मछली पकड़ने के नियमों में भेदभाव का मुद्दा डब्ल्यूटीओ में उठाएगा भारत, चीन दूसरे देशों के जलक्षेत्र में करता रहा है अतिक्रमण
भारत का कहना है चीन एवं यूरोप के विकसित देश विकासशील देशों की जलीय सीमा का अतिक्रमण कर मछली पकड़ लेते हैं जिसे रोका जाना चाहिए। डब्ल्यूटीओ की 13 नवंबर से शुरू होने वाली बैठक में भारत इस मसले को उठाएगा...
नई दिल्ली, जेएनएन। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की आगामी 13 नवंबर से शुरू होने वाली मंत्रिस्तरीय बैठक में भारत कृषि और मछली पकड़ने के नियमों में वैश्विक इंसाफ और बराबरी को लेकर आवाज उठाएगा। भारत का मानना है कि चीन व यूरोप के विकसित देश विकासशील देशों की जलीय सीमा का अतिक्रमण कर मछली पकड़ लेते हैं, जिसे रोका जाना चाहिए। विकासशील देशों को अपने मछुआरों को विभिन्न सब्सिडी देने की छूट मिलनी चाहिए और विकसित देशों द्वारा उनके मछुआरों को दी जा रही छूट सीमित करनी चाहिए।
भारत का मानना है कि कृषि के क्षेत्र में भी सब्सिडी के मामले में विकासशील और विकसित देशों में बड़ा असंतुलन है जिसे तत्काल खत्म करने की जरूरत है। विकसित देश जहां उत्पादन मूल्य के लिहाज से प्रति किसान 40,000 डालर यानी 30 लाख रुपये तक की सब्सिडी देते हैं।
वहीं भारत प्रति किसान सिर्फ 400 डालर यानी 30,000 रुपये तक की सब्सिडी दे पाता है। इस पर भी विकसित देशों को आपत्ति है। वे सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत भारत में चलाए जा रहे खाद्य वितरण कार्यक्रम पर भी आपत्ति जाहिर करते हैं। इन दिनों डब्ल्यूटीओ की महानिदेशक नगोजी ओकोंजो तीन दिवसीय भारत के दौरे पर हैं।
वे वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के अलावा कई केंद्रीय मंत्री एवं उद्योग संगठनों के साथ बातचीत करेंगी। डब्ल्यूटीओ का मंत्रिस्तरीय समूह इसके फैसले लेने वाला सर्वोच्च समूह है। इसलिए आगामी बैठक से पहले डब्ल्यूटीओ की महानिदेशक प्रमुख देशों के साथ वार्तालाप कर रही है।
वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक जेनेवा में 13 नवंबर से तीन दिसंबर तक चलने वाली बैठक में मत्स्य पालन को लेकर भारत का अपना प्रस्ताव होगा क्योंकि यह क्षेत्र देश के लिए बेहद अहम है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसका जिक्र कई बार कर चुके हैं। विकसित देश मत्स्य पालन को लेकर वैश्विक नियम चाहते हैं। लेकिन भारत का कहना है कि पहले उसके प्रस्ताव पर फैसला हो, फिर किसी वैश्विक नियम पर बहस होनी चाहिए।