राफेल सौदे पर सुप्रीम कोर्ट में घंटों चली सुनवाई : सिर्फ 10 प्वाइंट्स में जानें कोर्ट रूम में क्या हुआ
राफेल सौदे को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में कई घंटों तक सुनवाई चली। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। फ्रांस के साथ किए गए राफेल लड़ाकू विमान सौदे की सीबीआइ से जांच कराने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करके अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। बुधवार को दिनभर चली सुनवाई में सरकार ने सौदे की तरफदारी करते हुए मामले की न्यायिक समीक्षा नहीं किए जाने की दलील दी।
दूसरी तरफ याचिकाकर्ताओं ने सौदे की प्रक्रिया में खामियां गिनाते हुए मामले की सीबीआइ जांच मांगी। विमान की कीमत सार्वजनिक करने का मामला भी उठा, लेकिन कोर्ट ने साफ किया कि फिलहाल कीमत से जुड़ा जितना पहलू सार्वजनिक किया जा सकता है उतने पर ही बहस की जाए।
अदालत को अभी यह तय करना है कि कीमतें सार्वजनिक की जा सकती हैं या नहीं। यह निर्देश मामले की सुनवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, संजय किशन कौल और केएम जोसेफ की पीठ ने राफेल सौदे पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिया।
सुप्रीम कोर्ट में दो वकीलों एमएल शर्मा और विनीत ढांडा के अलावा भाजपा के पूर्व नेता यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण ने याचिकाएं दाखिल कर राफेल सौदे में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी याचिका दायर की है।
यह भी पढ़ेंः VIDEO: राफेल का फर्स्ट लुक आया सामने, जानिए- राहुल ने कब-कब इस मुद्दे पर मुंह की खाई भूषण ने कहा कि सीबीआइ इस केस में हमारी शिकायत पर केस दर्ज करने को बाध्य थी। हमने सुप्रीम कोर्ट में इसलिए याचिका दायर की, क्योंकि सीबीआइ ने भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत केस दर्ज नहीं किया। भूषण के बाद अरुण शौरी ने अपने मामले में स्वयं बहस की और सौदे की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कीमत में ऐसी क्या गोपनीयता है कि सरकार उसे नहीं बता सकती। मिराज सौदे के समय सारा ब्योरा दिया गया था। सुनवाई के दौरान एमएल शर्मा ने कहा कि सरकार ने सौदे की निर्णय प्रक्रिया का जो दस्तावेज दिया है उससे साबित होता है कि सौदे में बड़ा घपला हुआ है। फ्रांस के साथ 36 राफेल खरीदने की प्रक्रिया मई 2015 में शुरू हुई, जबकि प्रधानमंत्री ने 10 अप्रैल को ही करार की घोषणा कर दी थी। संजय सिंह के वकील ने कीमत सार्वजनिक नहीं किए जाने की दलील का विरोध करते हुए कहा कि सरकार दो बार लिखित में संसद को कीमतें बता चुकी हैं। संसद में सरकार ने एक विमान की कीमत 670 करोड़ रुपये बताई थी। दोनों के जवाब में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को राफ़ेल सौदे की पृष्ठभूमि बताई और ये भी जानकारी दी कि पिछला सौदा क्यों रद किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार दो देशों की सरकारों के बीच हुए समझौते और गोपनीयता प्रावधान को उजागर नहीं करना चाहती है।
यह भी पढ़ेंः राफेल डील: राहुल गांधी के आरोप पर दासौ सीईओ का बड़ा बयान, कहा- मैं झूठ नहीं बोलता... कीमत के मामले पर अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को कहा कि विमान की कीमत बताने को लेकर कोई गुप्त समझौता (सीक्रेसी क्लॉज) नहीं है, बल्कि यह क्लॉज विमान की तकनीकी जानकारी और उसमें लगे हथियारों की जानकारी को लेकर है। जहां तक जेट की पूर्ण कीमत का सवाल है तो यह संसद को भी नहीं बताई गई है। रिलायंस को ऑफसेट पार्टनर चुनने के आरोप पर वेणुगोपाल ने कहा, 'दासौ एविएशन ने सरकार को ऑफसेट पार्टनरों की जानकारी नहीं दी है। उसने खुद अपने ऑफसेट पार्टनर चुने। सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है।'
वायुसेना अधिकारियों ने दी मौजूदा विमानों की जानकारी
सुप्रीम कोर्ट ने जानकारी के लिए वायुसेना अधिकारियों को बुलाया और उनसे मौजूदा लड़ाकू विमानों की विशेषता और उनकी श्रेणी के बारे में पूछा। अधिकारियों ने बताया कि अभी सुखोई और एलसीए लड़ाकू विमान हैं, जो कि चौथी जनरेशन से कम क्षमता के हैं। जरूरत चौथी जनरेशन से ऊपर की श्रेणी के विमानों की है। उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि दुनिया में तीन जगह मिस्त्र, कतर और फ्रांस में राफेल विमान हैं।
जस्टिस गोगोई ने भूषण को फटकारा
सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण के लिए तब असहज स्थिति बन गई, जब प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने उन्हें फटकारा। भूषण राफेल की कीमतों को सार्वजनिक करने की मांग कर रहे थे। इस पर जस्टिस गोगोई ने उन्हें तल्ख अंदाज में कहा, 'हम आपकी बात पूरी सुन रहे हैं। इस अवसर का सावधानीपूर्वक उपयोग करें। जो बातें जरूरी हैं, वही बताएं।' भूषण का कहना था कि सरकार गोपनीयता के प्रावधान की आड़ में तथ्य छिपा रही है। इससे पहले वेणुगोपाल ने भूषण को गोपनीयता समझौते के कुछ प्रावधान बताने पर टोका था। उन्होंने कहा कि गोपनीय समझौते, गोपनीय रहना चाहिए। वह इन्हें कोर्ट में कैसे पेश कर सकते हैं?