Political Crisis in Rajasthan: राजेश पायलट ने भी कांग्रेस में किया था संघर्ष, लेकिन नहीं छोड़ी थी पार्टी

राजेश पायलट का कहना था कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र बनाए रखने के लिए चुनाव होता है तो कोई बुराई नहीं है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Mon, 13 Jul 2020 09:11 PM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 09:11 PM (IST)
Political Crisis in Rajasthan: राजेश पायलट ने भी कांग्रेस में किया था संघर्ष, लेकिन नहीं छोड़ी थी पार्टी
Political Crisis in Rajasthan: राजेश पायलट ने भी कांग्रेस में किया था संघर्ष, लेकिन नहीं छोड़ी थी पार्टी

राज्य ब्यूरो, जयपुर। राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की अपनी ही पार्टी से नाराजगी को पायलट परिवार के इतिहास के जरिये से भी देखा जा रहा है। सचिन के पिता राजेश पायलट पार्टी के उन दिग्गज नेताओं में शामिल रहे हैं, जिन्होंने हमेशा कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र की वकालत की और इसके लिए संघर्ष भी किया, लेकिन पार्टी का साथ नहीं छोड़ा।

राजेश पायलट को संजय गांधी राजनीति में लाए थे

बताया जाता है कि राजेश पायलट को संजय गांधी राजनीति में लाए थे। उन्होंने पहला 1980 में राजस्थान के भरतपुर से लड़ा था और इसके बाद 1984 में दौसा संसदीय क्षेत्र को कार्यक्षेत्र बनाया। 1989 को छोड़कर वह 1999 तक लगातार यहां से सांसद रहे। राजेश पायलट के साथ लंबे समय तक काम कर चुके राजस्थान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आरडी गुर्जर के अनुसार, 1993 में कांग्रेस के त्रिकुटी महा अधिवेशन में कार्यसमिति के लिए चुने जाने वाले दस सदस्यों में संगठन ने उनका नाम नहीं दिया था। इस पर उन्होंने स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी और प्रधानमंत्री नरसिंहराव की ओर से प्रस्तावित प्रत्याशी को चुनाव हराकर जीत हासिल की थी।

राजेश पायलट ने कहा था- पार्टी में लोकतंत्र बनाए रखना जरूरी है

कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र के लिए ही उन्होंने 1997 में तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष सीताराम केसरी के खिलाफ चुनाव लड़ा। उनका कहना था कि पार्टी में लोकतंत्र बनाए रखना जरूरी है, इसीलिए मैं चुनाव लड़ रहा हूं। उनके साथ शरद पवार ने भी चुनाव लड़ा था, लेकिन ये दोनों ही चुनाव हार गए थे।

सोनिया गांधी के खिलाफ उतरे उम्मीदवार का दिया था साथ

वर्ष 2000 में जब सोनिया गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाना था, तब पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए जितेंद्र प्रसाद ने चुनाव लड़ा था। राजेश पायलट उन नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने जितेंद्र प्रसाद का खुलकर साथ दिया और उनके लिए चुनाव प्रचार भी किया था।

पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र बनाए रखने के लिए चुनाव होता है तो कोई बुराई नहीं

पायलट का कहना था कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र बनाए रखने के लिए चुनाव होता है तो कोई बुराई नहीं है। इससे पार्टी मजबूत ही होगी। राजस्थान में उनके साथ रहे विजय गुप्ता बताते हैं कि पायलट अपनी बात खुलकर कहते थे, लेकिन पार्टी के प्रति हमेशा समर्पित रहे। वहीं, प्रोफेसर आरडी गुर्जर का कहना है कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र बनाए रखने पर उनका जोर रहता था और इसीलिए उन्होंने संगठन के चुनाव लड़े भी और लड़ने वालों का साथ भी दिया।

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