कृषि कानून के खिलाफ कांग्रेस सांसद ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका, किसानों के साथ भेदभाव का लगाया आरोप

केरल के त्रिशूर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस सांसद टीएन प्रथापन ने कृषि विधेयक को लेकर आरोप लगाया कि यह किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 द्वारा समानता का अधिकार व भेदभाव का उल्लंघन है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 04:38 PM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 04:38 PM (IST)
कृषि कानून के खिलाफ कांग्रेस सांसद ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका, किसानों के साथ भेदभाव का लगाया आरोप
केरल के त्रिशूर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस सांसद हैं टीएन प्रथापन।

नई दिल्ली, प्रेट्र। संसद के मानसून सत्र से कृषि विधेयकों के पारित होने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी तीनों विधेयकों को कानून की मंजूरी दे दी है। इन कृषि कानून को लेकर बवाल कम नहीं हो रहा है। कृषि कानून के विरोध में अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। केरल में कांग्रेस से सांसद टीएन प्रथापन ने कृषि कानून के विभिन्न प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।

केरल के त्रिशूर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस सांसद टीएन प्रथापन ने कृषि कानून को लेकर आरोप लगाया कि यह किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 द्वारा समानता का अधिकार व भेदभाव का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि कानून जिसे रविवार को राष्ट्रपति की सहमति दी गई वह असंवैधानिक, अवैध और शून्य के रूप में माना जा सकता है।

सरकार ने कहा, कानून के माध्यम से किसानों को बनाया गया सशक्त

वहीं, सरकार के अनुसार, नया कानून किसानों को बचाने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए कृषि समझौतों के लिए एक राष्ट्रीय ढांचा प्रदान करने का इरादा रखता है। क्योंकि वे कृषि सेवाओं और खाद्य प्रसंस्करण फर्मों, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों और बड़े खुदरा विक्रेताओं के साथ कृषि सेवाओं और उपज की बिक्री के लिए संलग्न हैं। एक उचित और पारदर्शी तरीके से पारिश्रमिक मूल्य की रूपरेखा तैयार करता है।

यह कानून कृषि को जोखिम भरा बनाता है: प्रथापन

वकील जेम्स पी थॉमस के माध्यम से दायर याचिका में कांग्रेस सांसद प्रथापन ने कहा कि भारतीय कृषि में छोटी जोत के कारण विखंडन की विशेषता है और इसमें मौसम से निर्भरता, उत्पादन में अनिश्चितता और अप्रत्याशित बाजार जैसे नियंत्रण से परे कुछ अंतर्निहित कमजोरियां भी हैं। जो कि यह कृषि को जोखिम भरा बनाता है। 

कांग्रेस सांसद द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया कि किसानों को मौसम पर निर्भरता जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, उनकी आय बढ़ाने के लिए उपज के मुद्रीकरण द्वारा संबोधित नहीं किया जा सकता है, इसके बजाय कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) प्रणाली को और अधिक पूंजी और न्यूनतम समर्थन मूल्य के प्रभावी प्रबंधन से प्रभावित किया गया है।

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