मप्र के भाजपा विधायक लोधी को सुप्रीम कोर्ट से राहत, राज्य सरकार की याचिका खारिज

भोपाल की अदालत के फैसले के बाद विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने भाजपा विधायक प्रहलाद लोधी की सदस्यता समाप्त कर दी थी।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Fri, 06 Dec 2019 11:30 PM (IST) Updated:Fri, 06 Dec 2019 11:30 PM (IST)
मप्र के भाजपा विधायक लोधी को सुप्रीम कोर्ट से राहत, राज्य सरकार की याचिका खारिज
मप्र के भाजपा विधायक लोधी को सुप्रीम कोर्ट से राहत, राज्य सरकार की याचिका खारिज

भोपाल, स्टेट ब्यूरो। मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के पवई से भारतीय जनता पार्टी के विधायक रहे प्रहलाद लोधी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शुक्रवार को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा दायर याचिका (एसएलपी) सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। हाई कोर्ट ने विधायक लोधी को निचली अदालत द्वारा दी गई दो साल की सजा पर सात जनवरी तक रोक लगाई थी। हाई कोर्ट के इस फैसले को मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

एसएलपी पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और विवेक कृष्ण तन्खा द्वारा दायर इस एसएलपी पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, पुरुषेंद्र कौरव और हरप्रीत रूपराह ने लोधी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखा। मालूम हो, भोपाल की अदालत के फैसले के बाद विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने लोधी की सदस्यता समाप्त कर दी थी। सदन में एक पद रिक्त होने की सूचना भी चुनाव आयोग को भेज दी गई थी।

यह है पूरा मामला 

पवई विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते भाजपा के प्रहलाद लोधी को भोपाल की विशेष अदालत ने 2014 में एक तहसीलदार से मारपीट के मामले में दो साल की सजा सुनाई थी। हालांकि लोधी को इस मामले में जमानत मिल गई और फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए 12 दिसंबर तक का समय दिया गया था।

विधानसभा ने मांगा महाधिवक्ता से अभिमत

एसएलपी खारिज होने के बाद विधानसभा सचिवालय ने अब महाधिवक्ता से अभिमत मांगा है। इस मुद्दे पर मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी का कहना है कि उन्हें अब तक सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की जानकारी प्राप्त नहीं हुई है। अध्ययन के बाद ही आयोग को सूचना भेजी जाएगी। उधर, राजभवन सचिवालय की ओर से इस मुद्दे पर चुनाव आयोग को पत्र भेजा गया था, उसे भी आयोग के जवाब का इंतजार है।

विधानसभा के सामने अब कोई विकल्प नहीं

वरिष्ठ अधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष के सामने अब कोई विकल्प नहीं बचा है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा एसएलपी खारिज किए जाने के बाद विधायक प्रहलाद लोधी के संवैधानिक अधिकार बहाल किए जाने चाहिए। विकल्प तो हाई कोर्ट के फैसले के बाद ही नहीं था, लेकिन स्पीकर न्याय नहीं कर रहे थे। अपील पर हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद लोधी का भविष्य तय होगा।

टकराव को टालें : अग्रवाल

अच्छा है कि विधानसभा अध्यक्ष सदस्यता के मामले में पुनर्विचार कर विधि सम्मत निर्णय व प्रक्रिया अपनाएं। विधानसभा के सत्र में टकराव को टालें। संविधान की भावना की कद्र करते हुए प्रहलाद लोधी को आगामी सत्र का न्यौता भेंजे- रजनीश अग्रवाल, प्रवक्ता, भाजपा, मध्य प्रदेश।

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