जानिये 'हिंदुत्व एक जीवन शैली' वाले फैसले से मनमोहन सिंह क्‍यों हुए नाखुश

मनमोहन सिंह ने कहा कि इसने वास्तव में एक तरह की संवैधानिक पवित्रता को खंडित कर दिया, जिसे बोम्मई फैसले के जरिये सुप्रीम कोर्ट की नौ सदस्यीय पीठ ने बहाल किया था।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 25 Sep 2018 11:32 PM (IST) Updated:Wed, 26 Sep 2018 12:08 AM (IST)
जानिये 'हिंदुत्व एक जीवन शैली' वाले फैसले से मनमोहन सिंह क्‍यों हुए नाखुश
जानिये 'हिंदुत्व एक जीवन शैली' वाले फैसले से मनमोहन सिंह क्‍यों हुए नाखुश

नई दिल्ली, आइएएनएस/प्रेट्र। दिवंगत जस्टिस जेएस वर्मा के प्रसिद्ध एवं विवादित 'हिंदुत्व एक जीवन शैली' फैसले पर अब असहमति जताते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को कहा कि इस फैसले ने राजनीतिक बहस को एकतरफा बना दिया।

जबकि, एक संस्थान के तौर पर न्यायपालिका को संविधान की धर्मनिरपेक्ष भावना को बनाए रखने के अपने बुनियादी कर्तव्य को नहीं भूलना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि सेना को धार्मिक अपीलों से अछूता रखने की जरूरत है।

दिवंगत कम्युनिस्ट नेता एबी बर्धन के दूसरे मेमोरियल लेक्चर में पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि इस काम की अब ज्यादा जरूरत है क्योंकि राजनीतिक विवादों और चुनावी लड़ाइयों में अब धार्मिक बयानबाजी, चिह्नों, मिथकों और पूर्वाग्रहों की अधिकता हो गई है।

दिवंगत जस्टिस वर्मा के फैसले की आलोचना करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि इसने वास्तव में एक तरह की संवैधानिक पवित्रता को खंडित कर दिया, जिसे बोम्मई फैसले के जरिये सुप्रीम कोर्ट की नौ सदस्यीय पीठ ने बहाल किया था। जस्टिस वर्मा के फैसले पर टिप्पणी करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, 'इस फैसले ने हमारी राजनीतिक बहस को कहीं न कहीं एकतरफा बना दिया, और कई लोग मानते हैं कि इस बात में कोई संदेह नहीं हो सकता कि फैसले को खारिज किए जाने की जरूरत है।'

29 सितंबर को सर्जिकल स्ट्राइक्स की दूसरी वर्षगांठ मनाने के सरकार के फैसले के मद्देनजर मनमोहन सिंह ने कहा कि सशस्त्र सेनाएं देश के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप की शानदार अभिव्यक्ति हैं। यह बेहद जरूरी है कि उन्हें किसी भी तरह की धार्मिक अपीलों से अछूता रखा जाए।

राजनीतिज्ञों, जोड़-तोड़ और साजिशों से उन्हें दूर रखने का शानदार रिकॉर्ड रहा है। भारत के लोकतांत्रिक ढांचे में चुनाव आयोग के महत्व को रेखांकित करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा, आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि धर्म, धार्मिक भावनाएं और पूर्वाग्रह चुनावी बहस को प्रभावित न कर पाएं।

chat bot
आपका साथी