केरल मंत्रिमंडल ने सबरीमाला और CAA विरोध से संबंधित मामलों को वापस लेने का फैसला किया

केरल में वाम लोकतांत्रिक मोर्चे की अगुवाई वाली सरकार ने कहा है कि वह सबरीमाला आंदोलन के दौरान दर्ज मामलों को वापस ले लेगी। हालांकि इसपर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि यह कदम इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर किया गया है।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Wed, 24 Feb 2021 12:36 PM (IST) Updated:Wed, 24 Feb 2021 12:38 PM (IST)
केरल मंत्रिमंडल ने सबरीमाला और CAA विरोध से संबंधित मामलों को वापस लेने का फैसला किया
केरल मंत्रिमंडल ने सबरीमाला और सीएए विरोध से संबंधित मामलों को वापस लेने का फैसला किया

तिरुअनंतपुरम, एएनआइ। केरल सरकार ने बुधवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए सबरीमाला मंदिर से जुड़े मामले और सीएए विरोध को लेकर दर्ज मामलों को वापस लिया जा रहा है। बताया गया कि केरल मंत्रिमंडल ने सबरीमाला और नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) विरोध से संबंधित मामलों को वापस लेने का फैसला किया है जो गंभीर आपराधिक प्रकृति के नहीं हैं।

केरल में वाम लोकतांत्रिक मोर्चे की अगुवाई वाली सरकार ने कहा है कि वह सबरीमाला आंदोलन के दौरान दर्ज मामलों को वापस ले लेगी। हालांकि, इसपर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि यह कदम इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर किया गया है। 

आंदोलन के सिलसिले में 50,000 से अधिक लोगों पर मामला दर्ज किया गया था। केरल में 2018 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा देखी गई थी। यहां तक पांच बार केरल में बंदी करनी पड़ी थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत देते हुए फैसला सुनाया था। 

सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर 2018 को 4-1 के बहुमत से फैसला सुनाते हुए मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत दी थी। कोर्ट ने 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी को लिंग आधारित भेदभाव बताते हुए निरस्त कर दिया था। इसके बाद तमाम पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की गई थी।

बता दें कि विपक्षी यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) ने पिछले सप्ताह मांग की थी कि ऐसे मामलों को वापस लिया जाए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रमेश चेन्निथला ने 15 फरवरी को आरोप लगाया था कि एलडीएफ सरकार ने इन विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने वाले हजारों लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं, जिसमें अय्यप्पा भक्त शामिल हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ विरोध किया।

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