राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की चीन को दो-टूक, कहा- अशांति पैदा करने वाले को देंगे माकूल जवाब
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चीन को सख्त संदेश देते हुए कहा है कि हम शांति चाहते हैं लेकिन यदि कोई अशांति उत्पन्न करने की कोशिश करेगा तो उसे माकूल जवाब दिया जाएगा।
नई दिल्ली, एजेंसियां। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देशवासियों को संबोधित करते हुए चीन को सख्त संदेश दिया। राष्ट्रपति ने कहा कि आज जब विश्व समुदाय के सामने कोरोना जैसी सबसे बड़ी चुनौती सामने आई है तब हमारे पड़ोसी ने अपनी विस्तारवादी गतिविधियों को चालाकी से अंजाम देने का दुस्साहस किया है। सरहदों की रक्षा में हमारे जवानों के शौर्य ने यह दिखा दिया है कि हम शांति चाहते हैं लेकिन यदि कोई अशांति उत्पन्न करने की कोशिश करेगा तो उसे माकूल जवाब दिया जाएगा। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में गलवन घाटी में वीरगति पाने वाले वीर जवानों को भी नमन किया।
Watch LIVE as President Kovind addresses the nation on the eve of the 74th Independence Day https://t.co/inw1j2ycM2" rel="nofollow— President of India (@rashtrapatibhvn) August 14, 2020
एकजुट होकर संघर्ष करने की जरूरत
राष्ट्रपति ने कहा कि हमें एकजुट होकर संघर्ष करने की जरूरत है। हमारे पड़ोसी की विस्तारवादी गतिविधियों को नाकाम करने और सीमाओं की रक्षा करने के दौरान हमारे बहादुर जवानों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए। भारत माता के वे सपूत राष्ट्र गौरव के लिए ही जिए और उसी के लिए मर मिटे। पूरा देश गलवन घाटी के बलिदानियों को नमन करता है। हर भारतवासी के हृदय में उनके परिवार के सदस्यों के प्रति कृतज्ञता का भाव है। उनके शौर्य ने यह दिखा दिया है कि यद्यपि हमारी आस्था शांति में है लेकिन कोई अशांति उत्पन्न करने की कोशिश करेगा तो उसे माकूल जवाब दिया जाएगा।
सशस्त्र और अर्धसैनिक बलों पर गर्व
राष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपने सशस्त्र, पुलिस और अर्धसैनिक बलों पर गर्व है जो सीमाओं की रक्षा करते हैं और हमारी आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। हम सौभाग्यशाली हैं कि महात्मा गांधी हमारे स्वाधीनता आंदोलन के मार्गदर्शक रहे। उनके व्यक्तित्व में एक संत और राजनेता का जो समन्वय दिखाई देता है वह भारत की मिट्टी में ही संभव था। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रहा है जिसका अर्थ स्वयं सक्षम होना है। इसका अर्थ दुनिया से अलगाव या दूरी बनाना नहीं है। इसका अर्थ यह भी है कि भारत वैश्विक बाजार व्यवस्था में शामिल भी रहेगा और अपनी विशेष पहचान भी कायम रखेगा।
कोरोना के खिलाफ समय रहते उठाए गए कदम
महामहिम ने कहा कि इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के उत्सवों में हमेशा की तरह धूम-धाम नहीं होगी। इसका कारण स्पष्ट है। मौजूदा वक्त में पूरी दुनिया एक ऐसे घातक वायरस से जूझ रही है। इस वायरस ने जन-जीवन को भारी क्षति पहुंचाई है और हर प्रकार की गतिविधियों में बाधा उत्पन्न की है लेकिन यह आश्वस्त करने वाली वाली बात है कि इस चुनौती का सामना करने के लिए केंद्र सरकार ने समय रहते प्रभावी कदम उठा लिए थे। सरकार के असाधारण प्रयासों की बदौलत घनी आबादी और विविध परिस्थितियों वाले हमारे विशाल देश में इस चुनौती का सामना किया जा रहा है।
देश स्वास्थ्य कर्मियों का ऋणी
राष्ट्रपति ने कहा कि राज्य सरकारों ने भी स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार कार्रवाई की और जनता ने पूरा सहयोग दिया। इन प्रयासों से हमने वैश्विक महामारी की विकरालता पर नियंत्रण रखने और बहुत बड़ी संख्या में लोगों के जीवन की रक्षा करने में सफल रहे हैं। यह पूरे विश्व के सामने एक अनुकरणीय उदाहरण है। राष्ट्र उन सभी डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों का ऋणी है जो कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अग्रिम पंक्ति के योद्धा रहे हैं। ये हमारे राष्ट्र के आदर्श सेवा-योद्धा हैं। इन कोरोना-योद्धाओं की जितनी भी सराहना की जाए वह कम है।
लोगों की जान बचा रहे अग्रिम पंक्ति के योद्धा
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि अग्रिम पंक्ति के ये सभी योद्धा अपने कर्तव्य की सीमाओं से ऊपर उठकर लोगों की जान बचाते हैं और आवश्यक सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करते हैं। महामारी के इसी संकट काल में पश्चिम बंगाल और ओडिशा में आए ‘अम्फान’ चक्रवात ने भारी नुकसान पहुंचाया, जिससे हमारी चुनौतियां और बढ़ गईं। इस आपदा के दौरान, जान-माल की क्षति को कम करने में आपदा प्रबंधन दलों, केंद्र और राज्यों की एजेंसियों तथा सजग नागरिकों के एकजुट प्रयासों से काफी मदद मिली।
महामारी का सबसे कठोर प्रहार गरीबों पर
राष्ट्रपति ने कहा कि इस महामारी का सबसे कठोर प्रहार, गरीबों और रोजाना आजीविका कमाने वालों पर हुआ है। संकट के दौर में उनको सहारा देने के लिए और वायरस की रोकथाम के प्रयासों के साथ-साथ, अनेक जन-कल्याणकारी कदम उठाए गए हैं। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना की शुरुआत करके सरकार ने करोड़ों लोगों को आजीविका दी है ताकि महामारी के कारण नौकरी गंवाने एक जगह से दूसरी जगह जाने तथा जीवन के अस्त-व्यस्त होने के कष्ट को कम किया जा सके। किसी भी परिवार को भूखा न रहना पड़े, इसके लिए जरूरतमंद लोगों को मुफ्त अनाज दिया जा रहा है। इस अभियान से हर महीने लगभग 80 करोड़ लोगों को राशन मिलना सुनिश्चित किया गया है।
#WATCH As part of the ongoing celebration of the 74th Independence Day, the Border Security Force (BSF) Band gave a musical performance at the Attari-Wagah border on the eve of #IndependenceDay. pic.twitter.com/zbO1wBwKiV— ANI (@ANI) August 14, 2020
लोगों की मदद के लिए सरकार प्रतिबद्ध
राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया में कहीं पर भी मुसीबत में फंसे हमारे लोगों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध सरकार की ओर से ‘वंदे भारत मिशन’ के तहत, दस लाख से अधिक भारतीयों को स्वदेश वापस लाया गया है। भारतीय रेल द्वारा भी इस संकट काल में ट्रेन सेवाएं चलाकर... वस्तुओं और लोगों के आवागमन को संभव किया गया है। मेरा मानना है कि कोविड-19 के विरुद्ध लड़ाई में जीवन और आजीविका दोनों की रक्षा पर ध्यान देना आवश्यक है। हमने मौजूदा संकट को सबके हित में, विशेष रूप से किसानों और छोटे उद्यमियों के हित में, समुचित सुधार लाकर अर्थव्यवस्था को पुन: गति प्रदान करने के अवसर के रूप में देखा है।
हमने दूसरे देशों की भी मदद की
राष्ट्रपति ने कहा कि अपने सामर्थ्य में विश्वास के बल पर, हमने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अन्य देशों की ओर भी मदद का हाथ बढ़ाया है। अन्य देशों के अनुरोध पर, दवाओं की आपूर्ति करके, हमने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि भारत संकट की घड़ी में, विश्व समुदाय के साथ खड़ा रहता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता के लिए हाल ही में संपन्न चुनावों में मिला भारी समर्थन... भारत के प्रति व्यापक अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना का प्रमाण है।