हाईकमान के लिए सिरदर्द साबित हो रही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद पर नई नियुक्तियां

बीएल संतोष के चंडीगढ़ से दिल्ली आने के बाद से प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए राज्य भाजपा कई नेता दिल्ली दरबार में लॉबिंग कर रहे हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sun, 07 Jun 2020 07:02 PM (IST) Updated:Sun, 07 Jun 2020 07:02 PM (IST)
हाईकमान के लिए सिरदर्द साबित हो रही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद पर नई नियुक्तियां
हाईकमान के लिए सिरदर्द साबित हो रही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद पर नई नियुक्तियां

बिजेंद्र बंसल, नई दिल्ली। भाजपा हाईकमान ने पांच दिन पहले दिल्ली, छत्तीसगढ़, मणिपुर के प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति की थी तो हरियाणा में सबकी नजर दिल्ली पर लग गई थी। हरियाणा में सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष के लिए यही जिज्ञासा बनी हुई है कि प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष कौन बनेगा।

लॉकडाउन के चलते भाजपा प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति में हुई देरी

जेपी नड्डा के पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद यही कयास लगाए जा रहे थे कि जिन राज्यों में अध्यक्ष का संगठन की दृष्टि से चुनाव नहीं हुआ है, उनमें नए अध्यक्ष की नियुक्ति पार्टी नेतृत्व शीघ्र करेगा। मगर लॉकडाउन के चलते हरियाणा, दिल्ली, छत्तीसगढ़, मणिपुर सहित गुजरात और हिमाचल प्रदेश के नए अध्यक्ष का फैसला नहीं हो सका है। दिल्ली, छत्तीसगढ़, मणिपुर के अध्यक्ष घोषित होने के बाद यह तय माना जा रहा था कि हरियाणा में अब कभी भी नए अध्यक्ष का मनोयन हो सकता है।

नेताओं की गुटबाजी के बीच क्षेत्रीय, जातीय आधार पर अटका है हरियाणा के नए अध्यक्ष का फैसला

इसका एक कारण यह भी था कि हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने 27 मई को प्रदेश प्रभारी डॉ.अनिल जैन और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान प्रदेश अध्यक्ष बनाने का मुद्दा गंभीरता से उठा दिया था। बावजूद इसके हरियाणा में नया अध्यक्ष नहीं बनाया गया। इसकी वजह यह है कि प्रदेश में नेताओं की आपसी गुटबाजी को देखते हुए हाईकमान तय नहीं कर पा रहा है कि किसे अध्यक्ष बनाएं और किसे नाराज करें।

अध्यक्ष पद के लिए एक नाम पर सहमति नहीं बन पा रही

प्रदेश भाजपा के प्रमुख नेताओं में अध्यक्ष पद के लिए एक नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है। राजनीतिक वर्चस्व की दृष्टि से मुख्यमंत्री मनोहर लाल और केंद्र के प्रमुख नेता ऐसा प्रदेशाध्यक्ष चाहते हैं जो मौजूदा मनोहर सरकार के लिए कोई चुनौती न बने बल्कि सहयोगात्मक दृष्टि से संगठन का काम बढ़ाए। इसके विपरीत भाजपा नेताओं का एक गुट ऐसा है जो यह चाहता है कि मौजूदा भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार के बीच से संगठन का काम तेजी से आगे बढ़ाए, ऐसे किसी एक नेता का नाम आगे आना चाहिए। इस क्रम में सबसे मजबूत नेता के रूप में पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु का नाम है।

पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु का नाम अध्यक्ष पद के लिए

कैप्टन के विरोधी यह तर्क दे रहे हैं कि यदि विधानसभा चुनाव में पराजित बड़े नेता को ही अध्यक्ष बनाना है तो फिर सुभाष बराला में क्या कमी है। हालांकि कैप्टन के नाम पर दिल्ली दरबार में काफी सकारात्मक भाव है। दिल्ली में पार्टी के नेता यह भी चाहते हैं कि प्रदेश अध्यक्ष की उम्र 55 साल से ज्यादा न हो। इस क्रम में प्रदेश महामंत्री संदीप जोशी, विधायक महीपाल ढांडा का नाम तेजी से चलाया जा रहा है। संदीप जोशी के बारे में यह कहा जा रहा है कि वह फरीदाबाद के हैं और वहां दो ब्राह्मण नेताओं को महत्व नहीं दिया जा सकता। मनोहर सरकार में परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा भी फरीदाबाद से ही हैं। वैश्य बिरादरी के कमल गुप्ता का नाम भी गंभीरता से लिया जा रहा था, लेकिन दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष पद वैश्य नेता को दिए जाने के कारण फिलहाल गुप्ता की दावेदारी कमजोर पड़ गई है।

बीएल संतोष की रिपोर्ट पर 11 दिन में नहीं हुआ फैसला

भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद के लिए 27 मई को चंडीगढ़ में संगठन व सरकार के नेताओं से अंतिम चर्चा करने गए थे। इसके बाद उन्होंने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष को भी दे दी है मगर इस रिपोर्ट को देने के 11 दिन बाद भी अध्यक्ष पद पर कोई फैसला नहीं हो सका है। संगठन की दृष्टि से देखें तो लॉकडाउन से पहले 20 फरवरी को भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री मुरलीधर राव व मंत्री सुनील देवधर ने दिल्ली व चंडीगढ़ में प्रदेशस्तरीय नेताओं के साथ अलग-अलग विमर्श कर रिपोर्ट बनाई थी। राव ने 22 फरवरी को रिपोर्ट आलाकमान को दे दी गई थी। बीएल संतोष के चंडीगढ़ से दिल्ली आने के बाद से प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए राज्य भाजपा कई नेता दिल्ली दरबार में लॉबिंग कर रहे हैं।

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