भारत और चीन कई स्‍तरों पर खुला रखेंगे कूटनीतिक चैनल, सैन्‍य तनाव को सहमति से सुलझाने पर जोर

भारत और चीन मौजूदा तनाव के बावजूद इस बात के लिए सहमत हैं कि उनके बीच कूटनीतिक मशविरा पहले से भी ज्यादा होना चाहिए।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sat, 06 Jun 2020 08:30 PM (IST) Updated:Sat, 06 Jun 2020 09:26 PM (IST)
भारत और चीन कई स्‍तरों पर खुला रखेंगे कूटनीतिक चैनल, सैन्‍य तनाव को सहमति से सुलझाने पर जोर
भारत और चीन कई स्‍तरों पर खुला रखेंगे कूटनीतिक चैनल, सैन्‍य तनाव को सहमति से सुलझाने पर जोर

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारत और चीन के बीच चल रहे मौजूदा सीमा विवाद को लेकर शनिवार को सैन्य स्तर की बातचीत का नतीजा क्या रहेगा, इसका पता लगने में कुछ वक्त लग सकता है लेकिन इतना तय है कि दोनों देशों के बीच कई स्तरों पर कूटनीतिक बातचीत का दौर आगे भी चलता रहेगा। भारत और चीन के विदेश मंत्रालयों के अधिकारियों के बीच एक दिन पहले हुई बातचीत में सहमति बनी है कि सीमा पर सैन्य तनाव को पीएम नरेंद्र मोदी व राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच बनी सहमति के मुताबिक सुलझाया जाएगा। 

कूटनीतिक संबंधों की 70वीं सालगिरह के कार्यक्रम नहीं टलेंगे

जानकारों के मुताबिक दोनों देश मौजूदा तनाव के बावजूद इस बात के लिए सहमत हैं कि उनके बीच कूटनीतिक मशविरा पहले से भी ज्यादा होना चाहिए। साथ ही कूटनीतिक रिश्तों की 70वीं सालगिरह के अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों को भी टाला नहीं जाना चाहिए। हालांकि कोविड-19 की वजह से इन कार्यक्रमों को अंतिम रूप देने में देरी हो रही है। सूत्रों के मुताबिक मई के पहले हफ्ते में पूर्वी लद्दाख व सिक्किम के इलाके में भारत व चीन की सेनाओं के बीच तनाव उभरा था और उसके बाद से ही कूटनीतिक चैनल सक्रिय हैं। दोनों देशों के विदेश मंत्रालय के अधिकारी एक दूसरे के संपर्क में हैं। 

दोनों देशों के बीच बातचीत के दौर आगे भी जारी रहेंगे

शुक्रवार को आधिकारिक स्तर की बैठक हुई, जिसमें सीमा विवाद का मुद्दा काफी हावी रहा लेकिन उसके पहले ही विभिन्न कूटनीतिक चैनलों से एक दूसरे को अपने मतों से अवगत कराते रहे हैं। दरअसल, यह मोदी और चिनफिंग के बीच बनी सहमति का हिस्सा है कि चाहे जैसी भी स्थिति हो बातचीत का सिलसिला जारी रहना चाहिए। 

पांच वर्षों में मेादी और शिनफिंग के बीच तकरीबन 20 बार मुलाकातें हुईं

अगर पिछले पांच वर्षों में देखें तो मोदी और शिनफिंग के बीच जितनी मुलाकातें हुई हैं, शायद ही किसी दो अन्य वैश्विक नेताओं के बीच हुई हों। वर्ष 2014 से 2019 बीच दोनों नेताओं के बीच तकरीबन 20 बार मुलाकातें हुई हैं। इन मुलाकातों की वजह से ही डोकलाम में हालात को नियंत्रित करने में मदद मिली थी। जिस तरह से शुक्रवार को अधिकारियों की वर्चुअल मीटिंग के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय व चीन के राजदूत ने अपने अपने स्तर पर बयान जारी किये हैं, उससे साफ है कि तनाव खत्म करने की मंशा दोनों तरफ है। उधर, देश के कूटनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पूर्वी लद्दाख में उपजे तनाव को जिस तरह से दूर किया जाएगा, उसका असर लंबे समय तक भारत व चीन के रिश्तों पर पड़ेगा। 

भारत को मजबूत से पैर जमाए रखना होगा और पीछे नहीं हटाना है 

पूर्व विदेश सचिव निरूपमा मेनन राव ने कहा है कि 'भारत व चीन के बीच युद्ध कोई विकल्प नहीं है। लेकिन हमें अपने पांव मजबूती से जमाये रखने चाहिए व पीछे नहीं हटना चाहिए। इस बार हम जैसा व्यवहार करेंगे, उसके आधार पर ही आने वाले दिनों में हमारे समर्थक या विरोधी, हमारे बारे में अपनी धारणा बनाएंगे। मोटे तौर पर वैश्विक और क्षेत्रीय मोर्चे पर हमारी प्रतिष्ठा पर इसका व्यापक असर होगा।'

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