Exit Poll: चुनाव नतीजों के लिए कलेजा मजबूत करने में जुटी कांग्रेस, पार्टी में बदलाव की चर्चा
हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के एक्जिट पोल के अनुमानों ने कांग्रेस में एक बार फिर बेचैनी भरी हलचल मचा दी है
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के एक्जिट पोल के अनुमानों ने कांग्रेस में एक बार फिर बेचैनी भरी हलचल मचा दी है। एक्जिट पोल के अनुसार, इन दोनों सूबों में कांग्रेस बमुश्किल मुख्य विपक्षी दल की हैसियत से आगे बढ़ती नजर नहीं आ रही है। लोकसभा चुनाव के बाद पहले से ही गहरे संकट का सामना कर रही पार्टी में इन संकेतों के बाद संगठन में बड़े बदलाव की तत्काल चर्चा शुरू हो गई है।
लोकसभा चुनाव 2019 के पांच महीने के भीतर ही दो बड़े सूबों में पार्टी की दिख रही सूरत से साफ है कि कांग्रेस के लिए हालात बदले नहीं है। इसीलिए वोटिंग तक तमाम दावे कर रहे कांग्रेस नेता एक्जिट पोल के अनुमानों के बाद पार्टी मुख्यालय के गलियारों में लंबी लड़ाई की बात कहते हुए नतीजों के लिए कलेजा मजबूत करते दिखे। इन दोनों सूबों के चुनाव से जुड़े पार्टी के एक वरिष्ठ रणनीतिकार ने कहा कि महाराष्ट्र में संगठन की कमजोरी तो हरियाणा में बड़े नेताओं के आपसी फूट ने भाजपा को बड़ा मौका दे दिया। मगर यह भी कहना मुनासिब होगा कि अब केवल खामियों और कमजोरियों को गिनाकर नतीजों को स्वीकार कर लेने से बात नहीं बनने वाली।
कांग्रेस के एक दूसरे पदाधिकारी ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी के इस्तीफे और सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष बनने के बाद भी पार्टी के संकट का समाधान नहीं निकला है। सोनिया की वापसी के बाद पार्टी में तात्कालिक जरूरत के हिसाब से सूबों में कुछ एक बदलाव हुए हैं। मगर एआसीसी से लेकर प्रदेश कांग्रेस के संगठनात्मक ढांचे में कोई परिवर्तन नहीं आया है। तभी कांग्रेस में यह चर्चा चल रही है कि संगठनात्मक बदलाव के साथ खामियों को दुरूस्त करने के लिए पारदर्शी अंदरूनी तंत्र बनाया जाए।
पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को साफ कहना है कि इसमें अब देरी की गुंजाइश आत्मघाती होगा। इसीलिए संगठन में बदलाव के साथ सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष की तस्वीर भी आने वाले दिनों में साफ होनी चाहिए। सेहत की चुनौतियों को देखते हुए सोनिया पार्टी का नेतृत्व लंबे समय तक कर पाएंगी इसको लेकर भी संशय है और ऐसे में पार्टी गलियारों में ऐसी कानाफूसी शुरू हो गई है कि अगले साल देर-सबेर राहुल गांधी की अध्यक्ष के रुप में वापसी हो जाए तो आश्चर्य नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि पार्टी रणनीतिकार फिलहाल ऐसी चर्चाओं को तवज्जो नहीं दे रहे।