मानसून सत्र - विपक्षी दलों के हंगामे की वजह से नहीं को रहा है सदन में काम, 2 सप्ताह में राज्यसभा की उत्पादकता में आई गिरावट
सरकार से जुड़े सूत्र ने बताया कि राज्य सभा में जारी हंगामे के बीच दूसरे सप्ताह की उत्पादकता 13.7 फीसद तक गिर गई जो पहले सप्ताह में 32.2 फीसद की थी जिससे कुल उत्पादकता 21.6 फीसद तक की रही।
नई दिल्ली, एएनआइ। मानसून सत्र के तीसरे हफ्ते के पहले दिन भी सदन में विपक्ष पेगासस जासूसी मामला, कृषि कानूनों को लेकर हमलावर दिखा। सरकार से जुड़े सूत्र ने बताया कि राज्य सभा में जारी हंगामे के बीच दूसरे सप्ताह की उत्पादकता 13.7 फीसद तक गिर गई, जो पहले सप्ताह में 32.2 फीसद की थी, जिससे कुल उत्पादकता 21.6 फीसद तक की रही।
सरकार से जुड़े सूत्र ने आगे बताया कि अब तक सदन के 50 कार्य घंटों में से 39 घंटे 52 मिनट सदन में हंगामे की वजह से खराब हो गए हैं। हालांकि, बैठक निर्धारित समय से 1 घंटा 52 मिनट अधिक हुई है, मगर उत्पादकता में पहले से अधिक कमी आई है। राज्यसभा में पहले दो हफ्तों में 10 बैठकों के दौरान सदन में केवल 2 घंटे 8 मिनट का प्रश्नकाल चला है, जिसका मतलब है कि संसद के प्रति कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करना है। विधायी कार्य के लिए 1 घंटे 24 मिनट बिताए, जिसमें 7 सदस्यों के हस्तक्षेप के साथ 5 विधेयकों को पारित किया गया। शून्यकाल 1 मिनट ही चल सका जबकि 4 मिनट विशेष उल्लेखों पर खर्च हुए।
19 जुलाई से शुरू हुए मानसून सत्र में शनिवार तक यानी 1 अगस्त तक 133 करोड़ से ज्यादा रुपये बर्बाद हो चुके है। आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन में अधिकरण सुधार विधेयक, 2021, सीमा शुल्क अधिनियम 1962, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण अधिनियम 1994, व्यापार चिन्ह अधिनियम 1999 जैसे कुछ अन्य अधिनियमों को सदन में पेश किया गया। विपक्षी दलों के हंगामे की वजह से लोकसभा की कार्यवाही को 2 बार स्थगित किया है।
आरोप-प्रत्यारोप के बीच मानसून सत्र की कार्यवही पर असर पड़ रहा हैं। राज्यसभा में विपक्षी दलों ने नारेबाजी कि, भाजपा की गुंडागर्दी नहीं चलेगी, काले कानून वापस लो जैसे नारे राज्यसभा में दिनभर लगाए गए।