डाटा प्रोटेक्शन बिल को रोकने की साजिश है पेगासस विवाद : भाजपा

भाजपा की वरिष्ठ नेता और विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी के अनुसार संसदीय समिति ने डाटा प्रोटेक्शन बिल के मसौदे को हरी झंडी दे दी है और अब यह लोकसभा अध्यक्ष के पास स्वीकृति के लिए पहुंच गया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 09:53 PM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 09:53 PM (IST)
डाटा प्रोटेक्शन बिल को रोकने की साजिश है पेगासस विवाद : भाजपा
भाजपा की वरिष्ठ नेता और विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी

 नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। बिना किसी आधार के खड़ा किए गए पेगासस जासूसी विवाद के पीछे एक बड़ी वजह संसद में लंबित डाटा प्रोटेक्शन बिल भी है। भाजपा की वरिष्ठ नेता और विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी के अनुसार, संसदीय समिति ने डाटा प्रोटेक्शन बिल के मसौदे को हरी झंडी दे दी है और अब यह लोकसभा अध्यक्ष के पास स्वीकृति के लिए पहुंच गया है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इस विवाद की वजह डाटा प्रोटेक्शन बिल को रोकना है। मीनाक्षी लेखी ने पेगासस जासूसी विवाद के पीछे बड़ी साजिश की ओर इशारा करते हुए कहा कि आनलाइन उपलब्ध येलो पेजेज जैसे डाटा से कुछ नाम और पते निकालकर एक सूची तैयार की गई और उसे पेगासस स्पाइवेयर से जासूसी कराए जाने से जोड़ दिया गया।

मीनाक्षी लेखी ने कहा, संयुक्त संसदीय समिति लोकसभा अध्यक्ष को सौंप चुकी है बिल

दूसरी तरफ, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने साफ कर दिया है कि पेगासस जासूसी से जुड़ी जिस सूची को फैलाया जा रहा है, उसका मूल डाटा से कोई लेना-देना नहीं है। यही नहीं, पेगासस स्पाइवेयर बनाने वाली इजरायली कंपनी एनएसओ ने बयान जारी कर कहा कि उसके ग्राहकों से इस कथित सूची का कोई लेना-देना नहीं है। मीनाक्षी लेखी के अनुसार, बिना किसी आधार के विवाद खड़ा किए जाने की एक वजह भारत और उसकी संस्थाओं को कमजोर करना है, ताकि भारतीयों के निजी डाटा को सुरक्षित बनाने के लिए कड़े प्रविधानों वाला कानून लाने जा रही सरकार दबाव में आ जाए और सरकार की मंशा पर ही सवालिया निशान लग जाए।

येलो पेजेज जैसे डाटा से कुछ नाम और पते निकालकर जासूसी से जोड़ दिया गया

उन्होंने कहा कि सरकार आम आदमी से जुड़े डाटा को सुरक्षित करने का प्रयास कर रही है। उसे पटरी से उतारने के लिए फर्जी खबर फैलाई जा रही है। ध्यान देने की बात है कि सरकार ने 2018 में डाटा प्रोटेक्शन बिल लोकसभा में पेश किया था और उसे संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया गया था। लेखी के अनुसार सभी राजनीतिक दलों के सदस्यों ने आम सहमति के विधेयक के प्रविधानों को अंतिम रूप दिया है।

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