जावड़ेकर का हमला, विपक्ष की राजनीति को बताया 'दिशाहीन'

प्रवासी मजदूरों के लिए तीन विधेयक पारित किए गए हैं जो उनके वेतन सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए है जिसपर विपक्ष द्वारा विरोध जताया जा रहा है। इसपर केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि जो काम उन्हें करना चाहिए वो नहीं किया और अब दोष दे रहे हैं।

By Monika MinalEdited By: Publish:Thu, 24 Sep 2020 12:07 PM (IST) Updated:Thu, 24 Sep 2020 12:16 PM (IST)
जावड़ेकर का हमला, विपक्ष की राजनीति को बताया 'दिशाहीन'
विपक्ष के विरोध के बावजूद मजदूरों के लिए तीन विधेयक पारित

नई दिल्ली, एएनआइ। विपक्ष की राजनीति दिशाहीन बताते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि जब उनके पास कृषि विधेयक व अन्य मुद्दों पर अपना  विचार देने का मौका था तब उन्होंने सदन से वॉकआउट कर दिया। संसद के मानसून सत्र में अनेकों विधेयक पारित हुए उसमें कृषि विधेयक और  प्रवासी मजदूरों के लिए तीन विधेयक भी शामिल हैं जिसपर विपक्ष द्वारा सख्त ऐतराज जताया जा रहा है। 

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को कहा, 'कल ( बुधवार) को प्रवासी मजदूरों के लिए तीन विधेयक पारित किए गए । तीनों विधेयक इन मजदूरों के वेतन सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा देने वाले हैं, आजादी के 73 साल बीत गए , ये तीनों सुरक्षा नहीं मिली, आज मिल रही हैं... विपक्ष ने इसका विरोध किया। जो काम करना चाहिए था नहीं किया और अब दोष दे रहे हैं।' 

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि विपक्ष के पास राष्ट्रपति से मिलने के लिए या विरोध जताने के लिए 300 दिन था लेकिन उन्हें संसद सत्र का बहिष्कार नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, 'विपक्षी दलों की राजनीति दिशाहिन हो गई है जब उनके पास अपने विचार देने का समय था तब वे वाकआउट कर गए और बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। वे राष्ट्रपति से मुलाकात कर रहे हैं इसके लिए 300 दिन हैं। संसद सत्र 70-80 दिन चलता है और हम किसी को बोलने से नहीं रोकते।' उन्होंने यह भरी कहा कि विपक्ष के सांसदों का राज्यसभा में व्यवहार शर्मनाक था। 

उन्होंने कहा, 'जिस तरह विपक्ष पेश आया वो लज्जा का विषय है, उन्होंने राज्यसभा को शर्मसार कर दिया। उन्हें डिवीजन चाहिए था, उपसभापति ने लगातार कहा कि आप अपनी सीट पर जाओ। डिवीजन मांगो, मैं दूंगा। अब हर जगह जाकर शिकायत कर रहे हैं। ये चोरी और सीनाजोरी का मामला हो गया।' बता दें कि महामारी के प्रकोप को देखते हुए सत्र को मात्र दस दिनों में ही बुधवार को खत्म कर दिया गया। 

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