छोटे दौरे व ज्यादा काम पर होता है पीएम मोदी का ध्यान, जानिए थकान को दूर रखने के लिए अपनाते हैं कौन सा फार्मूला

अमेरिका में 65 घंटे के प्रवास के दौरान प्रधानमंत्री ने बीस बैठकें की। 22 सितंबर को वह दिल्ली से अमेरिका के रवाना हुए थे और फ्लाइट के अंदर ही अधिकारियों के साथ दो बैठकें की। 23 की सुबह होटल में फिर से तीन बैठकें हुईं।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 08:56 PM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 11:33 PM (IST)
छोटे दौरे व ज्यादा काम पर होता है पीएम मोदी का ध्यान, जानिए थकान को दूर रखने के लिए अपनाते हैं कौन सा फार्मूला
अमेरिका में 65 घंटे के प्रवास के दौरान पीएम मोदी ने कीं 20 बैठकें

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरे दो कारणों से अक्सर चर्चा में होते हैं। पहली बात कि विदेश में वह ज्यादा से ज्यादा वक्त औपचारिक वार्ताओं और लोगों से मिलने जुलने में लगाते हैं और दूसरी कि लंबी और थकाऊ यात्रा का निशान उनके चेहरे पर नहीं होता है। वापस आते ही वह कामकाज में जुट जाते हैं। सुनने में थोड़ा अटपटा लग सकता है लेकिन सूत्रों का कहना है कि इसका राज प्रधानमंत्री का व्यस्त कार्यक्रम होता है। प्रधानमंत्री मोदी इसका ध्यान रखते हैं कि उनके हर दौरे में बिना अवकाश ज्यादा से ज्यादा बैठकें शामिल हों।

अमेरिका में 65 घंटे के प्रवास के दौरान प्रधानमंत्री ने बीस बैठकें की। 22 सितंबर को वह दिल्ली से अमेरिका के रवाना हुए थे और फ्लाइट के अंदर ही अधिकारियों के साथ दो बैठकें की। 23 की सुबह होटल में फिर से तीन बैठकें हुईं। उसी दिन कई बड़ी कंपनियों के सीईओ के साथ भी भारत में निवेश को लेकर बैठकें की और उसके बाद अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और फिर जापानी और आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्रियों के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। दूसरे दिन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ वार्ता हुई। अधिकारियों के अनुसार 24 सितंबर को ही प्रधानमंत्री ने भारतीय अधिकारियों के साथ चार अन्य बैठकें की।

प्रधानमंत्री बनने से पहले भी करते रहे हैं ऐसा

सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी दरअसल अपनी दिनचर्या से ही थकान मिटाने की राह निकालते हैं। इतनी व्यस्तता रखते हैं कि जेट लैग के लिए कोई स्थान न हो। दरअसल यह उनकी बहुत पुरानी आदत है। सूत्रों के अनुसार आज से लगभग 30 साल पहले भी जब वह अमेरिका जाते थे तो कार्यक्रम कुछ इस तरह बनाते थे कि घूमने फिरने और कामकाज के लिए ज्यादा से ज्यादा अवसर मिले। रात का वक्त अगर यात्रा में गुजरे तो ज्यादा अच्छा क्योंकि होटल में व्यर्थ पैसा नहीं देना होगा और समय की भी बचत होगी। दरअसल प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उनके लगभग सभी दौरों में यह दिखता रहा है। ऐसा भी हुआ है कि तीन चार देशों की एक साथ यात्रा में वह तीन चार रात ही होटलों में गुजारते हैं और बाकी का वक्त फ्लाइट में।

दौरे वाले देश के समय पर आधारित होता है कार्यक्रम

अधिकारी बताते हैं कि प्रधानमंत्री इसका ध्यान रखते हैं कि जहां पहुंचने वाले होते हैं वहां के टाइम के अनुसार फ्लाइट में आराम कर लेते हैं। इसके अलावा ऐसी यात्राओं में वह पानी ज्यादा पीते हैं ताकि थकान का असर कम रहे। यही कारण है कि वापस आने के बाद भी वह तत्काल काम में जुटते हैं। रविवार को भी उन्होंने अन्य बैठकों के साथ साथ केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिह और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ बैठक की।

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