अमेरिकी प्रतिबंध को लेकर 'तेल के बदले अनाज' पर हो रही है ईरान से वार्ता

तेल के बदले अनाज की व्यवस्था होने से भारतीय निर्यातकों को भुगतान की गारंटी होगी।dk

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Tue, 13 Nov 2018 07:44 PM (IST) Updated:Tue, 13 Nov 2018 07:44 PM (IST)
अमेरिकी प्रतिबंध को लेकर 'तेल के बदले अनाज' पर हो रही है ईरान से वार्ता
अमेरिकी प्रतिबंध को लेकर 'तेल के बदले अनाज' पर हो रही है ईरान से वार्ता

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिकी प्रतिबंध से छूट मिलने के बाद भारत और ईरान के बीच कच्चे तेल के कारोबार की राह को आसान बनाने के लिए तमाम दूसरे विकल्पों पर बात हो रही है। इसमें एक विकल्प है कि ईरान से आयातित तेल के बदले उसे अनाज का भुगतान करना। इसके तहत भारत ईरान से जो तेल खरीदेगा उसका भुगतान बासमती चावल व अन्य खाद्यान्नों के निर्यात के जरिए करेगा। इस फैसले से देश के बासमती निर्यातकों को भी फायदा होने के आसार हैं क्योंकि हाल के महीनों में ईरान को चावल निर्यात करना कई वजहों से मुश्किल हो रहा था।

आयातित तेल के बदले बासमती चावल निर्यात करने पर बात

भारत और ईरान के बीच पहले ही इस बात का प्रावधान हो चुका है कि प्रतिबंध की अवधि के दौरान जो भी कच्चा तेल भारत लेगा उसके 40-45 फीसद हिस्से का भुगतान भारतीय रुपये में किया जाएगा। शेष राशि का भुगतान यूरोपीय मुद्रा यूरो में किया जाएगा।

ईरान को रुपये में दी जाने वाली राशि एक खाते में जमा की जाएगी जिसका इस्तेमाल ईरान भारत से आयातित बासमती चावल या दूसरे खाद्य उत्पादों के भुगतान के लिए कर सकेंगे। खाद्य उत्पादों के अलावा ईरान इस खाते के लिए भारत से आयातित फार्मास्यूटिकल्स या कपड़ों के भुगतान के लिए भी कर सकता है।

ईरान रहा है भारत का सबसे बड़ा बासमती चावल आयातक

दोनो देशों के बीच इस समझौते से भारतीय बासमती निर्यातकों को बड़ी राहत मिलने के आसार है। क्योंकि मई, 2018 में ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध आयद होने के बाद से ही उन्हें भुगतान को लेकर समस्या आने लगी थी। कुछ समस्या ईरान की अर्थव्यवस्था के चरमराने से भी आई थी क्योंकि वहां के कई चावल आयातक दिवालिया घोषित कर दिये गये थे।

ईरान भारतीय बासमती चावल का न सबसे बड़ा आयातक है बल्कि वहां दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले औसतन 20 फीसद ज्यादा कीमत भी मिलती है। 'तेल के बदले अनाज' की व्यवस्था होने से भारतीय निर्यातकों को भुगतान की गारंटी होगी। वैसे इस तरह की व्यवस्था वर्ष 2010-11 में ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लगने के बाद भी की गई थी। तब भारत की तरफ से ईरान को उसके तेल के बदले अदा की जाने वाली राशि के एक बड़े हिस्से की निकासी नहीं हो पाई थी। इसका भुगतान बाद में भारतीय रिजर्व बैंक ने अमेरिकी प्रतिबंध के हटने के बाद ईरान को किया था।

बताते चलें कि ट्रंप प्रशासन की तरफ से भारत समेत कुछ अन्य देशों को मई, 2019 तक ईरान से तेल खरीदने की छूट मिलने के बाद सरकारी तेल कंपनियां ईरान से नए तेल के सौदे करने के लिए बातचीत कर रही है। भारतीय तेल कंपनियों की तरफ से अगले पांच-साढ़े पांच महीनों के दौरान ईरान से 75 लाख टन क्रूड खरीदने का समझौता होगा। हर महीने फिलहाल 12.5 लाख टन क्रूड ही खरीद सकेगा।

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