सरकार की स्कूली बच्चों के पोषण पर नजर, अब मिड-डे मील में दूध भी मिलेगा
अंतर मंत्रालयी समिति ने मिड-डे मील में दूध या उससे बने उत्पाद को सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को देने की सिफारिश की है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को दिए जाने वाले मिड-डे मील में दूध या उससे बने उत्पाद अब अनिवार्य रुप से शामिल हो सकते है। बच्चों के स्वास्थ्य व उनके पोषण जरूरतों का ख्याल रखने वाली अंतर मंत्रालयी समिति ने इसे लेकर अपनी सिफारिश की है। साथ ही राज्यों से इसे लागू कराने को कहा है। इस संबंध में समिति ने राज्यों से दुग्ध संघों से संपर्क करने को भी कहा है।
समिति ने यह सिफारिश उस समय की है, जब कर्नाटक, मध्यप्रदेश, हरियाणा, पांडिचेरी और गुजरात जैसे राज्यों में मिड-डे मील में दूध को शामिल किया गया है, हालांकि अभी यह नियमित रुप से नहीं दिया जा रहा है। समिति ने अपनी सिफारिश में इसे नियमित रुप से शामिल करने के निर्देश दिए है। मिड-डे मील में दूध को शामिल करने की यह सिफारिश उस समय की गई है, जब देश भर में इन दिनों पोषण अभियान चलाया जा रहा है।
सहकारी दुग्ध संघों से संपर्क करने के दिए निर्देश
समिति ने अपनी सिफारिश में कृषि मंत्रालय के उस पत्र को आधार बनाया है, जिसमें उन्होंने दुग्ध संघों के पास सरप्लस दूध और उससे जुड़े उत्पादों के होने का हवाला दिया गया है। कृषि सचिव की तरफ से लिखे गए इस पत्र में दूध को स्कूलों के मिड-डे मील में शामिल करने का सुझाव दिया था।
मंत्रालय का कहना था कि इससे कुपोषण से जूझ रहे बच्चों के स्वास्थ्य में जहां सुधार होगा, वहीं दुग्ध संघों को भी इससे मजबूती मिलेगी। देश में इस वक्त दूध का उत्पादन मांग से काफी अधिक हो गया है।
सूत्रों के मुताबिक बच्चों और महिलाओं के पोषण स्तर पर नजर रखने वाली अंतर मंत्रालयी समिति ने इस बीच राज्यों के साथ लंबी चर्चा के बाद इसे लागू करने की सिफारिश की है। इस पर कई राज्यों ने तो तुरंत इसे लागू करने का भरोसा दिया है, जबकि कुछ राज्यों ने इसके लिए समय मांगा है।
सरकार की ओर से पोषण पर नजर रखने वाली इस अंतर मंत्रालयी समिति में स्वास्थ्य, मानव संसाधन विकास और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल है। बता दें कि स्कूली बच्चों के लिए चलाई जाने वाली मिड-डे मील योजना के तहत सभी राज्यों को केंद्र की ओर से शत प्रतिशत मदद दी जाती है।