सियासी रार में सभी मर्यादाएं तार-तार, राज्यसभा में तोड़े गए माइक, फाड़ी गई रूल बुक, मार्शलों की मौजूदगी में दो कृषि विधेयक पारित

राज्यसभा से पारित होने के बाद कृषि सुधारों से जुड़े इन दोनों विधेयकों को अब केवल राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Sun, 20 Sep 2020 08:20 PM (IST) Updated:Mon, 21 Sep 2020 12:44 AM (IST)
सियासी रार में सभी मर्यादाएं तार-तार, राज्यसभा में तोड़े गए माइक, फाड़ी गई रूल बुक, मार्शलों की मौजूदगी में दो कृषि विधेयक पारित
सियासी रार में सभी मर्यादाएं तार-तार, राज्यसभा में तोड़े गए माइक, फाड़ी गई रूल बुक, मार्शलों की मौजूदगी में दो कृषि विधेयक पारित

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। धक्कामुक्की, माइक की तोड़फोड़, रूल बुक के पन्ने फाड़कर फेंकना, हल्ला व शोरगुल। यह सब दृश्य किसी स्कूल-कॉलेज के हॉस्टल या छात्रों के बीच की लड़ाई का नहीं, यह दृश्य था देश के उच्च सदन यानी राज्यसभा का। रविवार को ऐतिहासिक कृषि सुधारों के लक्ष्य के साथ पेश किए गए दो विधेयकों पर चर्चा के दौरान सदन इस शर्मसार करने वाले दृश्य का गवाह बना। इसी हंगामे के बीच सरकार ने दोनों विधेयकों को राज्यसभा से ध्वनिमत से पारित करा लिया।

सदन के पटल पर विधेयकों के रखे जाने के बाद से ही विपक्षी दल इनका विरोध कर रहे थे। इसके बाद जब उपसभापति हरिवंश ने विधेयकों को पारित कराने के लिए कार्यवाही का समय बढ़ाने का फैसला किया, तो हंगामा शुरू हो गया। विपक्षी सदस्यों ने कृषक कीमत आश्वासन व सेवा करार विधेयक तथा कृषक उपज वाणिज्य व व्यापार संवर्धन विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के अपने प्रस्ताव पर वोटिंग की मांग की। कांग्रेस के वेणुगोपाल, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, माकपा के रागेश और द्रमुक के त्रिची शिवा ने बिलों को प्रवर समिति में भेजने के लिए चार अलग-अलग प्रस्ताव पेश किया। उपसभापति ने इस मांग को खारिज कर दिया। इसके बाद हंगामे का ऐसा दौर शुरू जो सदन के इतिहास में शर्मनाक पन्ने की तरह जुड़ गया। विपक्षी दल लगातार उपसभापति पर संसदीय नियमों को ताक पर रखकर जबरन विधेयक पारित कराने का आरोप लगाया।

फिर एमएसपी बरकरार रहने का दिलाया भरोसा

कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने इससे पूर्व राज्यसभा में अपने संक्षिप्त जवाब में कहा कि खेती पर एकांगी नजरिये से किसानों का भला नहीं होगा। नए कानून से एमएसपी पर कोई फर्क नहीं आएगा। किसानों को एमएसपी आगे भी मिलता रहेगा। विधेयक पर विपक्ष के विरोध को तोमर ने राजनीतिक करार दिया और कहा कि पीएम मोदी ने छह साल में किसानों के लिए एमएसपी में हर मौसम में बढ़ोतरी के साथ ही उनकी आय दोगुनी करने की दिशा में कई अहम कदम उठाए हैं।

दशकों से बिचौलियों के बंधन में जकड़े अन्नदाता होंगे मुक्त : मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों कृषि विधेयकों के पारित होने के तत्काल बाद इसे ऐतिहासिक बताते हुए ट्वीट किया, 'भारत के कृषि इतिहास में आज एक बड़ा दिन है। संसद में अहम विधेयकों के पारित होने पर मैं अपने परिश्रमी अन्नदाताओं को बधाई देता हूं। यह न केवल कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन लाएगा बल्कि इससे करोड़ों किसान सशक्त होंगे।'

प्रधानमंत्री ने एक बाद एक ट्वीट कर कहा कि दशकों तक हमारे किसान भाई-बहन कई प्रकार के बंधनों में जकड़े हुए थे और उन्हें बिचौलियों का सामना करना पड़ता था। संसद में पारित विधेयकों से अन्नदाताओं को इन सबसे आजादी मिली है। इससे किसानों की आय दोगुनी करने के प्रयासों को बल मिलेगा और उनकी समृद्धि सुनिश्चित होगी। मोदी ने कहा कि हमारे कृषि क्षेत्र को आधुनिकतम तकनीक की तत्काल जरूरत है क्योंकि इससे मेहनतकश किसानों को मदद मिलेगी। अब इन बिलों के पास होने से हमारे किसानों की पहुंच भविष्य की टेक्नोलॉजी तक आसान होगी। इससे न केवल उपज बढ़ेगी बल्कि बेहतर परिणाम सामने आएंगे। यह एक स्वागत योग्य कदम है।

ऐसे चला हंगामा

- विधेयकों पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के जवाब के दौरान उपसभापति हरिवंश ने कार्यवाही तय समय से आगे बढ़ाने का फैसला किया।

- नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि समय सबकी सहमति से बढ़ना चाहिए। विपक्ष ने विधेयकों को पास कराने की प्रक्रिया सोमवार को पूरी कराने की मांग की।

- विपक्षी दलों के तर्क की अनदेखी कर उपसभापति ने बिल पारित कराना शुरू कर दिया। तोमर ने भी अपना भाषण तत्काल खत्म कर दिया।

- विपक्षी सदस्यों ने विधेयकों को प्रवर समिति में भेजने के अपने प्रस्ताव पर वोटिंग की मांग शुरू कर दी।

- आसन की ओर से अनदेखी होने पर तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने रूल बुक हाथ में लेकर व्यवस्था का प्रश्न उठाया।

- इस पर भी संज्ञान नहीं लिए जाने पर गुस्से में डेरेक रूल बुक लेकर वेल में पहुंच गए और इसकेपन्ने फाड़ आसन की ओर उछाल दिए।

- बौखलाए डेरेक ने आसन के माइक भी तोड़-मरोड़ दिए।

- कांग्रेस, द्रमुक, वामदल, आम आदमी पार्टी समेत विपक्ष के कई सदस्य वेल में पहुंचकर हंगामा करने लगे और उपसभापति पर जबरन बिल पास कराने का आरोप लगाया।

- हंगामा बढ़ता देख सदन के सारे माइक बंद कर दिए गए और राज्यसभा टीवी का प्रसारण भी केवल आसन तक सीमित हो गया। आखिरकार सदन को 15 मिनट के लिए स्थगित किया गया।

- दोबारा सदन शुरू होने की हंगामा और बढ़ गया। आसन ने मत विभाजन की मांगें को यह कहते हुए खारिज कर दीं कि सदस्य अपनी सीट पर नहीं जाएंगे तो इस पर विचार नहीं हो सकता।

- आप के संजय सिंह उग्र होते हुए आसन के चेहरे के सामने जाकर नारेबाजी करने लगे।

- चारों तरफ मार्शलों की तैनाती के बीच हरिवंश ने दोनों विधेयकों को भारी हंगामे और अफरा-तफरी के बीच ध्वनिमत से पारित करा दिया।

- नाराज विपक्षी सदस्यों ने सदन स्थगित होने के बाद भी राज्यसभा चैंबर में काफी देर तक धरना देते हुए विरोध प्रदर्शन किया जिसके चलते लोकसभा की कार्यवाही एक घंटे विलंब से शुरू हुई।

शर्मसार हुआ सदन

राज्यसभा को देश का उच्च सदन कहा जाता है। इसके सदस्यों में विभिन्न क्षेत्रों के प्रबुद्ध लोग होते हैं। उच्च सदन में रविवार को जो दृश्य दिखा, वह शर्मसार करने वाला था। इस तरह के छिछले व्यवहार की अपेक्षा राज्यसभा सदस्यों से नहीं की जाती है।

शारीरिक दूरी की उड़ी धज्जियां

राज्यसभा में हुए हंगामे ने कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए तय शारीरिक दूरी के प्रोटोकॉल की भी धज्जियां उड़ा दीं। जिस तरह विपक्षी दलों के नेता वेल में जुटे और धक्कामुक्की हुई, उसने सुरक्षा से जुड़े कई सवाल खड़े कर दिए।

पारित हुए ये दो विधेयक

- कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा)

-यह किसानों को उनकी उपज देश में कहीं भी, किसी भी व्यक्ति या संस्था को बेचने की इजाजत देता है। इसके जरिये एक देश, एक बाजार की अवधारणा लागू की जाएगी। किसान अपना उत्पाद खेत में या व्यापारिक प्लेटफॉर्म पर देश में कहीं भी बेच सकेंगे।

- मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा

- यह कदम फसल की बोआई से पहले किसान को अपनी फसल को तय मानकों और तय कीमत के अनुसार बेचने का अनुबंध करने की सुविधा प्रदान करता है। इससे किसान का जोखिम कम होगा। खरीदार ढूंढने के लिए कहीं जाना नहीं पड़ेगा।

अब आगे क्या

कृषि क्षेत्र में सुधारों के लक्ष्य के साथ लाए गए इन दोनों विधेयकों को लोकसभा और राज्यसभा से मंजूरी मिल चुकी है। अब इन्हें कानून की शक्ल देने के लिए केवल राष्ट्रपति की मंजूरी बाकी है।

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