कैबिनेट का फैसला: स्कूली शिक्षा भरेगी नई उड़ान, प्ले स्कूल की तर्ज पर सभी सरकारी विद्यालयों में खुलेंगी बाल वाटिका

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2026 तक स्कूली शिक्षा के लिए समग्र शिक्षा योजना को जारी रखने की मंजूरी दी कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय का दायरा बढ़ाया जा रहा है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 04:27 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 07:27 AM (IST)
कैबिनेट का फैसला: स्कूली शिक्षा भरेगी नई उड़ान, प्ले स्कूल की तर्ज पर सभी सरकारी विद्यालयों में खुलेंगी बाल वाटिका
केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान

 नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुरूप स्कूली शिक्षा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने और उसके बुनियादी ढांचे को मजबूती देने के लिए केंद्र सरकार ने बुधवार को कई अहम फैसले किए। इसके तहत अगले पांच साल में स्कूली शिक्षा पर करीब तीन लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जो केंद्र और राज्य दोनों मिलकर उठाएंगे। सभी सरकारी स्कूलों में प्ले स्कूल की तर्ज पर बाल वाटिका खुलेंगी। यहां तीन साल से अधिक उम्र के बच्चों को खिलौनों पर आधारित शिक्षा दी जाएगी। वहीं, अगले दो सालों में देश के सभी स्कूलों को डिजिटल बोर्ड सहित दूसरे अत्याधुनिक संसाधनों से भी लैस किया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में बुधवार को हुई आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक में लिए गए फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप स्कूली शिक्षा को नई ऊंचाई देने के लिए समग्र शिक्षा योजना को नए स्वरूप में लांच किया गया है। यह योजना एक अप्रैल, 2021 से लागू मानी जाएगी और 31 मार्च, 2026 तक प्रभावी रहेगी।

उन्होंने कहा कि योजना के स्वरूप में बदलाव से स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में और सुधार आएगा। साथ ही स्कूलों के बुनियादी ढांचे के भी मजबूती दी जाएगी। अब तक इस योजना के तहत स्कूलों पर सालाना औसतन करीब 31 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाते थे, जो रकम बढ़कर अब करीब 40 हजार करोड़ रुपये हो गई है। प्रधान ने कहा कि सभी सरकारी स्कूलों में भी अब प्ले स्कूल की तर्ज पर बाल वाटिका खुलेंगी। फिलहाल अभी 1.84 लाख स्कूलों से इसकी शुरुआत की जा रही है। बाकी के स्कूलों को अभी आंगनबाड़ी से जोड़ा गया है।

मौजूदा समय में देश में करीब 11.60 लाख सरकारी स्कूल हैं। इस दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने की भी योजना बनाई गई है। इसके साथ ही स्कूलों में पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों को खास प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

निपुण भारत के नाम से नई योजना

स्कूलों में निपुण भारत नाम से एक नई योजना भी शुरू की जाएगी। इसमें बच्चों को शुरुआती कक्षाओं में ही अनिवार्य रूप से शब्द और संख्या ज्ञान की पढ़ाई कराई जाएगी। इस योजना में अमेरिका ने भी मदद को लेकर रूचि दिखाई है। इस योजना के तहत सभी स्कूलों को अगले दो साल में डिजिटल बोर्ड सहित पढ़ाई से जुड़ी दूसरी तकनीक से भी लैस किया जाएगा।

योजना के बदले स्वरूप में और क्या

- दूर-दराज के क्षेत्रों से स्कूल आने वाले बच्चों को सालाना छह हजार रुपये का ट्रांसपोर्ट भत्ता दिया जाएगा। इसके दायरे में फिलहाल सेकेंडरी तक के बच्चे होंगे, जहां स्कूल नहीं है

- प्रत्येक स्कूली बच्चे को अब साल में 10 घंटे का एक इंटर्नशिप कोर्स भी करना होगा। इसमें बच्चे की रुचि के मुताबिक किसी स्किल सेंटर या बढ़ई, पेंटर आदि से रूबरू कराया जाएगा

- रानी लक्ष्मीबाई आत्म रक्षा प्रशिक्षण में लड़कियों को छठवीं से सेल्फ डिफेंस का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए स्कूलों को हर महीने पांच हजार रुपये दिए जाएंगे

- सभी बालिका छात्रावासों में सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन भी लगाई जाएगी

- राष्ट्रीय स्तर पर किसी खेल में यदि किसी स्कूल के दो बच्चे चयनित होते है, तो उससे 25 हजार रुपये ज्यादा वित्तीय मदद दी जाएगी

-फैसले की अहम बातें

- 'समग्र शिक्षा योजना' को पांच साल और जारी रखने पर लगी मुहर

- सभी कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों को 12वीं तक किया जाएगा

- मौजूदा सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में स्ट्रीम के बजाय नए विषय जोड़े जाएंगे

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