राफेल मुद्दे पर बोले जेटली, राहुल और ओलांद के बीच जुगलबंदी

राफेल डील को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने स्पष्ट किया है कि किसी भी सूरत में डील रद नहीं होगी।

By Nancy BajpaiEdited By: Publish:Sun, 23 Sep 2018 10:28 AM (IST) Updated:Mon, 24 Sep 2018 12:10 AM (IST)
राफेल मुद्दे पर बोले जेटली, राहुल और ओलांद के बीच जुगलबंदी
राफेल मुद्दे पर बोले जेटली, राहुल और ओलांद के बीच जुगलबंदी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राफेल को लेकर मचे भारी राजनीतिक घमासान के बीच केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने राहुल गांधी और फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद के बीच 'जुगलबंदी' का आरोप जड़ दिया है। इस आरोप का तथ्य पेश करते हुए जेटली ने कहा- 'यह संयोग नहीं हो सकता है कि 30 अगस्त को राहुल दो हफ्ते के अंदर राफेल मुद्दे पर पेरिस में सनसनीखेज धमाके का ट्वीट करें और ऐन वक्त पर ओलांद एक ऐसा बयान दें जिससे बाद में उन्हें ही पलटना पड़े। तो स्वाभाविक सवाल उठता है।'

ओलांद को भी उन्होंने सीधा संदेश दिया कि सच्चाई सिर्फ एक ही हो सकती है और वह सच्चाई यह है कि रिलायंस और फ्रेंच कंपनी दासौ के बीच समझौते में किसी सरकार का कोई लेना देना नहीं। राफेल को लेकर रोजाना कांग्रेस की ओर से हमला जारी है। प्रधानमंत्री से सवाल पूछे जा रहे हैं। दो दिन पहले आए ओलांद के एक वक्तव्य ने कांग्रेस को उत्साहित कर दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि रिलायंस केसाथ करार के लिए भारत ने ही दबाव बनाया था। यह और बात है कि कुछ ही देर बाद ओलांद इससे पलट गए थे। फ्रांस सरकार की ओर से भी स्पष्ट किया गया था कि ऐसा कोई दबाव नहीं था।

रविवार को जेटली ने पलटवार किया और राहुल के साथ साथ ओलांद को कठघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने पूछा कि आखिर राहुल को कैसे जानकारी मिली थी कि दो हफ्ते में ओलांद कोई ऐसा विस्फोट करेंगे जिससे सरकार घिरेगी। उन्होंने कहा- 'यह महज संयोग तो नहीं हो सकता है।' जेटली ने कांग्रेस के सामने एक और बड़ा सवाल रख दिया। उन्होंने कहा- '31 अगस्त को कांग्रेस के पेज पर एक ट्वीट किया गया जिसमें यह आरोप लगाया गया कि अनिल अंबानी ग्रुप ने ओलांद के एक्टर दोस्त के जरिए उन्हें रिश्वत दी और दासौ से समझौता हासिल किया। अब उसी ओलांद को सबसे बड़े गवाह के रूप में पेश कर रही हैं?' जबकि ओलांद अपने ही देश में विवादों में उलझे हुए हैं।

एक टीवी एजेंसी को दिए गए साक्षात्कार में भी जेटली ने राहुल की भाषा पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि 'सार्वजनिक जीवन लाफ्टर चैलेंज नहीं है कि आप किसी से गले मिल लें और किसी को आंख मार दें और फिर जाकर एक बयान दे दें।' लोकतंत्र में प्रहार होते हैं लेकिन शब्दावली का चयन ऐसा होना चाहिए कि उसमें थोड़ी बुद्धि दिखायी दे। फूहड़पन ही करना है, तू-तू मैं-मैं ही करनी है तो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को यह शोभा नहीं देता। राहुल के आरोप कि मोदी सरकार ने एक लाख तीस हजार करोड़ रुपये का घोटाला किया है के जवाब में जेटली ने कहा कि इस सौदे से भारतीय वायुसेना को 36 जहाज मिलेंगे जो आयुद्धों से लैस होंगे। उन्होंने कहा कि अगर करगिल युद्ध के समय राफेल जैसा जहाज होता तो यह दो दिन का ऑपरेशन होता। भारतीय सेना नीचे थी और दुश्मन ऊपर पहाड़ी पर बैठा था।

राफेल जहाज 100-150 किलोमीटर दूर से ही निशाना साध सकता था। इसलिए यह घोटाला नहीं है बल्कि भारतीय वायुसेना की आवश्यकता है। इससे वायु सेना की ताकत बढ़ेगी। कांग्रेस ने देश को दस साल इंतजार कराया और वायुसेना की तैयारी के लिए रुकावटें पैदा कीं। जेटली ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि सब जानते हैं कि रिलायंस कंपनी के दो भाग हो चुके हैं। एक रिलायंस वह था जिसने 2012 में जब संभावना थी कि 126 एयरक्राफ्ट का सौदा होगा तो इसी दासौ के साथ राफेल के लिए एमओयू किया था। क्या वह भी भ्रष्टाचार था? क्या राहुल गांधी और सोनिया गांधी उस कंपनी को फायदा पहुंचा रहे थे? हमने तो ऐसा नहीं कहा। बाद में रिलायंस का वह भाग रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में नहीं गया।

राफेल सौदे में रिलायंस के ऑफसेट पार्टनर होने के बारे में पूछे जाने पर जेटली ने कहा कि 36 जहाज जिन पर हथियार लगे होंगे वे फ्रांस में बनकर आएंगे। यह साझेदारी नहीं है। अगर ये जहाज 56,000 करोड़ रुपये के आते हैं तो 28,000 करोड़ रुपये का सामान भारत से खरीदना होगा। यह रक्षा, आयुद्ध और गेहूं और चावल जैसा सामान भी खरीदना पड़ता है। यह 2005 की यूपीए की नीति है।

राफेल की कीमत को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष के दावे के बारे में जेटली ने कहा कि ये बच्चों के आंकड़े नहीं है जो स्कूल में गणित में जोड़े जाएं। फ्रांस के साथ सीके्रसी समझौते के बारे में जेटली ने कहा कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसका सबूत संसद में पेश कर दिया है। फ्रांस सरकार ने बयान दिया है कि सीक्रेसी क्लॉज है। पूर्व रक्षा मंत्री और कांग्रेस नेता ए के एंटनी बता दें कि उन्होंने सीक्रेसी क्लॉज पर दस्तखत किए थे या नहीं। 
 

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