छत्तीसगढ़ के मंत्री जी को नहीं है अक्षर ज्ञान, विधानसभा में इस अंदाज में बताए आंकड़ें

उद्योग मंत्री लखमा बस्तर संभाग के धुर नक्सल प्रभावित कोंटा विधानसभा से लगातार पांचवीं बार विधायक चुने गए हैं। खास बात यह है कि वे केवल साक्षर हैं (उन्हें अक्षर ज्ञान नहीं है)।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Sat, 23 Feb 2019 04:09 PM (IST) Updated:Sat, 23 Feb 2019 04:09 PM (IST)
छत्तीसगढ़ के मंत्री जी को नहीं है अक्षर ज्ञान, विधानसभा में इस अंदाज में बताए आंकड़ें
छत्तीसगढ़ के मंत्री जी को नहीं है अक्षर ज्ञान, विधानसभा में इस अंदाज में बताए आंकड़ें

रायपुर, राज्य ब्यूरो। छत्तीसगढ़ विधानसभा में शुक्रवार को उद्योग विभाग की 341 करोड़ से अधिक की अनुदान मांगों पर चर्चा चल रही थी। बसपा के केशव चंद्रा अंतिम वक्ता के रूप में बोल रहे थे, इसके बाद विभागीय मंत्री कवासी लखमा का चर्चा पर जवाब आना था। सामान्यत: अनुदान मांगों पर चर्चा दोपहर बाद शुरू होती है। इस दौरान सदन ही नहीं पत्रकार दीर्घा में भी कुछ गिने चुने विधायक और पत्रकार ही मौजूद रहते हैं।

चंद्रा का भाषण जैसे-जैसे समापन की ओर बढ़ रहा था, सदन के अंदर विधायकों संख्या बढ़ने लगी। इधर, पत्रकार दीर्घा में भी गहमा- गहमी बढ़ गई। अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने चंद्रा को टोकते हुए कहा- आप समाप्त करें। चंद्रा ने उद्योग विभाग पर अपनी बात रखने के लिए दो मिनट का वक्त और मांगा। अध्यक्ष ने कहा- अगली बार रखें...।

अध्यक्ष की बात सुनते ही सभी अलर्ट हो गए। सदन में बैठे विधायक उत्सुकता से विभागीय मंत्री का नाम पुकारे जाने की प्रतीक्षा में अध्यक्ष और मंत्री कवासी लखमा की तरफ देखने लगे। इधर पत्रकार दीर्घा में पत्रकार भी हेडफोन लगाकर अलर्ट हो गए। अधिकारी दीर्घा में बैठे विभाग के प्रमुख सचिव अमिताभ जैन व अन्य अफसर भी अपने मंत्री के चेहरे की तरफ टकटकी लगाए हुए थे।

बोलने को खड़े हुए लखमा तो आंकड़ों समेत रखी अपनी बात

इधर विधानसभा अध्यक्ष ने मंत्री लखमा को पुकारते हुए कहा माननीय मंत्री जी। पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ बैठे सदस्य स्वागत में मेज थपथपाने लगे। मुस्कुराते हुए कवासी लखमा खड़े हुए ...चेहरे पर आत्म विश्वास झलक रहा था। हल्के हास- परिहास के बाद लखमा ने बोलना शुरू किया। कहा- अध्यक्ष महोदय मैं पहली बार बजट भाषण देने खड़ा हुआ हूं, अगर कोई गलती हो तो माफ करना।

इसके बाद लखमा ने बिना कोई कागज देखे एक के बाद एक विभागीय योजना, उद्योग को लेकर सरकार की कार्ययोजना नीति और घोषणाओं की जानकार दी। इस दौरान लखमा ने न तो विभागीय प्रतिवेदन देखा और न ही कोई कागज पढ़ा। ऐसा करने वाले वे प्रदेश के पहले मंत्री हैं। अमूमन मंत्री अनुदान मांगों पर चर्चा का जवाब देते समय आंकड़े देखकर ही पढ़ते हैं। अंत में लखमा ने कहा कि 339 करोड़ का यह छोटा सा बजट है, इस वजह से सभी से अनुरोध करता हूं कि सर्वसम्मति से इसे पारित करने की कृपा करें।

धुर नक्सल बेल्ट से पांचवीं बार विधायक बने हैं लखमा

उद्योग मंत्री लखमा बस्तर संभाग के धुर नक्सल प्रभावित कोंटा विधानसभा से लगातार पांचवीं बार विधायक चुने गए हैं। खास बात यह है कि वे केवल साक्षर हैं (उन्हें अक्षर ज्ञान नहीं है)। यही वजह है कि न केवल मंत्री पद बल्कि विधानसभा की सदस्यता की शपथ भी वे दोहराते हैं।

गणतंत्र दिवस के मौके पर जब मुख्यमंत्री का संदेश वाचन करना था तो उनके स्थान पर कलेक्टर ने यह काम किया था। इसी वजह से जब वे चर्चा का जवाब देने सदन में खड़े हुए लखमा तो सभी निगाहें उन पर टिक गईं। हालांकि विपक्ष में रहते हुए लखमा कई बार सदन में अपने भाषणों में सरकार को घेरते थे। लेकिन इस समय मामला अलग था।

खड़े होते ही लखमा ने कहा कि मैं एमपी से लेकर इस विधानसभा का लगातार सदस्य हूं। यह कोंटा की जनता की वजह से है, इसलिए मैं अपने वोटरों को भी भगवान मानता हूं। लखमा यहीं नहीं स्र्के उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की देश की एकमात्र पार्टी है जो समाज के अंतिम छोर पर खड़े अंतिम व्यक्ति का विकास कर सकती है। इसका उदाहरण मैं हूं।

विपक्ष ने भी दिखाया साथ

अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान विपक्ष का स्र्ख भी सकारात्मक रहा। इसका जिक्र लखमा ने अपने भाषण में भी किया। अजय चंद्राकर की तरफ इशारा करते हुए कहा कि खूब बोलने वाले भी आज सदन में कम बोले हैं। लखमा के भाषण के दौरान ज्यादा टोकाटाकी भी नहीं हुई। किसी ने इसकी कोशिश की भी तो अध्यक्ष डॉ. चरण दास महंत से उन्हें बैठा दिया।

आबकारी विभाग की अनुदान मांग को सिंहदेव ने किया पेश

लखमा के पास वाणिज्यिक कर (आबकारी) विभाग भी है, लेकिन इस विभाग की अनुदान मांगों को दो दिन पहले पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने सदन में प्रस्तुत किया था। इसकी चर्चा का जवाब भी उन्होंने ही दिया, उस दिन लखमा सदन में मौजूद नहीं थे। हालांकि वाणिज्यिक कर (जीएसटी) का भी प्रभार सिंहदेव के पास है।

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