उत्तर प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों में 14 लाख से ज्यादा फर्जी बच्चे, भोजन वितरण में फर्जीवाड़ा

भोजन वितरण में खामियों को देखते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने सभी राज्य सरकारों को बच्चों का सत्यापन कराने का निर्देश दिया था।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sun, 18 Nov 2018 10:24 PM (IST) Updated:Mon, 19 Nov 2018 12:04 AM (IST)
उत्तर प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों में 14 लाख से ज्यादा फर्जी बच्चे, भोजन वितरण में फर्जीवाड़ा
उत्तर प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों में 14 लाख से ज्यादा फर्जी बच्चे, भोजन वितरण में फर्जीवाड़ा

नई दिल्ली, प्रेट्र। उत्तर प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीकृत 14 लाख से ज्यादा बच्चे फर्जी पाए गए हैं। इन बच्चों के पंजीकरण को आधार से जोड़ने पर यह फर्जीवाड़ा सामने आया है। बता दें कि देश भर में लगभग 14 लाख आंगनबाड़ी केंद्र और 10 करोड़ लाभार्थी हैं, जिनमें छह साल तक बच्चे, गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माताएं शामिल हैं।

बच्चों के नाम पर हर महीने 25 करोड़ की घपलेबाजी

आंकड़ों के मुताबिक देश भर के आंगनबाड़ी केंद्रों में एक करोड़ आठ लाख बच्चे पंजीकृत हैं। फरवरी, 2018 तक इन केंद्रों को 2,126 करोड़ रुपये आवंटित किए गए। प्रत्येक बच्चे के भोजन के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों को प्रतिदिन आठ रुपये मिलते हैं, इसमें केंद्र सरकार 4.80 रुपये और राज्य सरकार 3.20 रुपये का योगदान देती है।

देश भर में 14 लाख आंगनबाड़ी केंद्र और 10 करोड़ लाभार्थी

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश के 1.88 आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीकृत 14.57 लाख लाभार्थी फर्जी पाए गए हैं। फर्जी बच्चों की पहचान हो जाने से हर महीने करीब 25 करोड़ रुपये बचाए जा सकेंगे।

अधिकारी के मुताबिक देश भर के आंगनबाड़ी केंद्रों में फर्जी बच्चों की पहचान और उनके नाम हटाने की प्रक्रिया जुलाई से चल रही है। जुलाई में असम सरकार में बच्चों के भौतिक पहचान के दौरान 14 लाख लाभार्थी फर्जी पाए गए थे।

भोजन वितरण में खामियों को देखते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने सभी राज्य सरकारों को बच्चों का सत्यापन कराने का निर्देश दिया था ताकि असली जरूरतमंद बच्चों को लाभ मिल सके। सितंबर में मेनका ने बताया था कि लगभग एक करोड़ फर्जी लाभार्थी पाए गए थे, जिनके पंजीकरण को रद कर दिया गया है। 

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