आइबीसी संशोधन विधेयक संसद से पारित, अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून के रूप में होगा लागू
राज्यसभा में यह विधेयक पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कोरोना संकट के बाद एमएसएमई सेक्टर की कंपनियों को जिस तरह की मदद की जरूरत है उसे देखते हुए यह विधेयक लाया गया है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। राज्यसभा ने मंगलवार को इंसाल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (अमेंडमेंट) बिल, 2021 को पारित कर दिया। लोकसभा से यह विधेयक 28 जुलाई को पारित हो गया था। अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून के रूप में लागू हो जाएगा। इसके कानून बन जाने के बाद सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को एक प्री-पैकेज्ड (पहले से तैयार) दिवालिया समाधान तंत्र मिल जाएगा।
यह विधेयक पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कोरोना संकट के बाद एमएसएमई सेक्टर की कंपनियों को जिस तरह की मदद की जरूरत है, उसे देखते हुए यह विधेयक लाया गया है। हमने एमएसएमई कंपनियों के लिए पूंजीगत सीमा भी बढ़ाई है और ऐ प्री-पैक लेकर आ रहे हैं। कहा जा रहा था कि कोरोना संकट के बाद एमएसएमई सेक्टर में इंसाल्वेंसी मामलों में बड़ा उछाल आएगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं है।
वित्त मंत्री ने कहा कि सच यह है कि एमएसएमई सेक्टर के लिए दिवालिया समाधान के पर्याप्त विकल्प नहीं हैं। इस विधेयक के कानून बन जाने के बाद विकल्पहीनता की यह स्थिति समाप्त हो जाएगी।
जानिए क्या है आइबीसी एमेंडमेंट बिल और क्या है इसके मायने
- चार अप्रैल को इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (एमेंडमेंट) ऑर्डिनेंस, 2021 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दी थी। इस अध्यादेश का उद्देश्य छोटे कारोबारियों के लिए वैकल्पिक बैंकरप्सी रिजॉल्यूशन स्कीम की पेशकश करना था।
- यह विधेयक अप्रैल में लाए गए इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (एमेंडमेंट) ऑर्डिनेंस, 2021 का स्थान लेगा।
-इस पूरी पहल का मकसद छोटे एवं मझोले उद्योगों को राहत देना है, जिनपर कोविड-19 महामारी का काफी प्रतिकूल असर हुआ है।