श्रीलंका में धमाकों के पीछे तौहीद जमात के तार भारत के दक्षिणी राज्यों से जुड़े हैं

श्रीलंका में हुए बम धमाकों के बाद भारत ने अपनी समुद्री सीमा की सुरक्षा बढ़ा दी है। भारतीय तटरक्षक बल ने समुद्र में निगरानी के लिए ज्यादा संख्या में जहाज और विमान लगा दिए हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Tue, 23 Apr 2019 03:38 AM (IST) Updated:Tue, 23 Apr 2019 03:38 AM (IST)
श्रीलंका में धमाकों के पीछे तौहीद जमात के तार भारत के दक्षिणी राज्यों से जुड़े हैं
श्रीलंका में धमाकों के पीछे तौहीद जमात के तार भारत के दक्षिणी राज्यों से जुड़े हैं

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पिछले एक दशक का सबसे बड़ा आतंकी हमला झेल रहे श्रीलंका से जो सूचनाएं सोमवार को आई हैं, उन्हें भारत के लिए किसी भी लिहाज से ठीक नहीं कहा जा सकता। लिहाजा भारतीय एजेंसियां भी सतर्क हो गई हैं। सोमवार देर शाम तक कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग ने इस बम-विस्फोट में आठ भारतीयों के अभी तक मारे जाने की पुष्टि कर दी। इसके अलावा तकरीबन 10 भारतीयों के गायब होने की सूचना भी मिल रही है। भारत के लिए दूसरी चिंताजनक सूचना बम विस्फोटों की जांच में जुटी एजेंसियों के हवाले से आ रही है।

श्रीलंका पुलिस ने पुष्टि की है कि आत्मघाती विस्फोटों के पीछे तौहीद जमात नामक कट्टर इस्लामिक संगठन है। पूर्व में इस संगठन की कुछ गतिविधियां देश के दक्षिण राज्यों तमिलनाडु और केरल में पाई गई थीं। इन गतिविधियों के आधार पर ही भारत ने पहले भी श्रीलंका को सतर्क किया था।

श्रीलंका से सूचनाएं आ रही हैं कि इन वारदातों को अंजाम देने वाले आतंकी खूंखार संगठन इस्लामिक स्टेट (आइएस) से जुड़े हुए हो सकते हैं। यह सूचना भी आई है कि हमले को अंजाम देने वाले स्थानीय आतंकी ही थे, लेकिन वे आइएस से प्रभावित थे। यही बात श्रीलंका के कुछ रणनीतिक विश्लेषकों और इस्लामिक स्टेट की गतिविधियों पर नजर रखने वाले अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने कही है। इनका कहना है कि इतने भारी पैमाने पर वारदातों को अंजाम देने का काम स्थानीय स्तर पर नहीं हो सकता। इसके लिए जिस तरह की विशेषज्ञता चाहिए वह आइएस जैसे संगठन ही दे सकते हैं।

यह भी बताया जा रहा है कि पांच वर्ष पहले सीरिया में आइएस को ज्वाइन करने के लिए जब कई देशों से मुस्लिम युवा पहुंच रहे थे तब उसमें श्रीलंका के भी कुछ लोग थे। बाद में आइएस का किला धवस्त होने के बाद इन लोगों के वापस श्रीलंका पहुंचने की संभावना भी जताई गई है।

सनद रहे कि पूर्व में भारतीय खुफिया एजेंसियों ने केरल से आइएस में शामिल होने के लिए जाने वाले युवाओं के एक दल का भंडाफोड़ किया था। इस दल के बारे में अभी तक कोई ठोस जानकारी एजेंसियों के हाथ नही लगी है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में आइएस से प्रभावित कई युवाओं को विगत में पकड़ा गया है। वैसे भारत ने शुरू से ही आइएस के प्रभाव को काटने के लिए बेहद सटीक नीति अपना रखी है।

एनआइए के अलावा महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश की स्थानीय पुलिस ने आइएस की सूचना प्रौद्योगिकी आधारित गतिविधियों को रोकने के लिए विशेष उपाय किए हुए हैं। इनकी बदौलत ही कई युवाओं को एयरपोर्ट पर तब गिरफ्तार करने में सफलता मिली थी जब वे आइएस ज्वाइन करने के लिए उड़ान भरने वाले थे। इसके बावजूद कुछ भारतीय युवाओं के आइएस में शामिल होने की सूचनाएं मिली थीं। इसमें से कुछ के मारे जाने की सूचना भी एजेंसियों को मिली है। यही वजह है कि भारत श्रीलंका में इस आतंकी वारदात को लेकर ज्यादा सतर्क है।

समुद्री सीमा की सतर्कता भी बढ़ी

श्रीलंका में हुए बम धमाकों के बाद भारत ने अपनी समुद्री सीमा की सुरक्षा बढ़ा दी है। भारतीय तटरक्षक बल ने समुद्र में निगरानी के लिए ज्यादा संख्या में जहाज और विमान लगा दिए हैं। तटरक्षक बल के अनुसार समुद्री रास्ते से भारत में घुसपैठ करने और यहां कोई वारदात अंजाम देने की आशंका को खत्म करने के लिए ऐसा किया गया है।

तटरक्षक बल के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि तुतिकोरीन, मंडपम और करईकल में मौजूद सभी जहाजों को निगरानी के कार्य में लगा दिया गया है। वैसे खुफिया सूचना के आधार पर तटरक्षक बल पहले से ही सतर्क है लेकिन रविवार को श्रीलंका में हुए बम धमाकों के बाद सतर्कता और बढ़ा दी गई है।

उल्लेखनीय है कि 2008 में समुद्री मार्ग से ही मुंबई पहुंचकर लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने पंचतारा होटलों और रेलवे स्टेशन पर हमलों को अंजाम दिया था। इन हमलों में कई विदेशियों समेत 166 लोग मारे गए थे। 

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