लक्षद्वीप प्रशासन ने दिया हाईकोर्ट का न्यायाधिकार क्षेत्र बदलने का प्रस्ताव, हो रहा विरोध

लक्षद्वीप प्रशासन ने केरल की जगह कर्नाटक हाई कोर्ट को न्यायाधिकार क्षेत्र दिए जाने का प्रस्ताव दिया है। अधिकारियों ने बताया कि इस प्रस्ताव की पहल तब की गई जब द्वीप के प्रशासक प्रफुल खोड़ा पटेल के निर्णयों के खिलाफ केरल हाई कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 10:30 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 10:30 PM (IST)
लक्षद्वीप प्रशासन ने दिया हाईकोर्ट का न्यायाधिकार क्षेत्र बदलने का प्रस्ताव, हो रहा विरोध
लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल खोड़ा पटेल, केरल हाई कोर्ट

नई दिल्ली, प्रेट्र। प्रशासनिक सुधारों की पहल के विरोध के बीच लक्षद्वीप प्रशासन ने केरल की जगह कर्नाटक हाई कोर्ट को न्यायाधिकार क्षेत्र दिए जाने का प्रस्ताव दिया है। अधिकारियों ने बताया कि इस प्रस्ताव की पहल तब की गई है जब द्वीप के प्रशासक प्रफुल खोड़ा पटेल के निर्णयों के खिलाफ केरल हाई कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं। इनमें कोविड अनुकूल मानक परिचालन प्रक्रिया में बदलाव, गुंडा कानून व सड़क चौड़ी करने के लिए मछुआरों की झोपड़ियों को तोड़ा जाना शामिल है।

केरल की जगह कर्नाटक हाई कोर्ट को न्यायाधिकार क्षेत्र दिए जाने के प्रस्ताव का हो रहा विरोध

कानून के जानकारों का कहना है कि हाईकोर्ट का न्यायाधिकार क्षेत्र तभी बदला जा सकता है, जब संसद से कोई कानून पारित किया जाए। लोकसभा सदस्य फैजल पीपी ने कहा, 'केरल की जगह कर्नाटक हाईकोर्ट को न्यायाधिकार क्षेत्र स्थानांतरित किए जाने का यह पहला प्रयास है। पता नहीं पटेल ऐसा क्यों चाहते हैं.. यह पूरी तरह पद का दुरुपयोग है। केरल की तरह लक्षद्वीप के लोगों की मातृभाषा मलयालम है। अगर इस तरह का कोई प्रस्ताव संसद में रखा जाता है तो हम उसका विरोध करेंगे।'

उन्होंने कहा कि सेव लक्षद्वीप फ्रंट (एसएलएफ) केंद्र से प्रशासक को हटाने की शांतिपूर्ण मांग कर रहा है?लक्षद्वीप की चर्चित वकील सीएन नूरुल हिदया कहती हैं कि प्रस्ताव का सभी लोग विरोध करेंगे, क्योंकि यह एक प्रकार से न्याय से इन्कार जैसा होगा। अभी लोगों को केरल हाई कोर्ट के लिए 400 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है, जबकि कर्नाटक हाई कोर्ट के लिए 1,000 किलोमीटर की यात्रा करनी होगी। विधि विशेषज्ञ कहते हैं कि इसका असर राजकोष पर भी पड़ेगा, क्योंकि विचाराधीन मामले की सुनवाई फिर से शुरू करनी पड़ेगी।

प्रस्ताव के संबंध में प्रतिक्रिया के लिए प्रशासक के सलाहकार ए. अनबरासु व लक्षद्वीप के कलक्टर अस्कर अली संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन बात नहीं हो सकी। गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर के पहले हफ्ते में तत्कालीन प्रशासक दिनेश्वर शर्मा की मौत के बाद दमन एवं दीव के प्रशासक पटेल को लक्षद्वीप का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। इस साल अबतक केंद्रशासित प्रदेश के प्रशासक, पुलिस व स्थानीय सरकार के खिलाफ मनमानी की कम से कम 23 शिकायतें कोर्ट पहुंची हैं।

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