अरुण जेटली ने कसा तंज, कहा-आधी सदी बाद कांग्रेस को याद आई राष्ट्रीय सुरक्षा

केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कांग्रेस पर तंज करते हुए कहा कि यह दिलचस्प है कि आधी सदी तक देश पर राज करने वाली पार्टी को राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर पाठ सीखने की जरूरत पड़ी है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Fri, 22 Feb 2019 10:20 PM (IST) Updated:Fri, 22 Feb 2019 11:49 PM (IST)
अरुण जेटली ने कसा तंज, कहा-आधी सदी बाद कांग्रेस को याद आई राष्ट्रीय सुरक्षा
अरुण जेटली ने कसा तंज, कहा-आधी सदी बाद कांग्रेस को याद आई राष्ट्रीय सुरक्षा

नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कांग्रेस पर तंज करते हुए कहा कि यह 'दिलचस्प' है कि आधी सदी तक देश पर राज करने वाली पार्टी को राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर पाठ सीखने की जरूरत पड़ी है। उन्होंने यह टिप्पणी सर्जिकल स्ट्राइक के आर्किटेक्ट रहे लेफ्टिेनेंट जनरल (सेवानिवृत) डीएस हुड्डा को कांग्रेस द्वारा पार्टी की राष्ट्रीय सुरक्षा टास्क फोर्स का प्रमुख नियुक्त किए जाने के अगले दिन की है।

वित्त मंत्री जेटली ने अपने एक ब्लॉग में जनरल हुड्डा को एक अनुभवी तथा विशिष्ट पूर्व सैन्य अधिकारी बताते हुए कहा है, 'इसमें मुझे जरा सा भी शक नहीं है कि वह इस सबसे पुरानी पार्टी को मूल्यवान सुझाव देंगे।'

उन्होंने कहा कि सेवानिवृत जनरल की यह नियुक्ति अहम है, क्योंकि 'देरी और अनिच्छा' से ही सर्जिकल स्ट्राइक को मान्य और स्वीकार किया, जिससे जनरल हुड्डा बहुत ही करीब से जुड़े रहे।

जेटली ने कहा है, 'मैं आश्वस्त हूं कि सलाहकार समिति के प्रमुख पार्टी नेताओं को इस बारे में शिक्षित करेंगे कि सर्जिकल स्ट्राइक कोई नियमित कदम नहीं है, जो पूर्व में कई बार हुई लेकिन भारत के लिए पहली बार महत्वपूर्ण बनी।'

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर मोदी सरकार पर राजनीति करने का आरोप लगाती रही है। उरी सैन्य शिविर पर हमले के बाद बदले की कार्रवाई में भारतीय सेना ने 29 सितंबर, 2016 को एलओसी के पार जाकर आतंकियों के सात लांचिंग पैड को तबाह कर दिया था।

उन्होंने उम्मीद जताई कि विशेषज्ञ कांग्रेस अध्यक्ष को सामरिक मसलों पर 'कुछ बुनियादी बातें' बताएंगे, जो सतत राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी होती हैं। जेटली ने कहा, 'दुनिया में ऐसी छवि नहीं बनाएं कि आतंकवाद से कैसे लड़ा जाए। इस पर भारत बंटा हुआ है। जब दुनिया भारत के साथ खड़ा है, ऐसे में विपक्ष को बेसुरा राग नहीं अलापना चाहिए।'

उन्होंने जेएनयू की घटना के संदर्भ में कहा कि यदि अगली बार उग्रवादी या अलगाववादी भारत को तोड़ने के नारे लगाएं तो मुख्यधारा की पार्टियों को उनके समर्थन के लिए नहीं जाना चाहिए। भारत को तोड़ने की वकालत वाली अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है।

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