संसदीय समिति ने श्रम मंत्रालय से कहा-नौकरियां जाने की सही जानकारी दें

एक संसदीय समिति ने श्रम और रोजगार मंत्रालय से कहा कि देश में कोविड के दौर में नौकरी खोने वालों की सही तस्वीर पेश करने के लिए वह विश्वसनीय एजेंसियों के जरिये की गई सेवानिवृत्ति पेंशन योजना ईपीएफओ के आंकड़ों और विश्लेषण का सही ब्योरा दें।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sun, 08 Aug 2021 06:51 PM (IST) Updated:Sun, 08 Aug 2021 06:51 PM (IST)
संसदीय समिति ने श्रम मंत्रालय से कहा-नौकरियां जाने की सही जानकारी दें
एक संसदीय समिति ने श्रम और रोजगार मंत्रालय से कहा कि

 नई दिल्ली, प्रेट्र। एक संसदीय समिति ने श्रम और रोजगार मंत्रालय से कहा कि देश में कोविड के दौर में नौकरी खोने वालों की सही तस्वीर पेश करने के लिए वह विश्वसनीय एजेंसियों के जरिये की गई सेवानिवृत्ति पेंशन योजना ईपीएफओ के आंकड़ों और विश्लेषण का सही ब्योरा दें। पिछले साल मार्च के महीने से लाकडाउन के प्रतिबंधों के दौरान देश में आर्थिक गतिविधियां मंद पड़ गई थीं।

पिछले हफ्ते संसद में पेश श्रम पर स्थायी समिति की 25वीं रिपोर्ट में कहा गया कि मंत्रालय को अन्य प्रतिष्ठित एजेंसियों के जुटाए आंकड़ों और शोधों पर भी विचार करना चाहिए। साथ ही ईपीएफओ के एकत्र किए डाटा के जरिये विश्वसनीय तरीके से बेरोजगारी की दर या नौकरियां जाने का पता लगाया जा सकता है। इससे कोविड के कारण नौकरियों में आई कमी की सही जानकारी मिल जाएगी।

स्थायी समिति का कहना है कि इस दिशा में उचित कदम उठाए जाने की जरूरत है। समिति का कहना है कि कोविड के दौरान ईपीएफओ पेरोल 2020-21 में 77.08 लाख गया है। जबकि 2019-20 में यह 78.58 लाख था। यह तब है जब 2020-21 के वित्तीय वर्ष में लाकडाउन की वजह से अप्रैल और मई के महीने में कोई पेरोल नहीं गया है।

हालांकि समिति ने अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के कराए एक शोध की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि आधे औपचारिक रूप से काम करने वाले कर्मचारी अनौपचारिक कर्मचारी की श्रेणी में आ गए हैं। अनौपचारिक कर्मचारी या तो स्वरोजगार (30 फीसद) वाले बन गए या कैजुअल वेज (10 फीसद) हो गए। अनौपचारिक वेतनभोगी 2019 और 2020 के बीच नौ फीसद हैं।

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