तत्काल तीन तलाक पर पाबंदी का अध्यादेश तीसरी बार जारी, चुनाव में बनेगा बड़ा मुद्दा

विपक्ष के विरोध और आपत्तियों के कारण तीन तलाक विधेयक के संसद में पारित न हो पाने के बाद केंद्र सरकार ने अध्यादेश का रास्ता अपनाया है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Thu, 21 Feb 2019 05:04 PM (IST) Updated:Thu, 21 Feb 2019 08:06 PM (IST)
तत्काल तीन तलाक पर पाबंदी का अध्यादेश तीसरी बार जारी, चुनाव में बनेगा बड़ा मुद्दा
तत्काल तीन तलाक पर पाबंदी का अध्यादेश तीसरी बार जारी, चुनाव में बनेगा बड़ा मुद्दा

नई दिल्ली, प्रेट्र । मुस्लिम समुदाय की कुप्रथा तत्काल तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने के प्रावधान वाला अध्यादेश गुरुवार को तीसरी बार जारी कर दिया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अध्यादेश 2019 पर दस्तखत कर दिए। आगामी लोकसभा चुनाव में यह बड़ा मुद्दा बनेगा, क्योंकि भाजपा मुस्लिम महिलाओं के हितों के संरक्षण पर अडिग है तो कांग्रेस ने सरकार बनने पर इसे रद करने का वादा किया है।

मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस अध्यादेश को फिर से जारी करने का फैसला लिया गया था। तलाके बिद्दत कहलाने वाले तत्काल तीन तलाक से संबंधित विधेयक को लोस की मंजूरी मिल चुकी है। लेकिन यह राज्यसभा में अटका रह गया क्योंकि सरकार के पास वहां बहुमत नहीं है। चूंकि तीन जून को मौजूदा 16वीं लोकसभा का कार्यकाल खत्म हो जाएगा, इसलिए यह विधेयक भी खत्म हो जाएगा।

एक साल से कम समय में तीसरी बार अध्यादेश

संसद की मंजूरी नहीं मिलने के कारण सरकार को यह अध्यादेश एक साल से भी कम समय में तीसरी बार जारी करना पड़ा है। विपक्ष व कुछ सामुदायिक नेताओं का कहना है कि विधेयक में पति को जेल भेजने का प्रावधान कानूनी रूप से अस्वीकार्य है। ज्ञात हो कि अध्यादेश में तत्काल तीन तलाक के जरिये दिए जाने वाले तलाक को अवैध व शून्य घोषित किया गया है। इस तरह से पत्नी को तलाक देने वाले पति को तीन साल जेल की सजा भुगतनी होगी।

तीन तलाक अध्यादेश राजनीतिक रूप से अहम

तीन तलाक अध्यादेश का खास महत्व है। दरअसल महिलाओं में बराबरी के लिहाज से इसे बड़ा हथियार माना जा रहा है। राजनीतिक रूप से भी इसे अहम माना जा रहा है। पहली बार सितंबर 2018 में अध्यादेश लाया गया था लेकिन विपक्ष ने राज्य सभा में इससे संबंधित विधेयक का रास्ता रोक दिया था।

बाद में सरकार कुछ बदलाव के साथ फिर से अध्यादेश लेकर आइ। विधेयक में संशोधन भी हुए लेकिन राज्यसभा मे अड़चन के कारण फिर से विधेयक रद हो गया और उसके साथ ही अध्यादेश भी।

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