पीएम मोदी का लद्दाख दौरा चीन के लिए बड़ा संदेश, जानें क्‍या कहते हैं रक्षा विशेषज्ञ

चीन से तनातनी के बीच लद्दाख में सेना की अग्रिम चौकी पर पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ संकेत दिया है... जानें इस बारे में क्‍या कहते हैं रक्षा विशेषज्ञ...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sat, 04 Jul 2020 06:02 AM (IST) Updated:Sat, 04 Jul 2020 10:34 AM (IST)
पीएम मोदी का लद्दाख दौरा चीन के लिए बड़ा संदेश, जानें क्‍या कहते हैं रक्षा विशेषज्ञ
पीएम मोदी का लद्दाख दौरा चीन के लिए बड़ा संदेश, जानें क्‍या कहते हैं रक्षा विशेषज्ञ

नवीन नवाज, श्रीनगर। चीन से तनातनी के बीच लद्दाख में सेना की अग्रिम चौकी पर पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ संकेत दिया है कि यह नया भारत है, न किसी से दबेगा और न झुकेगा। चीन ही नहीं मोदी पूरी दुनिया को बताने में सफल रहे कि भारत अब किसी भी घात पर पीछे नहीं हटेगा। वह प्रतिघात से बचेगा लेकिन हर हमले का करारा जवाब देने से उसे कोई नहीं रोक सकता। ऐसे में चीन के साथ ही पाकिस्तान भी गिलगिट-बाल्टिस्तान की स्थिती बदलने की साजिश रच रहा है। प्रधानमंत्री ने लद्दाख जाकर दोनों मुल्कों को साफ संदेश दिया है कि वह अपनी हद में रहें।

सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ सेवानिवृत्त मेजर जनरल दिलावर सिंह कहते हैं कि अगर आप प्रधानमंत्री के दौरे को ध्यान से देखें। उन्होंने जिस तरह से भगवान कृष्ण का जिक्र किया है, उससे पता चलता है कि चीन के साथ वह हर मोर्चे पर लड़ने की तैयारी कर चुके हैं। उनका इशारा साफ है कि पाकिस्तान उड़ी, बालाकोट देख चुका है, इससे चीन को सबक लेना चाहिए। अन्यथा, गलवन में जो हुआ है, उसे भारतीय जवान तिब्बत से आगे चीन में दोहराने से नहीं चूकेंगे। उन्होंने कहा कि चीन ने प्रधानमंत्री के संदेश को समझ भी लिया है। यही कारण है कि वह तनाव कम करने की बात कर रहा है। यह वही चीन है जो पूर्वोत्‍तर में अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम में किसी राष्ट्रीय नेता के दौरे पर शोर मचाता है।

राजनीतिक विश्लेषक डॉ. अजय चरुंगु कहते हैं कि मौजूदा तनाव के बीच प्रधानमंत्री का लद्दाख जाना और सैनिकों से मिलना बताता है कि पीछे हटने के बजाय आगे बढ़ने की तैयारी है। उनके इस दौरे से उन्होंने यह बताने का प्रयास किया है कि भारत के संयम को कमजोरी नहीं समझा जाए और वह सामने से वार करते हुए किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए हरदम तैयार हैं। इसके अलावा उन्होंने चीन का नाम लिए बगैर उसकी विस्तारवादी नीतियों का जिक्र किया, उससे उन्होंने ताइवान, हांगकांग, मंगोलिया के प्रति चीन की नीतियों को निशाना बनाकर पूरे विश्व समुदाय को चीन के खिलाफ एकजुट करने का प्रयास किया है। वहीं, इससे पाकिस्तान को भी संदेश मिला है कि वह चीन के भरोसे रहकर भारत के साथ उलझने की कोश‍िश ना करे...  

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