Special Interview : ओम बिरला बोले- हम चाहते हैं सभी सांसद लें वैक्सीन और सुचारू रूप से चले संसद

कोरोना के तीव्र प्रकोप से बाहर आकर अब जबकि गतिविधियां सामान्य होने लगी हैं तो यह सवाल भी उठने लगा है कि क्या सामान्यतया जुलाई-अगस्त में शुरू होने वाला संसद का मानसून सत्र नियमित होगा। जानें लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने क्‍या कहा...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 07:57 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 11:30 PM (IST)
Special Interview : ओम बिरला बोले- हम चाहते हैं सभी सांसद लें वैक्सीन और सुचारू रूप से चले संसद
क्या जुलाई-अगस्त में शुरू होने वाला संसद का मानसून सत्र नियमित होगा। जानें लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने क्‍या कहा...

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। कोरोना के तीव्र प्रकोप से बाहर आकर अब जबकि गतिविधियां सामान्य होने लगी हैं तो यह सवाल भी उठने लगा है कि क्या सामान्यतया जुलाई-अगस्त में शुरू होने वाला संसद का मानसून सत्र नियमित होगा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला कहते हैं कि वह भी चाहते हैं कि ऐसा हो, लेकिन फैसला वक्त के अनुरूप होगा। वैसे उनका मानना है कि कोरोना काल में भी संसद की गतिविधि बहुत प्रभावित नहीं हुई। नए संसद भवन निर्माण विवाद से चकित बिरला बताते हैं कि संसद की समितियों की बैठक में भी किसी दल ने विरोध नहीं किया था। दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख आशुतोष झा से बातचीत का एक अंश-

सवाल- बतौर लोकसभा अध्यक्ष आपके कार्यकाल के पहले दो साल का ज्यादा वक्त कोरोना संकट में गुजरा। सीमित सत्रावधि, सदस्यों की कम संख्या, आशंका आदि। संसद के कामकाज से कितने संतुष्ट हैं?

उत्तर- यह सच है कि आशंकाओं के बीच हमें बहुत कुछ सीमित करना पड़ा, लेकिन कामकाज सीमित नहीं रहा। सदन की उत्पादकता 122 फीसद रही। कोविड के समय के विधेयक को देखें तो ज्यादा चर्चा हुई। दो साल में हमने लोकसभा से 107 विधेयक पारित किए। जो सदस्य मौजूद थे उनमें उत्साह था। ये दो वर्ष कठिन थे, लेकिन हमने अधिकतम सक्रियता दिखाई।

सवाल - अब तो दूसरी लहर थमने की बात आ रही है तो क्या मानसून सत्र से बैठकें पूर्ववत सुचारू हो सकती हैं?

उत्तर- सत्र का वक्त तो सरकार तय करती है लेकिन कैसे चलेगा यह जरूर संसद तय करती है। एक बार सरकार अपना निर्णय ले तो फिर लोकसभा और राज्यसभा दोनों बैठकर उस वक्त की स्थिति के लिए लिहाज से तय करेंगे। मैं चाहूंगा कि शारीरिक दूरी और दूसरी सतर्कता के साथ नियमित बैठकें चले लेकिन यह अभी नहीं कहा जा सकता है।

सवाल- इसी सतर्कता को ध्यान में रखते हुए पिछली बैठकों में सत्र में भाग लेने वाले सदस्यों के लिए आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट जरूरी थी। क्या अब भाग लेने वाले सदस्यों के लिए वैक्सीन लेना आवश्यक बनाया जा सकता है?

उत्तर- हम आग्रह तो सभी से कर रहे हैं। अभी तक 425 सदस्यों ने वैक्सीन ली है और संसद को इसकी जानकारी दी है। कुछ तो मंत्री हैं। बाकी सदस्यों से हम आग्रह कर रहे हैं। हमने संसद के अंदर भी वैक्सीनेशन की व्यवस्था की थी। संसद सदस्यों को खुद आगे बढ़कर इसे लेना होगा।

सवाल - वैक्सीन को लेकर राजनीति होती रही है। विपक्ष उपलब्धता पर सवाल खड़ा कर रहा है और सत्ताधारी दल भाजपा ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से भी पूछा है कि क्या उन्होंने वैक्सीन ली है?

उत्तर- मैं इसका उत्तर नहीं दे सकता हूं, लेकिन हमारा कार्यालय भी सदस्यों से संपर्क कर रहा है। कई सदस्यों की ओर से जानकारी दी गई है। मुझे भरोसा है कि सभी सदस्य वैक्सीन लेंगे। यह खुद के लिए भी जरूरी है और क्षेत्र के लोगों में वैक्सीन के प्रति भरोसा बढ़ाने के लिए भी।

सवाल - पिछले दो वर्षों में कुछ संसदीय समितियों की कार्यप्रणाली को लेकर काफी विवाद रहा। खासकर आइटी मंत्रालय की स्थायी समिति में। आप कुछ कहेंगे?

उत्तर - समितियों को मैंने पिछली बार भी कहा था कि नियम प्रकिया का ध्यान रखें। औपचारिक रूप से हमारे पास कोई बात आएगी तो हम निश्चित रूप से निर्णय लेंगे। स्थायी समितियां बहुत अच्छा काम करती हैं। उन्हें विवाद में न जाकर काम पर ध्यान देना चाहिए जो राष्ट्रहित में हो।

सवाल - नए संसद भवन को लेकर भी विवाद काफी गहराया। विपक्ष की ओर से सवाल खड़ा किया जा रहा है।

उत्तर- विवाद क्यों हुआ यह मुझे समझ नहीं आता। पांच अगस्त को मैंने संसद में इसका जिक्र किया था। जब जनरल पर्पज कमेटी की बैठक हुई थी तब भी सभी दलों से राय ली गई थी। इसमें सभी राजनीतिक दलों के लोग थे। तब तो किसी ने भी आपत्ति नहीं की थी। अब सवाल उठाया जा रहा है।

सवाल - दो वर्षों में आपकी नजर में सबसे अहम उपलब्धि क्या है?

उत्तर - सक्रिय भागीदारी। संसद के प्रति आस्था और विश्वास बढ़ना। प्रश्नकाल हो या शून्यकाल या फिर नियम 377 के तहत सदस्यों में उत्साह बढ़ा। उन्हें अवसर मिला। उनकी भागीदारी बढ़ी। मुझे लगता है कि संसद और ज्यादा जिम्मेदारी से बढ़ेगी। 

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