सरकार डेढ़ साल तक कृषि कानूनों पर अमल रोकने को तैयार, प्रस्ताव से गतिरोध टूटने के संकेत

सरकार ने किसान संगठनों को प्रस्ताव दिया है कि वह डेढ़ साल के लिए कृषि सुधार कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगाकर रखेगी और इस बीच एक संयुक्त विशेष समिति हर मांग पर चर्चा करेगी। यह बहुत बड़ा प्रस्ताव था और तत्काल किसान संगठनों पर इसका असर भी पड़ा है।

By Arun kumar SinghEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 10:13 PM (IST) Updated:Thu, 21 Jan 2021 06:55 AM (IST)
सरकार डेढ़ साल तक कृषि कानूनों पर अमल रोकने को तैयार, प्रस्ताव से गतिरोध टूटने के संकेत
किसानों के साथ गतिरोध तोड़ने के लिए केंद्र सरकार ने एक कदम और आगे बढ़ा दिया

 नई दिल्ली, सुरेंद्र प्रसाद सिंह। कृषि कानूनों के खिलाफ लगभग दो महीने से दिल्ली की घेरेबंदी करके बैठे किसानों के साथ गतिरोध तोड़ने के लिए केंद्र सरकार ने एक कदम और आगे बढ़ा दिया है। सरकार ने किसान संगठनों को प्रस्ताव दिया है कि वह डेढ़ साल के लिए कृषि सुधार कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगाकर रखेगी और इस बीच एक संयुक्त विशेष समिति हर मांग पर चर्चा करेगी। यह बहुत बड़ा प्रस्ताव था और तत्काल किसान संगठनों पर इसका असर भी पड़ा है। कानून रद किए जाने की मांग पर अड़े और सुप्रीम कोर्ट की ओर से लगी रोक को भी नकार चुके किसान संगठनों ने सरकार के प्रस्ताव पर विचार का मन बनाया है। उनका फैसला गुरुवार को आएगा। 

किसानों के साथ 10वें दौर की वार्ता में दिए प्रस्ताव से गतिरोध टूटने के संकेत

माना जा रहा है कि कुछ किसान संगठन और दबाव बनाना चाह रहे हैं, लेकिन अधिकतर संगठनों ने आंदोलन रद करने का मन बनाया है। शुक्रवार को विज्ञान भवन में सरकार के साथ किसान संगठनों की एक और दौर की वार्ता करने का फैसला लिया गया है।बुधवार को किसान संगठनों और सरकार के बीच हुई 10वें दौर की वार्ता में गतिरोध टूटता नजर आ रहा है। लगभग चार घंटे चली बैठक में जिस तरह बार-बार टी-ब्रेक हुआ उसके बाद से यह माना जाने लगा था कि कुछ फैसला निकलेगा। वार्ता में सरकार की ओर से रखे प्रस्ताव और किसान संगठनों के रुख के बारे में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा, 'सरकार साल-डेढ़ साल के लिए तीनों नए कानूनों के क्रियान्वयन को स्थगित करने को तैयार है। इस दौरान किसान संगठनों और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता में कोई न कोई समाधान तलाश लिया जाएगा।' 

सरकार ने समस्या के हल के लिए संयुक्त कमेटी बनाने का भी दिया प्रस्ताव

हालांकि बुधवार की कई दौर की वार्ता में कई बार गरमागरमी की भी नौबत आई। लेकिन वार्ता में सरकार समाधान तलाशने का मन बनाकर बैठी थी। तोमर ने कहा कि सरकार आंदोलनकारी किसान नेताओं की हर शंका का समाधान करने को तैयार है। कृषि मंत्री तोमर ने किसान प्रतिनिधियों से कहा कि सुधार कानूनों और आंदोलन के विभिन्न पहलुओं पर विचार करने के लिए समय तो चाहिए ही। सरकार इसके लिए साल-डेढ़ साल तक कानून के अमल पर स्थगन के लिए तैयार है। वार्ता को आगे बढ़ाकर उचित समाधान तलाश लिया जाएगा। 

विज्ञान भवन में कल फिर होगी किसानों के साथ एक और दौर की वार्ता

वार्ता के दौरान तोमर के इस बयान को किसान प्रतिनिधियों ने गंभीरता से लिया। किसानों के रुख पर कृषि मंत्री ने कहा कि बातचीत सार्थकता की ओर बढ़ी है। आंदोलन को वापस लेने को लेकर किसान संगठन एक बार फिर 22 जनवरी को सरकार से वार्ता करेंगे। कृषि सुधारों को लेकर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की किसान यूनियनें लगभग दो महीने से दिल्ली की सीमा पर मोर्चा लगाकर आंदोलन कर रही हैं। 

आंदोलन खत्म कराने के लिए सरकार लगातार वार्ता कर रही थी, लेकिन किसान संगठनों के अडि़यल रवैये और जिद के आगे वार्ता के नौ दौर विफल हो चुके थे। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल कानूनों के अमल पर रोक लगा रखी है, लेकिन वह बमुश्किल दो-तीन महीने तक चलने वाली थी। ऐसे में डेढ़ साल का लंबा वक्त किसानों के लिए बहुत बड़ा अवसर है। ध्यान रहे कि अगले कुछ दिनों में संसद का बजट सत्र भी शुरू होने वाला है। ऐसे में सरकार की ओर से इस बड़े प्रस्ताव ने जहां गतिरोध तोड़ने के संकेत दिए हैं, वहीं यह विपक्ष की राजनीति को भी कुंद करेगा।

किसान नेता बोले, अन्य संगठनों से भी बातचीत जरूरी

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि सरकार के प्रस्ताव पर किसानों की गुरुवार की बैठक में जो भी फैसला होगा उसे शुक्रवार को सरकार के साथ होने वाली बैठक में रखा जाएगा। राजेवाल ने कहा कि चूंकि सरकार के साथ बैठक में केवल 40 संगठन ही हैं इसलिए अन्य से भी बात करनी जरूरी है।

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