जिस पर मचा है बवाल, आखिर क्या है आरबीआइ का रिजर्व फंड
आरबीआइ की तरफ से जारी जुलाई, 2017 से जून, 2018 के आंकड़ों के मुताबिक यह राशि अभी 9.6 लाख करोड़ रुपये की है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आखिर क्या वजह है कि लगातार दबाव के बावजूद भारतीय रिजर्व बैंक अपने रिजर्व फंड पर अभी तक किसी सरकार को हाथ रखने नहीं दिया है। इसे समझने के लिए हमें आरबीआइ के इस फंड की प्रकृति को समझना होगा। दुनिया के हर केंद्रीय बैंक की तरह आरबीआइ भी सरकारी प्रतिभूतियों को जारी करने और उनमें निवेश करने का काम करता है। इसके अलावा वह बैंकों की अल्पावधि और दीर्घावधि जरुरतों के लिए ब्याज पर फंड उपलब्ध कराता है। अतिरिक्त फंड को विदेशों में निवेशित करता है। विदेशी मुद्रा भंडार रखने से भी आरबीआइ को कमाई होती है। इन सभी आय व राजस्व का एक हिस्सा आरबीआइ के रिजर्व फंड के तौर पर जाना जाता है जिसे इकोनोमिक कैपिटल फ्रेमवर्क (ईसीएफ) के तहत निर्धारित किया जाता है। आरबीआइ की तरफ से जारी जुलाई, 2017 से जून, 2018 के आंकड़ों के मुताबिक यह राशि अभी 9.6 लाख करोड़ रुपये की है।
आर्थिक मुद्दों पर विशेष प्रपत्र तैयार करने वाली एजेंसी कोटक सिक्यूरिटीज ने इस पर एक विस्तृत नोट तैयार किया है जिसके मुताबिक पिछले एक वर्ष में आरबीआइ का यह फंड 7.58 लाख करोड़ रुपये से बढ़ कर 9.6 लाख करोड़ रुपये हो गया है। लेकिन अगर आरबीआइ इस फंड को लगातार बना कर रखता है और इसे सुरक्षित करने की कोशिश करता है तो इसके पीछे ठोस वजहें हैं। पहली वजह यह है कि अगर अचानक ही वैश्विक अर्थव्यवस्था में कोई भारी उथल पुथल आ जाए और देश की विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट हो जाए तो इस फंड का इस्तेमाल इन दुश्वारियों से निकलने में किया जा सकता है। मसलन, 2008-09 के समय जब वैश्विक मंदी गहरा रहा था तब एक समय इस फंड के इस्तेमाल पर विचार किया गया था। हालांकि उस समय इस फंड का आकार काफी कम था।
आरबीआइ इस फंड के तहत अलग अलग उद्धेश्यों से अलग अलग मदों में नकदी रखता है। मसलन, कंटिजेंसी फंड में अभी 2.31 लाख करोड़ रुपये की राशि है जिसे वित्तीय आपातकालीन परिस्थितियों में इस्तेमाल के लिए बना कर रखा गया है। दूसरा फंड करेंसी व गोल्ड रिवैल्यूएशन खाता के नाम से है जिसमें जून, 2018 में 6.91 लाख करोड़ रुपये की राशि है। इस फंड का इस्तेमाल रुपये की कीमत में भारी गिरावट होने या वैश्विक मुद्रा बाजार में आपातकालीन स्थिति के पैदा होने या स्वर्ण की कीमतों में भारी उतार चढ़ाव आने के हालात में किया जा सकता है। चूंकि आरबीआइ अपनी कुल परिसंपत्तियों का एक हिस्सा सोने में निवेशित रखता है इसलिए इसे सुरक्षित रखने के लिए उक्त खाता बना कर रखा जाता है। 30 जून, 2018 को आरबीआइ के पास 566.23 टन सोना था।