नेताओं की कथनी और करनी में अंतर के कारण पैदा हुए विश्वसनीयता के संकट पर पीएम मोदी जीते: राजनाथ सिंह

नरेंद्र मोदी के 2 दशकों की सरकार के प्रमुख के रूप में समीक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र में बोले राजनाथ नरेंद्र मोदी ने बहुत अच्छा काम किया है। उन्होंने विश्वसनीयता के इस संकट को एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया और इस पर विजय प्राप्त की।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Fri, 29 Oct 2021 02:25 PM (IST) Updated:Mon, 01 Nov 2021 09:07 AM (IST)
नेताओं की कथनी और करनी में अंतर के कारण पैदा हुए विश्वसनीयता के संकट पर पीएम मोदी जीते: राजनाथ सिंह
नेताओं की कथनी और करनी में अंतर के कारण पैदा हुए विश्वसनीयता के संकट पर पीएम मोदी जीते: राजनाथ सिंह

नई दिल्ली, एजेंसी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राजधानी में एक सभा को संबोधित करते हए कहा कि कथनी और करनी में अंतर है। उन्होंने कहा, 'आपने महसूस किया होगा कि स्वतंत्र भारत में राजनीति और राजनेताओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती विश्वसनीयता का संकट रहा है। राजनेताओं के शब्दों और उनके कार्यों में अंतर के कारण, लोगों का उन पर विश्वास धीरे-धीरे कम होता गया।' राजनाथ सिंह ने इस मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ की।

रक्षा मंत्री 'डिलीवरिंग डेमोक्रेसी: नरेंद्र मोदी के 2 दशकों की सरकार के प्रमुख के रूप में समीक्षा' पर राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र में कहते हैं, 'स्वतंत्र भारत की राजनीति में नरेंद्र मोदी ने बहुत अच्छा काम किया है। उन्होंने विश्वसनीयता के इस संकट को एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया और इस पर विजय प्राप्त की।'

इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पीएम मोदी को आजादी के बाद देश का सबसे सफल प्रधानमंत्री बताते हुए कहा कि उन्होंने गरीबी उन्मूलन, आर्थिक विकास, राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के क्षेत्र में देश को अलग ही मुकाम पर पहुंचा दिया है।

डिलीवरिंग डेमोक्रेसी : सरकार के प्रमुख के रूप में नरेन्द्र मोदी के दो दशक' पर राष्ट्रीय गोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए शाह ने कहा, 'अशिक्षित लोगों के साथ कोई देश विकास नहीं कर सकता और उन्हें पढ़ाने का दायित्व शासन का है। जो अपने संवैधानिक अधिकारों के बारे में नहीं जानता, वह देश के विकास में पूर्ण रूप से सहभागिता नहीं कर सकता।' उन्होंने कहा कि भाजपा का नरेन्द्र मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाना दुर्लभ घटना थी क्योंकि 2001 में उनके पास प्रशासन चलाने का कोई वास्तविक अनुभव नहीं था। उस समय कठिन हालात का सामना करने के बावजूद उन्होंने खुद को सफल प्रशासक साबित किया।

chat bot
आपका साथी