सुप्रीम कोर्ट में मराठा आरक्षण पर सुनवाई 22 जनवरी से, पीठ ने सभी पक्षकारों को दी हिदायत

महाराष्ट्र का यह कानून सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण के लिए निर्धारित 50 फीसद की अधिकतम सीमा का उल्लंघन करता है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Wed, 20 Nov 2019 01:37 AM (IST) Updated:Wed, 20 Nov 2019 01:37 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट में मराठा आरक्षण पर सुनवाई 22 जनवरी से, पीठ ने सभी पक्षकारों को दी हिदायत
सुप्रीम कोर्ट में मराठा आरक्षण पर सुनवाई 22 जनवरी से, पीठ ने सभी पक्षकारों को दी हिदायत

नई दिल्ली, प्रेट्र। महाराष्ट्र में शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा आरक्षण की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अगले साल 22 जनवरी से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) एसए बोबडे, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने सभी पक्षकारों से इस दौरान अपने-अपने दस्तावेज पूरे करने को कहा है।

आरक्षण के लिए निर्धारित 50 फीसद की अधिकतम सीमा का उल्लंघन

मराठा आरक्षण का विरोध करने वाले पक्षकारों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने कहा कि इस मामले में सुनवाई की जरूरत है। महाराष्ट्र का यह कानून सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण के लिए निर्धारित 50 फीसद की अधिकतम सीमा का उल्लंघन करता है। इस पर पीठ ने कहा, 'हम याचिका की दलीलों से संतुष्ट होने पर ही इसे संविधान पीठ को सौंप सकते हैं।'

शिक्षा और नौकरियों में मराठा समुदाय को आरक्षण

सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को 'सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग कानून, 2018' की संवैधानिकता पर विचार करने का निश्चय किया था। इसी कानून के तहत राज्य में शिक्षा और नौकरियों में मराठा समुदाय को आरक्षण का फैसला किया गया है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने कुछ बदलावों के साथ इस कानून को सही ठहराने के बांबे हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दी चेतावनी

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सरकार को सख्त लहजे में चेताया कि वह सेना में महिलाओं के कमीशन पर जल्द फैसला ले। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह चाहे तो आदेश पास कर सकती है, लेकिन वह इसका श्रेय लेने का मौका सरकार को दे रही है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मार्च, 2019 से पहले से शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के तहत सेना में भर्ती होने वाली महिला अधिकारियों को सरकार स्थायी कमीशन देने पर विचार करे।

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