विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, जम्मू-कश्मीर ने दो वर्षों में असली लोकतंत्र को देखा है

पांच अगस्त 2019 को भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को खत्म करने और उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों-जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख में बांटने का एलान किया था। जयशंकर ने ट्वीट किया जम्मू-कश्मीर ने पिछले दो वर्षों में वास्तविक लोकतंत्र विकास और सुशासन को देखा है।

By Neel RajputEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 09:58 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 09:58 PM (IST)
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, जम्मू-कश्मीर ने दो वर्षों में असली लोकतंत्र को देखा है
विदेश मंत्री ने कहा, देश की एकता और अखंडता हुई मजबूत

नई दिल्ली, प्रेट्र। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अनुच्छेद 370 की समाप्ति के दो साल पूरे होने पर गुरुवार को कहा कि गत दो वर्षों में इस केंद्रशासित प्रदेश ने असली लोकतंत्र, विकास एवं सुशासन को देखा है, जिसके फलस्वरूप भारत की एकता और अखंडता काफी मजबूत हुई है।

पांच अगस्त, 2019 को भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को खत्म करने और उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख में बांटने का एलान किया था। जयशंकर ने ट्वीट किया, जम्मू-कश्मीर ने पिछले दो वर्षों में वास्तविक लोकतंत्र, विकास और सुशासन को देखा है। फलस्वरूप भारत की एकता एवं अखंडता असीम रूप से मजबूत हुई है।

विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि इस ऐतिहासिक कदम से जम्मू-कश्मीर में शांति और विकास का युग आ गया है। उन्होंने ट्वीट किया, दो साल पहले इसी दिन अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया था। इस ऐतिहासिक कदम से जम्मू-कश्मीर में शांति एवं विकास का युग आ गया है। नरेंद्र मोदी एवं अमित शाह के नेतृत्व में हम नए जम्मू-कश्मीर का निर्माण देख रहे हैं।

जून में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि दो केंद्रशासित प्रदेश- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख बनाने के फैसले से राष्ट्रीय सुरक्षा को बल मिला है तथा आतंकवादी गतिविधियों में बहुत कमी आई है।

रचनात्मक रही भारत-चीन के बीच वार्ता : विदेश मंत्रालय

विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध पर भारत और चीन के बीच हाल ही में हुई सैन्य वार्ता रचनात्मक थी। दोनों पक्ष शेष मुद्दों का समाधान तेज गति से करने पर भी सहमत हुए। भारतीय सेना द्वारा 12वें दौर की सैन्य वार्ता के दो दिन बाद सोमवार को यहां जारी किए गए संयुक्त बयान में कहा गया था कि दोनों पक्षों के बीच सैनिकों को पीछे हटाने के मुद्दे पर विचारों का व्यापक आदान-प्रदान हुआ और बैठक से पारस्परिक समझ और मजबूत हुई।

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