संसदीय कार्यवाही सुचारू होने के संकेत, राज्यसभा से निलंबित सदस्यों के मुद्दे पर सरकार-विपक्ष में हो रही बात

तीन दिनों तक बाधित रही संसद की कार्यवाही गुरुवार को थोड़ी नियमित हुई। शुरुआती व्यवधान के बाद कामकाज चला। अब इसकी कोशिश तेज हो गई है कि आगे भी यह सुचारू रूप से चले और इसके संकेत मिले भी हैं।

By TaniskEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 07:24 PM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 12:32 AM (IST)
संसदीय कार्यवाही सुचारू होने के संकेत, राज्यसभा से निलंबित सदस्यों के मुद्दे पर सरकार-विपक्ष में हो रही बात
दोनों सदनों में शुरू हुआ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा का सिलसिला।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। तीन दिनों तक बाधित रही संसद की कार्यवाही गुरुवार को थोड़ी नियमित हुई। शुरुआती व्यवधान के बाद कामकाज चला। अब इसकी कोशिश तेज हो गई है कि आगे भी यह सुचारू रूप से चले और इसके संकेत मिले भी हैं। लिहाजा बंद दरवाजे के पीछे सरकार और विपक्ष के बीच 12 सदस्यों का निलंबन खत्म करने पर भी बातचीत चल रही है। इसके लिए विपक्षी दलों के नेताओं को यह भरोसा देना होगा कि भविष्य में उनके सांसद अमर्यादित व्यवहार नहीं करेंगे।

राज्यसभा में तो अवरोध का यह एक कारण था, लेकिन लोकसभा बेवजह बाधित हो रही है। बताते हैं कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विभिन्न दलों के नेताओं के साथ अनौपचारिक चर्चा की। उन्हें भरोसा दिया कि संसदीय परंपरा के लिहाज से कोई भी किसी भी मुद्दे को उठाना चाहे तो उन्हें परहेज नहीं है। लेकिन उन्हें भी लोकसभा अध्यक्ष के फैसले पर भरोसा करना सीखना होगा।

लोकसभा में कोरोना पर चर्चा

दो दिन से फसल खरीद को लेकर वेल में आ रहे तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के सदस्यों को उन्होंने बोलने का मौका भी दिया। नतीजा यह हुआ कि लोकसभा में एक बिल चर्चा के बाद पारित हुआ और गुरुवार सुबह के व्यवधान के बाद कोरोना पर चर्चा शुरू हो गई। अफसोस की बात है कि इस मुद्दे पर चर्चा में सदस्यों की रुचि नहीं दिखी और उपस्थिति कोरम से कम ही रही। बहरहाल, माना जा रहा है कि अब लोकसभा नियमित रहेगी।

राज्यसभा में भी बांध सुरक्षा विधेयक पर चर्चा शुरू हो गई

दरअसल, तृणमूल के रुख के कारण विपक्ष के अंदर बेचैनी है और अधिकतर दल चाहते हैं कि उनके मुद्दे सदन में उठें। यही कारण है कि दो दिनों से निलंबन वापसी पर अड़ी कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों ने महंगाई, किसान आदि के मुद्दे पर चर्चा की मांग की। मांग नहीं मानी गई तो वाकआउट भी किया। लेकिन गुरुवार दोपहर बाद राज्यसभा में भी बांध सुरक्षा विधेयक पर चर्चा शुरू हो गई और इस दौरान कांग्रेस, तृणमूल, द्रमुक समेत दूसरे विपक्षी दल भी मौजूद थे।

विपक्ष को अपने तेवर नरम करने ही पड़ेंगे

बताते हैं कि यह कोशिश भी तेज है कि निलंबित सांसदों को फिर से सदन में आने का मौका दिया जाए। सभापति वेंकैया नायडू ने विपक्षी दलों से कहा कि यह फैसला सदन का है, लिहाजा वे सरकार से बात करें और आचरण मर्यादित रखें। दोनों पक्षों की सहमति हो तो वह विचार कर सकते हैं। वैसे सरकारी पक्ष का कहना है कि विपक्ष को अपने तेवर नरम करने ही पड़ेंगे और यह भरोसा भी देना होगा कि भविष्य में इस तरह का आचरण नहीं करेंगे।

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