संसद सत्र के पहले ही दिन कृषि कानून वापस लेने की तैयारी तेज, सांसदों को व्हिप जारी

तीनों नए कृषि कानूनों को रद करने के लिए संसद के शीत सत्र के पहले ही दिन लोकसभा से पारित कराने की सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। इस क्रम में राजग और भाजपा के सभी सांसदों को व्हिप जारी किया जा रहा है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Thu, 25 Nov 2021 07:43 PM (IST) Updated:Sat, 27 Nov 2021 07:13 AM (IST)
संसद सत्र के पहले ही दिन कृषि कानून वापस लेने की तैयारी तेज, सांसदों को व्हिप जारी
संसद के शीत सत्र के पहले ही दिन लोकसभा से पारित कराने की सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है।

 नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। तीनों नए कृषि कानूनों को रद करने के लिए संसद के शीत सत्र के पहले ही दिन लोकसभा से पारित कराने की सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। इस क्रम में राजग और भाजपा के सभी सांसदों को व्हिप जारी किया जा रहा है। केंद्र सरकार कृषि कानूनों को पहले ही दिन रद कर आंदोलनकारी किसानों की सबसे बड़ी मांग पूरा करना चाहती है। सरकार इस कदम के जरिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किसानों से 19 नवंबर को किए गए वादे को पूरा करेगी। कृषि कानूनों की वापसी से संबंधित तीनों विधेयक सोमवार से शुरू हो रहे शीत सत्र के पहले ही दिन कार्यसूची में शामिल करने की विधायी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

सदन में उपस्थित रहने के लिए भाजपा सांसदों के लिए व्हिप जारी

भाजपा के सांसदों को पार्टी के चीफ व्हिप राकेश सिंह की ओर से उस दिन अनिवार्य से सदन में उपस्थित रहने के लिए निर्देश जारी किया जा रहा है। कृषि कानूनों की वापसी का विधेयक पारित कराने में विपक्षी दल कोई अड़ंगा लगाएंगे इसकी गुंजाइश नहीं है। किसान आंदोलन का शुरू से समर्थन करता आ रहा विपक्ष तीनों कानूनों की वापसी की मांग पर अड़ा था। कृषि कानूनों की वापसी संबंधी तीनों विधेयकों पर केंद्रीय कैबिनेट बुधवार को ही मुहर लगा दी थी।

कानून रद करने संबंधी विधेयक पहले लोकसभा में लाने की संभावना

संसदीय प्रक्रिया की सामान्य परंपरा के अनुसार कानूनों की वापसी के लिए अमूमन विधेयक उसी सदन में पेश किया जाता है जिस सदन में यह पहले पारित हुआ हो। कृषि कानूनों को पिछले वर्ष सबसे पहले लोकसभा में ही पेश और पारित किया गया था। उसके बाद राज्यसभा में भारी हंगामे के बीच उन्हें पारित किया गया। इस हिसाब से कृषि कानूनों की वापसी संबंधी विधेयक पहले लोकसभा में पेश होने हैं। हालांकि सरकार पर कोई बंदिश नहीं है। वह चाहे तो पहले राज्यसभा का रास्ता भी चुन सकती है। मगर सदन में बड़े संख्या बल को देखते हुए सरकार के लिए पहले लोकसभा का विकल्प अधिक उपयुक्त है।

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