छत्तीसगढ़ में इस लोकसभा सीट पर मकान मालिक और किराएदार के बीच है मुकाबला

कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही नए चेहरे को इस बार मौका दिया है। इस वजह से भी मुकाबला देखने लायक होगा।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Publish:Sat, 23 Mar 2019 05:22 PM (IST) Updated:Sat, 23 Mar 2019 05:22 PM (IST)
छत्तीसगढ़ में इस लोकसभा सीट पर मकान मालिक और किराएदार के बीच है मुकाबला
छत्तीसगढ़ में इस लोकसभा सीट पर मकान मालिक और किराएदार के बीच है मुकाबला

कांकेर, संवाद सहयोगी। इस बार का लोकसभा चुनाव शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल, इस बार मुकाबला पूर्व मकान मालिक और पूर्व किराएदार के बीच है। कांग्रेस प्रत्याशी बीरेश ठाकुर कभी भाजपा प्रत्याशी मोहन मंडावी के किराएदार थे। चूंकि दोनों स्थानीय हैं, इसलिए उनके संपर्क भी उन्नीस-बीस ही हैं। इतना ही नहीं, दोनों दूर के रिश्तेदार यानी चाचा-भतीजे भी हैं। ऐसे में मुकाबला काफी दिलचस्प होगा। शहर की मतदाताओं की नजर भी इस चुनाव पर टिकी हुई है। आम मतदाता यह बिल्कुल भी बोलने की स्थिति में नहीं है कि पलड़ा किसका भारी है। इतना जरूर है कि मुकाबला टक्कर का है। 

कांकेर लोकसभा सीट के लिए भाजपा व कांग्रेस दोनों ने ही अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। भाजपा की ओर से मोहन मंडावी के नाम की घोषणा होने के बाद से ही स्थानीय लोगों में इस चुनाव को लेकर चर्चा गर्म है। कभी साथ उठे-बैठे, घूमे-फिरे दोनों प्रत्याशी आज प्रतिद्वंदी बने हुए हैं। बीरेश ठाकुर का पैतृक निवास कोरर है। हालांकि वे पिछले कई वर्षों से कांकेर से सटे ग्राम गोविंदपुर में रहते हैं। बताया जा रहा है कि शुरुआती दिनों में बीरेश जब कांकेर आए तो गोविंदपुर में मोहन मंडावी के मकान में ही किरायदार के रूप में रह रहे थे। दूसरी ओर यह भी बताया जा रहा है कि दोनों रिश्तेदार भी हैं, यानी चाचा-भतीजे।

भाजपा प्रत्याशी मोहन मंडावी से जब यह जानने का प्रयास किया गया कि बीरेश उनके घर किराएदार के रूप में कब से कब तक थे, तो उन्होंने कहा कि बीरेश उनका भतीजा है। वह उनके घर पर रहते जरूर थे, पर किरायेदार नहीं थे। यानी इतना तो साफ हो गया है कि इस चुनाव में रिश्ते दरकिनार कर एक-दूसरे को हराने के लिए दोनों आमने-सामने होंगे।

दोनों नए चेहरे, मुकाबला देखने लायक होगा
कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही नए चेहरे को इस बार मौका दिया है। इस वजह से भी मुकाबला देखने लायक होगा। कांग्रेस ने इस बार के चुनाव में जहां बीरेश पर भरोसा जताते हुए उन्हें टिकट दिया है, वहीं भाजपा ने भी परिवारवाद को पीछे छोड़ नए को मौका दिया है। ऐसे में स्थानीय मतदाता के लिए यह कहना आसान नहीं होगा कि जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा। वर्तमान में मोहन मंडावी जहां राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्य हैं, वहीं बीरेश ठाकुर जिला पंचायत सदस्य। अब देखना यह होगा कि चाचा-भतीजे के बीच का यह मुकाबला किस करवट बैठता है।

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