मध्य प्रदेश: लव जिहाद को रोकने के लिए धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक विधानसभा में आज होगा पेश

लव जिहाद को रोकने के लिए मध्य प्रदेश विधानसभा में आज धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक पेश किया जाएगा। मध्य प्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा(Home Minister Dr. Narottam Mishra) आज विधानसभा में धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक(Religious freedom bill) पेश करेंगे।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 08:20 AM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 08:32 AM (IST)
मध्य प्रदेश: लव जिहाद को रोकने के लिए धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक विधानसभा में आज होगा पेश
मध्य प्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा पेश करेंगे अधिनियम। (फोटो: दैनिक जागरण/फाइल)

भोपाल, राज्य ब्यूरो। लव जिहाद को रोकने और इस पर लगाम लगाने के लिए मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार लगातार जुटी हुई है। इसी क्रम में मध्य प्रदेश में लव जिहाद को रोकने के लिए शिवराज सरकार की ओर से आज विधानसभा में धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक पेश किया जाएगा। सरकार की ओर से गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा(Home Minister Dr. Narottam Mishra)  इसे आज विधानसभा में पेश करेंगे।

सरकार ने फिलहाल एक अध्यादेश के माध्यम से इस कानून को लागू किया है। इसमें प्रलोभन देकर, बहलाकर, बलपूर्वक या मतांतरण करवाकर विवाह करने या करवाने वाले को एक से लेकर दस साल के कारावास और अधिकतम एक लाख रपये तक के अर्थदंड से दंडित करने का प्रविधान है। अध्यादेश लागू करने के बाद से 11 फरवरी तक राज्य में लव जिहाद से जुड़े 23 मामले दर्ज हुए हैं। इनमें सर्वाधिक भोपाल संभाग में सात, इंदौर संभाग में पांच, जबलपुर व रीवा संभाग में चार--चार और ग्वालियर संभाग में तीन मामले दर्ज हो चुके हैं।

धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक में क्या है ?

- महिला, नाबालिग, अनुसूचित जाति, जनजाति के व्यक्ति का मतांतरण करवाने पर कम से कम दो तथा अधिकतम दस साल के कारावास और कम से कम पचास हजार रपये का अर्थदंड लगाया जाएगा।

- सामूहिक मतांतरण, दो या दो से अधिक व्यक्तियों का एक ही समय मतांतरण अध्यादेश के प्रविधानों के विरद्घ होगा। उल्लंघन पर कम से कम पांच और अधिकतम 10 साल का कारावास तथा कम से कम एक लाख रपये का अर्थदंड लगाया जाएगा।

- मतांतरण के मामले में शिकायत माता, पिता, भाई--बहन को पुलिस थाने में करनी होगी। अभिभावक भी प्रकरण दर्ज करा सकेंगे।

- इसके तहत दर्ज अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होगा। इसकी सुनवाई सत्र न्यायालय में होगी।

- मूल मत में वापसी को मतांतरण नहीं माना जाएगा। मूल मत वह माना जाएगा, जो जन्म के समय पिता का मत होगा।

- पी़ि़डत महिला एवं उससे जन्मे बच्चे को भरण--पोषण प्राप्त करने का अधिकार होगा। बच्चे को पिता की संपत्ति में उत्तराधिकारी भी माना जाएगा।

-- उपनिरीक्षक स्तर से नीचे का अधिकारी जांच नहीं कर सकेगा।

- निर्दोष होने के सुबूत प्रस्तुत करने की बाध्यता अभियुक्त पर रखी गई है।

- मतांतरण करवाने वाली संस्था के सदस्यों के खिलाफ भी व्यक्ति द्वारा किए गए अपराध के समान ही सजा दी जाएगी।

- स्वेच्छा से मतांतरण करने और करवाने वाले को 60 दिन पहले कलेक्टर को इसकी सूचना देनी होगी। 

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