नहीं होगी पाकिस्तान के साथ बातचीत, इन दो वजहों से भारत ने लिया बड़ा फैसला
कश्मीर में सुरक्षाकर्मियों की हत्या के बाद भारत-पाक वार्ता पर संकट के बादल छाते नजर आ रहे हैं।
नई दिल्ली [जेएनएन]। एक तरफ रिश्ते सुधारने के लिए वार्ता का प्रस्ताव और दूसरी तरफ आतंकियों को बढ़ावा देने की सरकारी नीति को जारी रखना। पाकिस्तान की इस चाल में कोई बदलाव आते नहीं देख भारत ने दोनो देशों के विदेश मंत्रियों के बीच अगले हफ्ते प्रस्तावित वार्ता रद्द कर दी है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने 24 घंटे पहले ही सुषमा स्वराज और उनकी समकक्ष शाह मेहमूद कुरेशी के बीच बातचीत को आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया था। शुक्रवार को इस वार्ता को रद्द करने की घोषणा करते हुए पाक पीएम इमरान खान पर भी बेहद तीखे हमले किये।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने भारत के फैसले को सुनाते हुए कहा कि, पाकिस्तान के विदेश मंत्री के साथ स्वराज की बैठक की घोषणा के साथ ही दो बेहद चिंताजनक गतिविधियां हुई हैं। एक तो पाकिस्तान स्थित संगठनों ने हमारे सुरक्षाकर्मियों की नृशंस हत्या की है जबकि दूसरी तरफ पाकिस्तान सरकार की तरफ से एक आतंकी को सम्मान देते हुए 20 डाक टिकट जारी किये गये हैं। इससे साफ है कि पाकिस्तान अपना रास्ता बदलने को तैयार नहीं।
भारत ने यह भी दलील दी है कि वह पाकिस्तान के नये पीएम और विदेश मंत्री के पत्रों में व्यक्त भावना के जवाब में वार्ता के लिए तैयार हुआ। दोनो ने भारत व पाक के बीच मौजूदा माहौल में सकारात्मक बदलाव लाने की बात कही थी। साथ ही उन्होंने आतंक पर बात करते हुए शांति लाने की बात कही थी। भारत ने वार्ता को रद्द करने के साथ ही पाकिस्तान के नए पीएम को भी कटघरे में खड़ा किया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक पाकिस्तान की वार्ता की नई शुरुआत दरअसल, उसकी सोची समझी साजिश का हिस्सा था जो अब सभी के सामने आ चुका है। पीएम इमरान खान का असली चेहरा दुनिया के सामने उनके कार्यकाल संभालने के कुछ महीनों के भीतर ही सामने आ चुका है। ऐसे में मौजूदा माहौल में पाकिस्तान के साथ कोई बातचीत का कोई मतलब नहीं है।
भारत ने यह भी कहा है कि, ''बदले हालात मे न्यूयार्क में भारत व पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों की बैठक नही होगी।''निश्चित तौर पर पाकिस्तान के रवैये को देखते हुए भारत के इस फैसले को समझा जा सकता है। खास तौर पर जिस तरह शुक्रवार को भी कश्मीर में चार पुलिसकर्मियों की हत्या पाक परस्त आतंकियों ने की है। लेकिन जिस तरह से 24 घंटे में वार्ता करने और फिर उसे रद्द करने का फैसला किया जाता है वह भारत की पाकिस्तान नीति के बारे में भी बहुत कुछ कहता है। खास तौर पर भारत की तरफ से जो दो तर्क दिए गए हैं वे गले नहीं उतरते।
बीएसएफ के एक जवान की नृशंस हत्या दो दिन पहले हुई थी जबकि आतंकी बुहरान वानी को शहीद बताते हुए उसके लिए डाक टिकट जुलाई, 2018 में वहां के आम चुनाव से पहले जारी किया गया था। इसके बावजूद भारत ने 20 सितंबर, 2018 शाम को विदेश मंत्रियों की मुलाकात की पुष्टि की थी। कांग्रेस ने इसका सख्त विरोध भी किया था। ऐसे में यह कयास भी लगाया जा रहा है कि संभवत: राजग सरकार ने आगामी चुनावों के मद्देनजर फिलहाल पाकिस्तान को लेकर कोई जोखिम नहीं उठाने का फैसला किया है।
बहरहाल, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरेशी ने कहा है कि ''भारत में आम चुनाव नजदीक है, ऐसे में लगता है कि आतंरिक मुद्दों को ध्यान में रखते हुए भारत ने वार्ता रद्द की है। ऐसा लगता है कि भारत की प्राथमिकता अभी कुछ और है।दुर्भाग्य की बात है कि भारत ने सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी और शांति का एक और मौका गंवा दिया गया।''