17वीं लोकसभा का दूसरा सत्र भी सुर्खियों में दर्ज, इसलिए किया जाएगा याद
17वीं लोकसभा के गठन के बाद यह लगातार दूसरा संसद सत्र रहा जिसमें व्यापक जनसमुदाय को प्रभावित करने के वाले बड़े विधायी बदलाव को अंजाम दिया गया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा का दूसरा सत्र सियासी रूप से चर्चित नागरिकता संशोधन विधेयक पारित करने के लिए याद किया जाता रहेगा। इस तरह 17वीं लोकसभा के गठन के बाद यह लगातार दूसरा संसद सत्र रहा जिसमें व्यापक जनसमुदाय को प्रभावित करने के वाले बड़े विधायी बदलाव को अंजाम दिया गया। कामकाज के लिहाज से भी संसद के दोनों सदनों ने अपने तय समय से ज्यादा देर तक काम कर संसदीय व्यवस्था की सकारात्मक झलक दिखाई है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शीत सत्र की समाप्ति के बाद मीडिया से रुबरू होते हुए सत्र की कामयाबी पर खुशी जाहिर करते हुए इसका श्रेय सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को दिया। राज्यसभा में सभापति वेंकैया नायडू ने भी कहा कि उच्च सदन का 250वां ऐतिहासिक सत्र एक-दो छोटे मौके को छोड़ पूरी तरह सफल रहा और यह सत्र साहस व गंभीरता के लिए याद किया जाएगा। बिरला ने कहा कि हमने फिर साबित किया है कि हमारा संसदीय लोकतंत्र उच्चकोटि का है। दुनिया के कई देश लोकतंत्र की हमारी व्यवस्था की खूबियों को अपना रहे हैं। इसीलिए 1858 से लेकर अभी तक के सभी बड़ी चर्चाओं और भाषणों का हमने डिजिटलीकरण कर दिया है। बिरला ने कहा कि आजादी के बाद पहली संसद से पूर्व 1858 से इस दिशा में शुरू हुई पहल और विधायी चर्चाओं को इसमें शामिल किया गया है।
संसदीय कामकाज की उत्पादकता का आंकड़ा चाहे जो रहे मगर राजनीतिक और विधायी इतिहास के नजरिये से नागरिकता संशोधन विधेयक को पारित कर कानून बनाने का कदम सत्र का सबसे बड़ा विधायी कामकाज रहा। नई लोकसभा के पहले सत्र में जहां तीन तलाक, आरटीआइ संशोधन के साथ जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का जो अभूतपूर्व कदम था, दूसरे सत्र में नागरिकता विधेयक कुछ उसी तरह रहा। कई मायनों में नागरिकता विधेयक के विरोध में खड़े विपक्षी दलों की मुखरता और संख्या 370 हटाने का विधेयक पारित कराने से भी ज्यादा थी। इस लिहाज से मोदी सरकार के लिए यह सत्र बेहद अहम ही नहीं बल्कि उसके राजनीतिक वादे के एजेंडे का बड़ा पड़ाव साबित हुआ है।
संसद कैंटीन में सबसिडी की चाय भी नहीं
स्पीकर ने सवालों के जवाब में स्वीकार किया कि सांसदों ने रियायती खाने के आरोपों से छवि पर आ रहे आंच से बचने के लिए खुद ही सबसिडी खत्म कराई है। उन्होंने कहा कि ऐसी धारणा बन रही थी कि सबसिडी का सांसद ही केवल फायदा उठाते हैं जबकि हकीकत में संसद के कर्मचारी, आगंतुक और मीडिया सभी को इसकी सुविधा थी। इसीलिए सभी दलों के नेताओं के सामने जब उन्होंने कैंटीन सबसिडी हटाने का प्रस्ताव रखा तो सबने इस पर सहमति दे दी। स्पीकर ने कहा कि अगले सत्र से संसद कैंटीन में खाना तो दूर सबसिडी की चाय भी नहीं मिलेगी।
नये संसद भवन में होगा 2022 का पहला सत्र
स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि संसद और उसके कामकाज को संपूर्ण रुप से डिजिटल करने का लक्ष्य संसद भवन की नई बिल्डिंग बनने के साथ ही पूरा हो जाएगा। उनके अनुसार संसद की नई इमारत बनाने के प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा हो चुकी है और अधिकांश लोग नई बिल्डिंग बनाने के पक्ष में हैं। संसद का नया भवन कहां बनेगा इस पर बिरला ने कहा कि इसी पर अभी मंत्रणा चल रही है मगर उम्मीद है कि आजादी के 75वें साल 2022 का संसद का पहला सत्र नई बिल्डिंग में होगा। संसद की मौजूदा ऐतिहासिक इमारत को संग्रहालय बनाने के सवाल पर बिरला ने कहा कि यह भवन भी संसद का हिस्सा रहेगा।