राहुल ने कहा, संवैधानिक और शिक्षण संस्थाओं पर सुनियोजित कब्जा कर रहा संघ

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस केंद्र की सत्ता में लौटी तो शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता तत्काल बहाल की जाएगी।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sat, 22 Sep 2018 08:39 PM (IST) Updated:Sun, 23 Sep 2018 12:13 AM (IST)
राहुल ने कहा, संवैधानिक और शिक्षण संस्थाओं पर सुनियोजित कब्जा कर रहा संघ
राहुल ने कहा, संवैधानिक और शिक्षण संस्थाओं पर सुनियोजित कब्जा कर रहा संघ

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा शिक्षा संस्थानों से लेकर सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सुनियोजित तरीके से कब्जा कर रहा है। उन्होंने कहा कि संघ एक विचार से देश को चलाना चाहता है और लोग भी अब महसूस कर रहे हैं कि एक विचारधारा उन पर थोपी जा रही है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि एक विचार से देश नहीं चल सकता और कांग्रेस केंद्र की सत्ता में लौटी तो शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता तत्काल बहाल की जाएगी।

कांग्रेस सत्ता में आयी तो बहाल होगी शैक्षणिक स्वायत्तता

लोकसभा के 2019 के सियासी संग्राम के लिए अपनी राजनीतिक स्वीकार्यता और कांग्रेस का आधार बढ़ाने की पहल के तहत राहुल गांधी ने देश भर से आए शिक्षाविदों के साथ संवाद के दौरान यह बात कही। राजधानी के सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम में करीब 2500 प्रोफेसरों के साथ इस टाउन हाल संवाद में राहुल ने कहा कि देश में दो दृष्टिकोण है और एक संघ का जो अपने हिसाब से देश को संचालित करने की बात करता है। जबकि कांग्रेस का दृष्टिकोण है कि भारत का मतलब इसकी जनता है।

अमित शाह पर किया वार कहा देश को उत्पाद के रूप में देखती है भाजपा

संघ प्रमुख मोहन भागवत के देश को संगठित करने के बयान पर तंज कसते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि वे कोई भगवान नहीं हैं और देश खुद अपने अपने को जोड़ लेगा। भाजपा के राजनीतिक दृष्टिकोण पर वार करने के लिए राहुल ने अमित शाह की 'सोने की चिडि़या' संबंधी टिप्पणी का सहारा लेते हुए कहा कि उनके लिए देश एक उत्पाद है जिसका वे आर्थिक लाभ उठाना चाहते हैं।

मगर कांग्रेस देश को प्रोडक्ट के रूप में नहीं देखती और हम मानते हैं कि लोगों से बातचीत किये बिना इस देश का नेतृत्व करना असंभव है। 1.3 अरब की आबादी का यह देश एक विचार से चल ही नहीं सकता। उन्होंने कहा कि बीते तीन हजार साल के भारत के इतिहास को देखें तो ऐसी कोशिशें नाकाम रही हैं और अंतत: जीत हम सब की ही होगी।

राहुल ने कहा कि संघ-भाजपा को मालूम है कि चुनाव आते-जाते रहेंगे और अगली बार जीतना मुश्किल है। इसीलिए वे शिक्षण संस्थाओं, संवैधानिक संस्थाओं और व्यवस्था के हर उस जगह सुनियोजित तरीके से काबिज होने में लगे हैं ताकि इस सोनिया की चिडि़या को पिछले दरवाजे से कब्जे में रखा जा सके।

शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी खर्च बढ़ाने की मजबूत पैरोकारी करते हुए राहुल ने कहा कि वे निजी शिक्षण संस्थानों के खिलाफ नहीं हैं मगर देश की मौजूदा जरूरत है कि सरकारी शिक्षण संस्थाओं को मजबूती देते हुए उनका विस्तार किया जाए। शिक्षकों के योगदान की तारीफ करते हुए राहुल ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की टिप्पणी का जिक्र किया।

उन्होंने कहा कि हमारे शिक्षण संस्थानों से निकले प्रतिभाशाली युवाओं की क्षमता की बात उठाकर ओबामा ने वास्तव में हमारे शिक्षकों की क्षमता की प्रशंसा की। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता से लेकर अभिव्यक्ति की आजादी जैसे कुछ ऐसे मसले हैं जिन पर समझौता नहीं किया जा सकता।

सवाल जवाब के दौरान कई अस्थायी प्रोफेसरों ने उनकी नौकरी पर लटकती तलवारों से लेकर उच्च शिक्षा क्षेत्र की चुनौतियों को लेकर राहुल से सवाल किये और उनसे ठोस वादा मांगा। कांग्रेस अध्यक्ष ने इस पर पार्टी चुनाव घोषणा पत्र समिति के सामने उन्हें अपनी बात रखने का सुझाव देते हुए इस पर सकारात्मक नजरिया अपनाने का आश्वासन दिया।

शिक्षाविदों के साथ राहुल का यह संवाद 18 अगस्त को होना था मगर पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के निधन की वजह से स्थगित कर दिया गया था।

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