MP Byelection 2020: मध्य प्रदेश में बसपा की नुक्कड़ बैठकों में गूंज रहा एट्रोसिटी एक्ट

मध्य प्रदेश की सभी 28 सीटों पर उपचुनाव लड़ रही बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की नुक्कड़ बैठकों में इस बार एट्रोसिटी एक्ट का मुद्दा गूंज रहा है। इस एक्ट को लेकर हुई हिंसा के दौरान दर्ज मुकदमों को वापस लेने का वादा पार्टी नेता कर रहे हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Wed, 28 Oct 2020 08:25 PM (IST) Updated:Wed, 28 Oct 2020 08:25 PM (IST)
MP Byelection 2020: मध्य प्रदेश में बसपा की नुक्कड़ बैठकों में गूंज रहा एट्रोसिटी एक्ट
एमपी में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की नुक्कड़ बैठक की सांकेतिक फोटो।

मोहम्मद रफीक, भोपाल। मध्य प्रदेश की सभी 28 सीटों पर उपचुनाव लड़ रही बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की नुक्कड़ बैठकों में इस बार एट्रोसिटी एक्ट का मुद्दा गूंज रहा है। इस एक्ट को लेकर हुई हिंसा के दौरान दर्ज मुकदमों को वापस लेने का वादा पार्टी नेता कर रहे हैं। भाजपा के कार्यकाल में प्रकरण दर्ज होने और प्रकरण वापस लेने के कांग्रेस के वादे के बेदम होने के बाद परंपरागत मतदाता बसपा से आस लगाए बैठे हैं और भरोसा भी जता रहे हैं।

एक्ट के विरोध में हुई हिंसा के दौरान दर्ज मुकदमे वापस लेने पर जोर

उपचुनाव की शुआत से ही बसपा ने इस बार बड़ी सभाओं की जगह नुक्कड़ बैठकों को महत्व दिया था। इनमें बसपा ने एट्रोसिटी एक्ट (अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निरोधक अधिनियम) को लेकर हुई हिंसा के दौरान दर्ज मुकदमों को प्रमुखता से उठाया। बसपा के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने पीडि़तों को यह भरोसा दिलाया कि पार्टी मजबूत स्थिति में आती है तो झूठे मुकदमों को वापस लिया जाएगा।

मालूम हो, भाजपा के कार्यकाल में एट्रोसिटी एक्ट में बदलाव के विरोध को लेकर हिंसा हुई थी और हजारों लोगों पर हत्या, हत्या के प्रयास और लूट जैसी धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किए गए थे। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस ने इन प्रकरणों को वापस लेने का वादा किया था और लोगों ने कांग्रेस पर भरोसा भी जताया था। हालांकि कांग्रेस ने मुकदमे वापस नहीं लिए। बहुजन समाज के लिए लंबे समय से काम कर रही बसपा परंपरागत वोटरों में इस मुद्दे पर भरोसा जीतने का दावा कर रही है। पार्टी नेता पिछड़ा वर्ग को 27 फीसद आरक्षण देने की बात भी बैठकों में कर रहे हैं।

एट्रोसिटी एक्ट को लेकर बसपा की दलील

बसपा नेताओं का कहना है कि दो अप्रैल 2018 में भाजपा सरकार के समय हुए दंगों में अनुसूचित जाति/जनजाति के हजारों लोगों पर झूठे प्रकरण दर्ज किए गए। इनमें बड़ी संख्या युवाओं की है। छात्रावासों में रह रहे छात्रों को बिना किसी जांच के आरोपित बना दिया गया। कांग्रेस ने एक भी मुकदमा वापस नहीं लिया। लोग अदालतों के चक्कर लगा रहे हैं।

यह था मामला

वर्ष 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (एससी/एसटी एक्ट 1989) के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। उसी वर्ष दो अप्रैल को अजा/जजा संगठनों ने भारत बंद किया था। देश में कई जगह हिंसा हुई और करीब एक दर्जन लोगों की जान गई। बाद में केंद्र सरकार ने कानून में संशोधन किया, लेकिन इस दौरान दर्ज प्रकरणों का मामला हल नहीं हुआ।

बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल ने कहा कि लोगों पर झूठे केस दर्ज करने से आक्रोश है। भाजपा ने केस दर्ज किए और कांग्रेस ने इन्हें हटाया नहीं। यह केस द्वेष भावना से लगाए गए थे। लोगों को भरोसा है कि यह काम बसपा करेगी। हमारा स्पष्ट मत है जिस किसी पर भी झूठे केस दर्ज किए गए हैं, उन्हें हटाया जाना चाहिए।

 
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