Pulwama terror attack: पाक पर लगा रहेगा आतंकवाद के मददगार का ठप्पा
टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय नियामक एजेंसी फाइनेंसिएल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को निगरानी सूची (ग्रे लिस्ट) में बनाए रखा।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो/एजेंसियां। पुलवामा हमले के बाद भारत के कूटनीतिक प्रयासों के चलते पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक के बाद एक मुंह की खानी पड़ रही है। टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय नियामक एजेंसी फाइनेंसिएल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को निगरानी सूची (ग्रे लिस्ट) में बनाए रखा। साथ ही कुछ बिंदुओं पर कार्रवाई नहीं करने पर उसे काली सूची में डालने की चेतावनी भी दे डाली। हालांकि, ग्रे लिस्ट से निकलने के लिए पाकिस्तान ने आतंकी हाफिज सईद के संगठन जमात उद दावा पर प्रतिबंध लगाने का दिखावा भी किया था।
एफएटीएफ की तरफ से शुक्रवार को जारी बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान ने आतंकी फंडिंग रोकने के लिए कुछ कदम उठाये हैं लेकिन वह संतोषजनक नहीं हैं। पाक अभी भी दयेश, अल-कायदा, जमात उल दावा, लश्करे तैयबा, जैश ए मुहम्मद, हक्कानी नेटवर्क के खतरे को सही तरीके से नहीं समझ पा रहा है।
पाकिस्तान से आतंकी फंडिंग रोकने के लिए एफएटीएफ के सुझावों को मई, 2019 तक लागू करने को कहा गया है। पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में जून, 2018 में डाला गया था और उसे 27 तरह के नियमों की सूची सौंपी गई थी जिसे लागू करना है। अब पाकिस्तान में इसके पालन के हालात की समीक्षा जून, 2019 में की जाएगी।
एफएटीएफ संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में ही काम करने वाली एजेंसी है जो मुख्य तौर पर यह देखती है कि दुनिया भर में आतंकियों की फंडिंग को रोकने के लिए देशों की तरफ से कितनी मुस्तैदी से कदम उठाये जा रहे हैं। भारत इसमें कई बार आवाज उठा चुका है कि किस तरह से पाकिस्तान का बैंकिंग सिस्टम आतंकी फंडिंग रोकने में ढिलाई अपना रहा है। जमात उद दावा मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का संगठन है।
पाकिस्तान को दोहरा झटका
इससे पहले, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने गुरुवार को प्रस्ताव पारित कर पुलवामा हमले की निंदा की थी। उसने हमले की जिम्मेदारी लेने वाले जैश ए मुहम्मद का नाम भी लिया था। यूएनएससी 15 सदस्यीय संस्था है, जिसमें चीन भी शामिल है।
यूएनएससी की तरफ से पारित प्रस्ताव की भाषा को अपने आप में काफी अहम माना जा रहा है। इसमें किसी भी वजह से आतंकवादी गतिविधियों को समर्थन नहीं करने की बात कही गई है और सभी सदस्य देशों से कहा गया है कि वे संयुक्त राष्ट्र की नीतियों व अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर इस वारदात को अंजाम देने वाले संगठन के खिलाफ जांच करने में भारत सरकार की मदद करें।
पारित प्रस्ताव से साफ है कि भारत की कूटनीतिक कोशिशें सफल रही हैं, क्योंकि इसमें आतंक पर भारत के चिरपरिचित पक्ष को ही आगे बढ़ाया गया है जैसे आतंकवाद के लिए किसी भी वजह को जायज नहीं ठहराया जा सकता।