विधेयकों को पारित कराने के खिलाफ एकजुट होगा विपक्ष, मानसून सत्र के आखिरी हफ्ते में भी गतिरोध टूटने के आसार नहीं

मानसून सत्र के आखिरी हफ्ते में भी विपक्ष पेगासस जासूसी कांड पर बहस की मांग का अपना रुख नहीं बदलेगा और दोनों सदनों में कई अहम विधेयकों को बिना चर्चा आनन-फानन में पारित कराए जाने को भी मुद्दा बनाएगा।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sun, 08 Aug 2021 09:03 PM (IST) Updated:Mon, 09 Aug 2021 08:17 AM (IST)
विधेयकों को पारित कराने के खिलाफ एकजुट होगा विपक्ष, मानसून सत्र के आखिरी हफ्ते में भी गतिरोध टूटने के आसार नहीं
मानसून सत्र के आखिरी हफ्ते में भी विपक्ष पेगासस जासूसी कांड पर बहस की मांग का अपना रुख नहीं बदलेगा।

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। मानसून सत्र के आखिरी हफ्ते में भी विपक्ष पेगासस जासूसी कांड पर बहस की मांग का अपना रुख नहीं बदलेगा और दोनों सदनों में कई अहम विधेयकों को बिना चर्चा आनन-फानन में पारित कराए जाने को भी मुद्दा बनाएगा। विपक्षी नेताओं ने संकेत दिया है कि संसद में विपक्षी आवाज की हो रही अनदेखी के साथ विधेयकों को पारित कराने के सवाल को विपक्षी दल राष्ट्रपति के पास ले जाने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं।

जारी किया वीडियो

संसद में पेगासस पर अपनी बात रख पाने में नाकाम रहे विपक्षी नेताओं ने रविवार को एक संयुक्त वीडियो जारी कर साफ संकेत दिया कि बीते 14 दिनों से पेगासस कांड पर दोनों सदनों में जारी गतिरोध अगले हफ्ते भी थमने वाला नहीं है। विपक्ष पेगासस जासूसी कांड मानसून सत्र के पहले दिन से ही उठा रहा है। बीते तीन हफ्ते से एकजुट विपक्ष के हंगामे के चलते संसद की कार्यवाही लगातार बाधित रही है।

राष्‍ट्रपति के पास जाने की तैयारी

संसद में विपक्षी दलों की अगुआई कर रही कांग्रेस ने आगे की रणनीति को लेकर कहा कि पेगासस और किसानों के मुद्दे पर विपक्षी नेताओं का मानना है कि असल में सरकार गतिरोध को तोड़ना ही नहीं चाहती। वह पेगासस मुद्दे पर बहस के लिए तैयार नहीं है। इसीलिए संसदीय परंपरा की गंभीर अनदेखी कर हंगामे और अव्यवस्था के बीच औसतन पांच मिनट में विधेयक पारित करा रही है। ऐसे में संवैधानिक मर्यादा पर हो रहे प्रहार का मसला राष्ट्रपति के समक्ष उठाया जाए, इसको लेकर सभी विपक्षी दल सहमत हैं।

लोकतंत्र में विपक्ष की अहमियत

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस बारे में कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष की आवाज की अहमियत होती है। हमारे संसदीय इतिहास में अनेकों बार इस तरह के गतिरोध का हल निकालने के लिए सरकारों ने पहल की है। लेकिन मोदी सरकार पेगासस पर बहस की साधारण मांग नहीं मान रही। उलटे इस गतिरोध में विधेयकों को आनन-फानन में पारित कर लोकतंत्र में विपक्ष की आवाज पर बुल्डोजर चलाने का प्रयास कर रही है।

संसदीय परंपरा की अनदेखी का आरोप

अधीर रंजन चौधरी ने विधेयकों को इस तरह से पारित कराए जाने पर विपक्षी दलों के अगले कदमों की तैयारी का संकेत देते हुए कहा कि जब सरकार ही संसदीय परंपरा की अनदेखी कर रही हो, तब एकजुट होकर विपक्ष को इसका विरोध करना ही पड़ेगा।

जारी रहेगा गतिरोध

पेगासस पर विपक्ष का आक्रामक रुख सोमवार को दोनों सदनों में जारी रहेगा, इसका साफ संदेश देने के लिए विपक्षी नेताओं ने रविवार को एक साझा वीडियो इंटरनेट मीडिया पर जारी किया। इसमें पेगासस और किसानों के मुद्दे पर संसद में चर्चा नहीं कराने को लेकर सरकार को घेरा गया है। राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन ने अपने ट्विटर हैंडल पर यह वीडियो जारी किया।

विपक्ष को सुनने की अपील

इस वीडियो में सरकार से पेगासस और किसानों के मुद्दे पर विपक्ष की बात सुनने की अपील की गई है। तीन मिनट के वीडियो में प्रमुख विपक्षी नेताओं की छोटी-छोटी क्लिपिंग है। डेरेक ने कहा कि जब सरकारी टीवी चैनल विपक्ष को ब्लैक आउट करेंगे तो हमारे पास लोगों तक अपनी बात पहुंचाने का यही तरीका है।

बिना बहस के पास करा रहे बिल

राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि 14 दिन से पेगासस और किसानों के मुद्दे उठाए जा रहे हैं। मगर इसे नकारते हुए बिना बहस बिल पारित किए जा रहे हैं। इस संयुक्त वीडियो में कांग्रेस के मनीष तिवारी और दीपेंद्र हुड्डा, राजद के मनोज झा, राकांपा की वंदना चव्हाण, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी के साथ द्रमुक, माकपा, भाकपा, सपा आदि के नेताओं ने भी पेगासस पर बहस नहीं कराने के लिए सरकार को आड़े हाथों लिया है। 

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