निजी क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण को सरकार ने संसद में दिया जवाब, जानें क्या कहा
निजी क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। केंद्र सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में यह जानकारी दी।
नई दिल्ली, एएनआइ। निजी क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। केंद्र सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में यह जानकारी दी।
2006 में की थी समन्वय समिति की स्थापना
सामाजिक न्याय व अधिकारिकता मंत्रालय ने एक लिखित जवाब में कहा, 'उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार मंत्रालय का कहना है कि निजी क्षेत्र में आरक्षण का कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।' हालांकि, मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने वर्ष 2006 में निजी क्षेत्र में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के प्रति सकारात्मक कार्रवाई के लिए एक समन्वय समिति की स्थापना की थी। अब तक इस समिति की नौ बैठकें हो चुकी हैं। समिति की पहली बैठक में कहा गया था कि इस विषय पर सकारात्मक कार्रवाई की शुरुआत उद्योगों की तरफ से खुद की जानी चाहिए।
उद्योगों के प्रतिनिधियों के अनुसार आरक्षण समाधान नहीं
मंत्रालय ने कहा कि निजी क्षेत्र में आरक्षण के मुद्दे पर उद्योगों के प्रतिनिधियों के मत अलग हैं। उद्योगों के प्रतिनिधियों के अनुसार, 'आरक्षण समाधान नहीं है। लेकिन, हम कमजोर तबके और खासकर अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के लोगों के नियोजन की मौजूदा नीति को विस्तार देने के लिए सरकार या उचित एजेंसी के साथ काम करना चाहेंगे। इनमें कौशल विकास और प्रशिक्षण भी शामिल है।'
पिछले दिनों बसपा प्रमुख और यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने निजी क्षेत्र में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति और पिछड़ों के लिए आरक्षण की मांग की थी। इसके अलावा राजस्थान और मध्य प्रदेश की सरकारों ने स्थानीय युवाओं के लिए 70 फीसदी या उससे अधिक आरक्षण का प्रावधान किया है।