राफेल डील: ओलांद के बयान से फ्रांस सरकार का किनारा, जानिए- क्या कहा

ओलांदे के दावे के उलट फ्रांस की सरकार ने स्पष्ट किया है कि राफेल डील में भारतीय औद्योगिक पार्टनर के चुनाव में उसकी किसी तरह की भूमिका नहीं रही है।

By Nancy BajpaiEdited By: Publish:Sat, 22 Sep 2018 09:33 AM (IST) Updated:Sat, 22 Sep 2018 10:33 AM (IST)
राफेल डील: ओलांद के बयान से फ्रांस सरकार का किनारा, जानिए- क्या कहा
राफेल डील: ओलांद के बयान से फ्रांस सरकार का किनारा, जानिए- क्या कहा

नई दिल्ली (पीटीआइ)। राफेल डील पर मचे सियासी घमासान के बीच फ्रांस्वा ओलांद के दावे पर फ्रांस की सरकार की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। ओलांद के दावे के उलट फ्रांस की सरकार ने स्पष्ट किया है कि भारतीय औद्योगिक पार्टनर के चुनाव में उसकी किसी तरह की भूमिका नहीं रही है। उसने जोर देकर कहा है कि फ्रेंच कंपनी दासौ को कॉन्ट्रैक्ट के लिए भारतीय कंपनी का चुनाव करने की पूरी आजादी रही है। रिलायंस डिफेंस को साझीदार के रूप चुने जाने के दावे पर फ्रांस सरकार ने कहा कि दासौ ने सबसे बेहतर विकल्प को चुना है।

'डील में भारत सरकार की कोई भूमिका नहीं'
यूरोप एंड फॉरेन अफेयर्स मंत्रालय के प्रवक्ता ने ओलांद के दावे के उलट बयान जारी किया है। राफेल डील में भारत सरकार की भूमिका को लेकर फ्रांस सरकार ने कहा कि है कि इस डील में पार्टनर के चुनाव का काम फ्रेंच कंपनी दासौ ने किया था ना कि भारत सरकार ने।

ओलांद ने क्या कहा था
दरअसल, एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने कहा था कि 58,000 करोड़ रुपये के राफेल डील में दासौ एविएशन के पार्टनर के लिए रिलायंस डिफेंस का नाम भारत सरकार ने प्रस्तावित किया था और दासौ एविएशन कंपनी के पास दूसरा विकल्प नहीं था। ओलांद ने ये बातें फ्रांसीसी न्यूज वेबसाइट को दिए एक इंटरव्यू में कही हैं।

आरोपों पर फ्रांस सरकार का जवाब
- साझेदार कंपनी को चुनने का अधिकार

फ्रांस सरकार ने स्पष्ट किया है कि भारतीय अधिग्रहण प्रक्रिया के तहत, फ्रेंच कंपनी के पास भारतीय साझेदार कंपनी को चुनने का पूरा अधिकार है।

- कोई विकल्प नहीं था

ओलांद का कहना है कि भारत सरकार ने रिलांयस डिफेंस का नाम आगे बढ़ाया। सरकार ने जिस सर्विस ग्रुप का नाम दिया, बाद में उससे दासौ ने बातचीत की। दासौ ने अनिल अंबानी से संपर्क किया। हमारे पर कोई विकल्प नहीं था। हालांकि इस पर दासौ की ओर से बयान जारी कर साफ कर दिया गया है कि उसने ऑफसेट पार्टनर के रूप में खुद रिलायंस का चुनाव किया था। जिसका मतलब है कि भारत सरकार का इसमें कोई लेना-देना नहीं था।

फ्रेंच कंपनी ने भी दावे के उलट दिया बयान
वहीं, फ्रेंच कंपनी दासौ ने भी बयान जारी कर कहा है कि उसने ऑफसेट पार्टनर के रूप में खुद रिलायंस का चुनाव किया था। दासौ एविएशन ने कहा कि राफेल सौदा भारत और फ्रांस सरकार के बीच एक अनुबंध था, लेकिन यह एक अलग तरह का अनुबंध था। इसमें दासौ एविएशन को खरीद मूल्य के 50 फीसद निवेश भारत में बनाने के लिए प्रतिबद्ध था। इसमें मेक इन इंडिया की नीति के अनुसार दासौ एविएशन ने भारतीय कंपनी रिलायंस समूह के साथ साझेदारी करने का फैसला किया। यह दासौ एविएशन की पसंद थी। उसने कहा, 'इस साझेदारी के तहत फरवरी 2017 में दासौ रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड जॉइंट वेंचर तैयार हुआ। जिसके बाद दासौ और रिलायंस ने नागपुर में फॉल्कन और राफेल एयरक्राफ्ट के मैन्युफैक्चरिंग पार्ट के लिए प्लांट बनाया है।' कंपनी ने बतायाकिराफेल सौदे के तहत ऑफसेट कंट्रैक्ट के हिस्से के रूप में रिलायंस कंपनी के अलावा अन्य कंपनियों के साथ भी अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। दासौ ने कहा कि उन्हें इस बात का गर्व है कि भारत ने राफेल खरीदने का फैसला किया।

केंद्र को घेरने में जुटा विपक्ष
हालांकि इस बीच पहले से राफेल मुद्दे पर केंद्र सरकार पर हमलावर विपक्ष ओलांद के दावे के बाद और आक्रमक हो गया है। विपक्ष लगातार राफेल डील में बड़ी गड़बड़ी का आरोप लगा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसके जरिए एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा को निशाने पर लिया है।

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