Rajasthan Political Crisis: आज फिर होगी कांग्रेस विधायक दल की बैठक, सचिन पायलट को भी बुलाया गया

Rajasthan Political Crisis सचिन पायलट ने रविवार को दावा किया था कि गहलोत सरकार अल्पमत में है। 30 से अधिक कांग्रेस विधायकों ने उन्हें समर्थन दिया है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Mon, 13 Jul 2020 10:00 PM (IST) Updated:Tue, 14 Jul 2020 07:34 AM (IST)
Rajasthan Political Crisis: आज फिर होगी कांग्रेस विधायक दल की बैठक, सचिन पायलट को भी बुलाया गया
Rajasthan Political Crisis: आज फिर होगी कांग्रेस विधायक दल की बैठक, सचिन पायलट को भी बुलाया गया

नई दिल्ली, एएनआइ। राजस्थान में सियासी उठापटक के बीच कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने बताया कि कल सुबह 10 बजे कांग्रेस विधायक दल की एक और बैठक बुलाई गई है। एक बार फिर सचिन पायलट समेत उनके समर्थन में आए सभी विधायक साथियों से हमने अनुरोध किया है कि आइए और राजनीतिक यथास्थिति पर चर्चा कीजिए। अगर किसी व्यक्ति विशेष से कोई मतभेद है तो वो भी कहें। 

इसके पहले सोमवार को भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अगुवाई में विधायक दल की बैठक आयोजित की गई थी। राजस्थान कांग्रेस विधायक दल की बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया कि भाजपा द्वारा लोकतंत्र का यह चीरहरण राजस्थान के 8 करोड़ लोगों का अपमान है, वे इसे स्वीकार नहीं करेंगे। विधायक दल की बैठक में यह भी कहा गया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और नेता राहुल गांधी के प्रति अपना विश्वास व्यक्त करते हैं और अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार का सर्वसम्मति से समर्थन करते हैं। 

30 से अधिक विधायक सचिन पायलट के समर्थन में

सचिन पायलट ने रविवार को दावा किया था कि गहलोत सरकार अल्पमत में है। 30 से अधिक कांग्रेस विधायकों ने उन्हें 'समर्थन' दिया है। राजस्थान विधानसभा में कुल 200 विधायक हैं। वर्तमान दलीय स्थिति में कांग्रेस के खुद के 101 विधायक हैं, वहीं उसे बसपा से आए छह और राष्ट्रीय लोकदल के एक विधायक का समर्थन हासिल है। इस तरह उसके पास 108 विधायक हैं। हाल में हुए राज्यसभा चुनाव में उसे निर्दलीय और अन्य दलों के विधायकों को मिलाकर कुल 125 विधायकों का समर्थन मिला था।

वहीं, राजस्थान में भाजपा की बात करें तो यहां खुद भाजपा के 72 विधायक हैं और इसे समर्थन देने वाली पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के तीन विधायकों के साथ इसके पास कुल 75 विधायक हैं। ऐसे में निर्दलीय और अन्य विधायकों को छोड़ भी दिया जाए तो सिर्फ कांग्रेस और भाजपा के विधायकों के बीच ही 29 का अंतर है। स्थिर सरकार के लिए भाजपा को कम से कम 35 विधायकों का समर्थन चाहिए। 

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