VIDEO: महात्मा गांधी जी के कहने पर सावरकर ने अंग्रेजों को लिखी थी दया याचिका: राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सावरकर हिंदुत्व को मानते थे लेकिन वे हिंदूवादी नहीं थे। वे राष्ट्रवादी थे। 20वीं सदी के सबसे बड़े सैनिक व रक्षा विशेषज्ञ थे। उन्होंने बताया कि सावरकर के बारे में तमाम भ्रांतियों को फैलाया गया और उन्हें हेय दृष्टि से देखा गया।
नई दिल्ली, एएनआइ। राजनाथ सिंह ने कहा कि सावरकर के बारे में तमाम भ्रांतियों को फैलाया गया और उन्हें हेय दृष्टि से देखा गया। उन्हें फासीवादी व नाजीवादी जैसे उपमाएं दी गई। राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान की अनदेखी गई। ऐसा करने में एक विचारधारा से जुड़े लोग आगे रहे। इसे न्याय संगत नहीं कहा जा सकता है। राष्ट्रवादी सावरकर महानायक थे और रहेंगे। उन्होंने दावा किया कि सावरकर ने जेल में बंद होने पर अंग्रेजों को माफी की चिट्ठी महात्मा गांधी के कहने पर लिखी थी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्र नायकों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के बारे में वाद प्रतिवाद हो सकते हैं लेकिन विचारधारा के चश्मे से देखकर वीर सावरकर के योगदान की उपेक्षा करना और उन्हें अपमानित करना क्षमा योग्य और न्यायसंगत नहीं है। राजनाथ सिंह ने कहा कि अंग्रेजों के समक्ष दया याचिका के बारे में एक खास वर्ग के लोगों के बयानों को गलत ठहराते हुए यह दावा किया कि महात्मा गांधी के कहने पर सावरकर ने अंग्रेजों के समक्ष दया याचिका दी थी। उन्होंने कहा कि सावरकर के बारे में काफी झूठ फैलाया गया।
#WATCH | Lies were spread about Savarkar. Time & again, it was said that he filed mercy petitions before British Govt seeking his release from jail... It was Mahatma Gandhi who asked him to file mercy petitions: Defence Minister Rajnath Singh at launch of a book on Savarkar y'day pic.twitter.com/Pov4mI0Ieg
राजनाथ सिंह ने उदय माहूरकर और चिरायु पंडित की पुस्तक 'वीर सावरकर हु कुड हैव प्रीवेंटेड पार्टिशन' के विमोचन कार्यक्रम में यह बात कही। इसमें सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी हिस्सा लिया। सिंह ने कहा कि एक खास विचारधारा से प्रभावित तबका वीर सावरकर के जीवन एवं विचारधारा से अपरिचित है और उन्हें इसकी सही समझ नहीं है, वे सवाल उठाते रहे हैं।'
उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्र नायकों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के बारे में वाद प्रतिवाद हो सकते हैं लेकिन उन्हें हेय दृष्टि से देखना किसी भी तरह से उचित और न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता है। राजनाथ सिंह ने कहा कि वीर सावरकर महान स्वतंत्रता सेनानी थे, ऐसे में विचारधारा के चश्मे से देखकर उनके योगदान की अनदेखी करना और उनका अपमान करना क्षमा योग्य नहीं है।