व का किसी भी रूप समर्थन नहीं करेंगे, चाहे वह सौम्य हो या कठोर। कांग्रेस अल्पसंख्यकों, कमजोर लोगों की सुरक्षित शरणस्थली है।

पहले भी उठा चुके हैं मुद्दा 

ऐसा नहीं है कि थरूर ने ऐसी बात पहली बार कही है। थरूर ने इस साल फरवरी में कहा था कि लोगों में एक धारणा बन गई है कि पार्टी अपनी राजनीतिक पहचान से भटक गई है। इस धारणा को तोड़ने के लिए हमें एक सक्रिय और पूर्णकालिक अध्यक्ष की जरूरत है। थरूर ने तब भी कहा था कि लोगों में कांग्रेस के 'डांवाडोल' होने की बढ़ रही धारणा को दूर करने के लिए नेतृत्व के मुद्दे को शीर्ष प्राथमिकता के आधार पर हल करना चाहिए। अनिश्चितता का समाधान करना पार्टी को फिर से खड़ा करने के लिए अत्यंत जरूरी है।

संदीप दीक्षित ने भी कही थी यही बात 

अभी हाल ही में कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने भी थरूर से मिलती जुलती बात कही थी। संदीप दीक्षित ने कहा था‍ कि पार्टी में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। यदि इस समय पार्टी को पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं मिलता है तो बहुत देर हो जाएगी। कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) को प्राथमिकता के आधार पर पहले ही पार्टी नेतृत्व के मसले का समाधान कर लेना चाहिए। दीक्षित ने कहा था कि कांग्रेस में असमंजस की भवना है और महसूस किया जा रहा है कि पार्टी को आगे ले जाने के लिए अंतरिम अध्यक्ष के साथ ही अपना काम करना होगा।

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